बढ़ जाएगी जांचों की लिस्ट

शासन की ओर से एक्स-रे के बाद अब Žलड, स्टूल व यूरिन सहित करीब 100 जांचों को फ्री कटेगरी में लाए जाने की योजना है। इस पर हॉस्पिटल के मेडिकल एक्सपट्र्स ने जहां पेशेंट्स के लिए खुशी जताई है। वहीं पैथोलोजी की मौजूदा वर्किंग मशीनरी को देखते हुए निराशा भी दिखाई। एक्सपट्र्स का कहना है कि जांचों के फ्री हो जाने से पेशेंट्स बीमारी में जरूरी न होते हुए भी तमाम टेस्ट कराने की ख्वाहिश करेंगे। हर पेशेंट्स को जांच कराने से इंकार करना प्रैक्टिकली पॉसिबल न होने पर गैरजरूरी जांचों की तादाद बढ़ेगी। जिनका सही रिजल्ट निकालना आसान न होगा। फिलहाल पैथोलॉजी में हर दिन 400 से ज्यादा जांच की जाती हैं।

फ्री एक्सरे के १२त्न पेशेंट्स बढ़े

शासन की ओर से जनवरी में सभी गर्वनमेंट हॉस्पिटल्स में एक्सरे की सुविधा फ्री कर दी गई थी। इससे पहले एक्सरे कराने के लिए पेशेंट्स को 30 रुपए बतौर फीस देनी पड़ती थी। एक्सरे जांच फ्री हो जाने के बाद बीते हफ्तों के दौरान डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में होने वाले एक्सरे के आंकड़ों में 12-14 परसेंट का इजाफा हो गया है। जनवरी में एक्सरे कराने वाले पेशेंट्स की तादाद 1132 रही। डॉक्टर्स ने बताया कि ओपीडी में जरूरी न होते हुए भी कई पेशेंट्स एक्सरे की डिमांड कर रहे हैं। वहीं एक्सरे डिपार्टमेंट के कर्मचारियों का कहना है कि प्राइवेट हॉस्पिटल्स और क्लिनिक के पर्चे पर भी कई पेशेंट्स डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में मुफ्त एक्सरे कराने पहुंच रहे हैं।

खलेगी टेक्निशियंस की कमी

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में पैथोलॉजी और Žलड बैंक में पेशेंट्स की जांच पूरी करने की जिम्मेदारी 7 लैब टेक्निशियंस पर है। जिसमें 6 रेगुलर लैब टेक्निशियंस और एक संविदा पर है। पिछले कई सालों से हॉस्पिटल की ओपीडी में आने वाले पेशेंट्स की तादाद में दुगुने से भी ज्यादा का इजाफा हुआ है। लेकिन एलटी की नियुक्तियों में बढ़ोतरी नहीं हुई। मुफ्त जांच होने की कंडीशन में एक्स्ट्रा पेशेंट्स की जो जांचें बढ़ जाएंगी, उन्हें समय पर पूरा करने और बिना गलती रिपोर्ट तैयार करने में स्टाफ के पसीने छूट जाएंगे। कम स्टाफ के सहारे मुफ्त जांचों का भार पैथोलॉजी की वर्किंग पर बुरा असर डालेगा।

न रेडियोलॉजिस्ट, न एक्सपर्ट

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एक्सरे डिपार्टमेंट एक रेडियोलॉजिस्ट की कमी से जूझ रहा है। एक्सरे कराने पहुंच रहे पेशेंट्स की बढ़ती तादाद से एक्सरे विभाग पर बोझ बढ़ता जा रहा है। वहीं पैथोलॉजी के ऊपर Žलड सेपरेशन की मशीन, Žलड बैंक में एलाइजा रीडर और आरडीसी में सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम की जांच करने वाले ट्रेंड एक्सपट्र्स की भी बेहद कमी है। वहीं कई और जांचें मुफ्त होने पर महिला हॉस्पिटल पर भी इसका इसर देखने को मिलेगा। यहा की पैथोलोजी में 2 एलटी के पद है। जिनमें से एक खाली है। यहां रोजाना करीब 35-40 जांचे होती हैं। जांचे मुफ्त होने की कंडीशन में पैथोलॉजी के एलटी ने बढ़े वर्क लोड को पूरा करने में मुश्किल होने की बात कही।

