कब और कैसे बिछेगी रेल लाइन
इस रेल लाइन की लंबाई करीब एक हजार किलोमीटर होगी. वहीं जानकारों की मानें तो इसका इंजीनियरिंग सर्वे करने पर ही करीब 200 करोड़ रुपए खर्च होंगे. सर्वे को पूरा करने में करीब दो साल का समय लग सकता है. रेल लाइन मिसामारी से तवांग के बीच 378 किलोमीटर लंबी, असम-अरुणांचल प्रदेश, उत्तरी लखीमपुर से सिलापथर तक 248 किलोमीटर की, असम से अरुणांचल प्रदेश, मुरकोंगसेलेक-पासीघाट-तेजू-परशुराम कुंड-रुपई के बीच 256 किलोमीटर और हिमांचल प्रदेश-जम्मू एवं कश्मीर, बिलासपुर-मंडी-मनाली-लेह के बीचच 498 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बिछाने की योजना है. खबर है कि पटरी बिछाने के लिए पहाड़ों में कई सुरंगें भी खोदनी होंगी.
चीन कर सकता है विरोध
ऐसा भी अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत के रेल लाइन बिछाने का चीन विरोध कर सकता है. अभी हाल ही में भारत की ओर से चीन की सीमा के पास सड़क बनाने के फैसले का उसने खुलकर विरोध किया था. इसका विरोध चीन ने यह कहकर किया था कि सीमा से सटे इलाके में भारत को ऐसी गतिविधियां नहीं करनी चाहिए. इस पर भारत ने अपना रुख साफ करते हुए कहा था कि भारत को अपनी जमीन पर काम करने के लिए किसी से भी पूछने की कोई जरूरत नहीं है. वहीं, भारत से सटी सीमा के पास चीन ने सड़कों और रेल ट्रैक का पहले ही जाल बिछा दिया है. रण्ानीतिक तौर पर गौर करें तो इन्हीं बुनियादी ढांचों के चलते चीन को भारत पर बढ़त हासिल है.
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