-पढ़ने लिखने के बाद मिले रोजगार, शुरू हुई कवायद

-Class में 75 percent attendance अनिवार्य

-Develop करना होगा पीरियाडिकल रिपोर्टिग सिस्टम

-हाईकोर्ट की सख्ती से तनी गवर्नमेंट की भौहें

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: जरा सोचिए कि उस बेरोजगार के दिल पर क्या गुजरती होगी, जिसे बहुत पढ़-लिख लेने के बाद भी नौकरी नहीं मिलती। हमें उस समय भी सबसे ज्यादा कोफ्त महसूस होती है। जब कहा जाता है कि इंडिया का कोई भी एजुकेशन इंस्टीट्यूट दुनिया के टॉप दो सौ इंस्टीट्यूट की सूचि में नहीं है। आखिर क्यों हैं ऐसा और इसका निदान क्या है? एक्सप‌र्ट्स तो इसके लिए बहुत हद तक हमारे एजुकेशन सिस्टम को ही रिस्पांसिबल बताते हैं। वहीं अब गवर्नमेंट ने भी इसे पूरी गंभीरता से लिया है और स्टेट की सभी यूनिवर्सिटीज को हार्ड डायरेक्शन जारी किए हैं।

Negative information के बाद खड़े हुए कान

गवर्नमेंट ने स्टेट की सभी यूनिवर्सिटीज, गवर्नमेंट, नन गवर्नमेंट और सेल्फ फाइनेंस कालेजेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि ग्लोबलाइजेशन और इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी के युग में हम समय के साथ कदमताल कर सकें और बेरोजगारों को रोजगार मिल सके, इसके लिए पूरी गंभीरता के साथ प्रयास किए जाने की जरूरत है। खास बात यह है कि गवर्नमेंट को स्टेट के ज्यादातर हायर इंस्टीट्यूशंस के बारे में जो हालिया रिपोर्ट मिली है, वह चौकाने वाली है। इनमें कहा गया है कि अधिकतर जगहों पर एकेडमिक एक्सीलेंस को लेकर भारी लापरवाही बरती जा रही है, जिनसे निपट पाना चुनौतीपूर्ण कार्य है।

हर काम के लिए फिक्स हो टाइम

अक्सर ही स्टेट के डिग्री कालेजेस में क्लासेस न चलने, लैब में संसाधनों की कमी, प्रवेश कार्य में लेटलतीफी, परीक्षाओं और रिजल्ट में अनियमितता जैसी बातें सामने आती रहती हैं। जिसे देखते हुए उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी नीरज कुमार गुप्ता ने स्टेट की सभी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर्स के नाम जारी किए गए पत्र में कहा है कि यूनिवर्सिटी और कालेज में प्रत्येक स्तर पर एकेडमिक कैलेंडर, एडमिशन प्रासेस, क्लासेस का संचालन, स्टूडेंट्स की अटेंडेंस, परीक्षाओं का आयोजन एवं रिजल्ट्स जैसी चीजें सुनिश्चित होनी चाहिए। कहा गया है कि इन कार्यो में लापरवाही कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कैम्पस में एकेडमिक एनवायरमेंट सुनिश्चित न होने पर सीधे जवाबदेही वाइस चांसलर और हायर एजुकेशन डायरेक्टर की होगी।

अपवाद की स्थिति में ही मिलेगी 15 % की छूट

वैसे शासन की छटपटाहट यूं ही नहीं है। इन कवायदों के पीछे बड़ी वजह हायर इंस्टीट्यूशंस में अटेंडेंस जैसे आवश्यक कार्य पर रिट याचिका संख्या 4236म्/2014 की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा निर्देश दिया जाना है। जिसे ध्यान में रखते हुए प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने कहा है कि क्लासेस में न्यूनतम उपस्थिति 75 परसेंट सुनिश्चित की जाए। अपवाद की स्थिति में कुलपति अपने स्तर पर 15 परसेंट की ही छूट दे सकते हैं। सोर्सेस का कहना है कि अटेंडेंस की उक्त शर्तों को पूरा न करने वालों को परीक्षा से भी वंचित कर दिए जाने के लिए कहा गया है।

गुणवत्ता नियंत्रण के लिए इन बातों का रखना होगा ध्यान

यही नहीं अब प्रत्येक हायर इंस्टीट्यूशंस में तीन वरिष्ठतम शिक्षकों की एक शैक्षणिक गुणवत्ता नियंत्रण समिति का गठन किया जाएगा, जिसके चेयरमैन सबसे वरिष्ठ शिक्षक होंगे। इसके अलावा पीरियाडिकल रिपोर्टिग सिस्टम (सामयिक प्रतिवेदन प्रणाली) भी डेवलप किया जाएगा जो कैम्पस में मासिक प्रतिवेदन को सुनिश्चित करेगी। इनका कार्य होगा कि वे शैक्षणिक पंचांग का अनुपालन, कक्षा शिक्षण समय सारिणी का प्रदर्शन, टाइम टेबिल के अनुसार क्लासेस का संचालन, टीचर्स द्वारा क्लासवाइज अटेंडेंस रजिस्टर के रख-रखाव, उपस्थिति पंजिका में नियमित प्रवृष्टि, प्रयोगशाला में उपकरण, प्रैक्टिकल क्लास का नियमित संचालन, प्रैक्टिकल वर्क अभिलेख का रख-रखाव, प्रायोगिक एवं कक्षाओं में दिए जाने वाले गृह कार्यो के मूल्यांकन पर अपनी नजर रखेगा और अपनी रिपोर्ट नियमित रुप से शासन को भेजेगा।

Fact file

-ज्यादातर हायर इंस्टीट्यूशंस की हालत खस्ताहाल

- शासन को मिली निगेटिव रिपोर्ट

- इलाहाबाद हाईकोर्ट की सख्ती के बाद उठाए गए कदम

- प्रत्येक कैम्पस में होगी शैक्षणिक गुणवत्ता नियंत्रण समिति

- बनानी होगी सामयिक प्रतिवेदन प्रणाली

- कुलपति और हायर एजुकेशन डायरेक्टर होंगे जिम्मेदार

- समय समय पर भेजनी होगी शासन को रिपोर्ट

- पढ़ाई के साथ साथ स्टूडेंट्स को बनाना होगा बेहतर प्रोफेशनल

- क्लास में अनिवार्य होगी 7भ् परसेंट अटेंडेंस

- प्रत्येक एकेडमिक वर्क के लिए फिक्स होगा टाइम

- छात्रों से लेंगे टीचर्स का फीडबैक

- टीचर्स को भी नियमित रूप से भरनी होगी उपस्थिति पंजिका

- टाईम टेबिल के अनुसार चलानी होंगी क्लासेस

- लैब एवं लाइब्रेरी को करना होगा डेवलप आदि