- निर्वाचन ड्यूटी में लगाए गए कई कर्मचारियों के घर में उपचुनाव के आसपास पड़ रही है शादी

- ड्यूटी से नाम कटवाने के लिए जुगाड़ लगा रहे कर्मी, कोई बीमारी तो कोई शादी का कार्ड भेज कर रहा दरख्वास्त

GORAKHPUR: शादी सीजन के बीच पड़े लोकसभा उपचुनाव ने चुनाव ड्यूटी में लगाए गए कर्मचारियों को परेशान कर दिया है। कई कर्मचारियों ऐसे हैं जिनके घर में चुनाव की तारीख के आसपास शादियां पड़ी हैं। इस दशा में चुनाव ड्यूटी लग जाने से उनके सामने भारी मुसीबत खड़ी हो गई है। ऐसे में कोई बीमारी का हवाला देकर तो कोई शादी का कार्ड देकर ड्यूटी कटवाने की जुगत में लगा है।

किसी के घर शादी, किसी के यहां रिसेप्शन

गोरखपुर में लोकसभा उपचुनाव में मतदान कर्मियों की ड्यूटी निर्धारित कर दी गई है। इसी बीच जिन मतदान कर्मियों के घर में शादी पड़ी है वे परेशान हैं। अपनी ड्यूटी कटवाने के लिए कोई शादी के कार्ड का सहारा ले रहा है तो कुछ बीमारी का हवाला देने में लगे हैं। कई कर्मचारी तो बाकायदा प्राइवेट अस्पतालों और डॉक्टर्स से लंबी बीमारी और इलाज का विवरण लिखा पर्चा लेकर आ रहे हैं और बीमारी के आधार पर अफसरों से चुनाव ड्यूटी से मुक्त करने की दरख्वास्त कर रहे हैं। एक मार्च से लगन का दौर है। इसमें किसी के घर नौ को शादी है तो किसी के घर शादी के बाद रिसेप्शन है। इस दशा में वह शादी की तैयारी करें कि चुनाव ड्यूटी में जाएं, यही बात मतदान कर्मियों के लिए सिरदर्द बन गई है।

खोज रहे जुगाड़

उपचुनाव में अपनी ड्यूटी कटवाने के लिए पहले से ही जुगाड़ का सहारा लिया जा रहा है। मतदान कर्मी निर्वाचन आयोग से संबंधित कर्मचारी से मिलकर ड्यूटी कटवाने का उपाय पूछ रहे हैं तो कुछ शादी का कार्ड जमा कर अपने घर के हालात का जिक्र कर रहे हैं। कईयों के परिवार में सिर्फ उनका एक ही लड़का है। जिसकी शादी पहले से ही डिसाइड है। लेकिन उपचुनाव के चलते उनके अरमान पर पानी फिर गया है। परिवार के सदस्य भी इसे लेकर काफी परेशान हैं।

बॉक्स

डॉक्टर्स भी परेशान

उपचुनाव के दौरान आयुष विंग अस्पताल से इलाज करना कठिन होगा। क्योंकि डॉक्टर्स की भी चुनाव ड्यूटी लग गई है। हालांकि कुछ तो लेटर देकर अपना नाम कटवाने के जुगत में लगे हुए हैं। जबकि निर्वाचन आयोग ने आयुष चिकित्सकों से चुनाव ड्यूटी न कराने के निर्देश दे रखें हैं। बावजूद इसके उनकी ड्यूटी लगाई गई है। इसकी शिकायत आला अफसरों से भी की गई थी। इसके बाद भी स्थानीय स्तर पर निर्वाचन आयोग के निर्देश का पालन नहीं किया गया। ऐसे में ट्रेनिंग, वोटिंग और मतगणना के काम में व्यस्त होने से मरीजों को दिक्कत झेलनी पड़ेगी।