कई जांचें पहले ही मुफ्त

शासन भले ही पŽिलक को 100 मुफ्त जांचों की सौगात देना वाला हो, लेकिन डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में पेशेंट्स को सारी सौगात न मिलेंगी। वजह यहां के पैथोलॉजी डिपार्टमेंट में महज 32 जांचें होने की सुविधा है। इनकी फीस 3 रुपए से लेकर 100 रुपए तक है। इनमें हीमोग्लोबिन, टीएलसी, डीएलसी, प्लेटलेट्स काउंट्स और बीटी सीटी की जांचें शामिल हैं। वहीं बलगम, डेंगू, और एक्स-रे जांचों को सरकार पहले ही मुफ्त कटेगरी के दायरे में ला चुकी है।

सिर्फ नाम का आरडीसी

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में Žलड बैंक और पैथोलॉजी के अलावा बेहतर जांचों की सुविधा के लिए 2005 में रीजनल डायग्नोसिस सेंटर, आरडीसी भी बनाया गया। मकसद था हाई-प्रोफाइल जांचों की सुविधा कम फीस में पŽिलक को दी जा सके। लेकिन अल्ट्रासाउंड के साथ ही सीटी स्कैन और एबडोमिनल स्कैन की जांच के अलावा अन्य जरूरी जांचे शुरू न की जा सके। आरडीसी में थॉयराइड की जांच, ऑर्थराइटिस आरए फैक्टर जांच और एचएलए बी-27 एंटीजन जांच के साथ ही अन्य टेस्ट की सुविधा 9 साल बाद भी न शुरू हुई। ट्रेंड डॉक्टर्स व स्टाफ की कमी ने भी इन जांचों को शुरू कराए जाने की उम्मीदों पर हमेशा पानी फेरा।

पर रिसोर्सेज कहां से लाएं

सरकार की ओर से जिन जांचों को पŽिलक के लिए फ्री किया जाएगा। उनमें से आधे से ज्यादा डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में अवेलबल नहीं हैं। ऐसे में या तो इन जांचों का फायदा इकलौते डिविजनल हॉस्पिटल में आने वाले पेशेंट्स को नहीं मिलेगा। या फिर गर्वनमेंट को इन जांचों की सुविधा देने के लिए यहां फेसिलिटीज व मैनपॉवर बढ़ानी पड़ेगी। एक्सपट्र्स की मानें तो हॉस्पिटल में डॉक्टर्स व ट्रेंड स्टाफ की कमी पर शासन को कई बार लिखा गया। लेकिन नए अप्वाइंटमेंट्स पर कभी मंजूरी न मिली। ऐसे में पŽिलक को ज्यादा, बेहतर और मुफ्त जांचों की सुविधा देने में सुस्त सरकारी मशीनरी अड़ंगा डालेगी।

सरकार की ओर से अगर कई और जांचें मुफ्त करने का जीओ आता है तो इससे हॉस्पिटल की पैथोलॉजी पर फर्क पड़ेगा। ओपीडी में जांच कराने वाले पेशेंटस की तादाद बढ़ जाएगी। लेकिन स्टाफ की कमी बरकरार रहेगी। जिससे समय पर जांचें प्रभावित होंगी। सरकार हॉस्पिटल में जांचें बढ़ाएगी तो उसे रिसोर्सेज भी बढ़ाने होंगे। ट्रेंड स्टाफ व एक्सपर्ट के लिए शासन को कई बार लिखा गया। पर स्टाफ की कमी बरकरार है।                 

- डॉ। वीके धस्माना, प्रभारी सीएमएस