RANCHI: स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव के। विद्यासागर ने चिकित्सकों के सामूहिक अवकाश के निर्णय को बेबुनियाद बताया है। साथ ही उनकी एक-दो मांगों को छोड़कर सभी मांगों के जायज नहीं होने की बात कही है। गुरुवार को उन्होंने चिकित्सकों की सभी मांगों पर विभाग का पक्ष बिंदुवार रखा। उनके अनुसार चिकित्सकों की कुछ मांगें ऐसी भी हैं जो पहले से ही लागू हैं। चिकित्सकों को उनकी जानकारी नहीं रखना दुर्भाग्यपूर्ण है।

निजी हॉस्पिटल में करते हैं सर्जरी

चिकित्सकों द्वारा मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग पर कहा कि विभाग इस एक्ट को लागू करने का पक्षधर है और इसे लेकर फाइल विधि विभाग को भेजी भी गई है। इससे पहले विधि विभाग दो बार फाइल लौटा चुका है। विभाग द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस को लेकर जारी आदेश में सरकारी चिकित्सकों द्वारा निजी नर्सिग होम में इनडोर सेवा देने पर रोक के विरोध पर कहा कि स्पेशलिस्ट चिकित्सक सरकारी अस्पतालों में सर्जरी नहीं कर निजी अस्पतालों में करेंगे तो ऐसा नहीं चलेगा। स्थिति यह है कि एक-दो जिलों को छोड़कर कहीं भी स्पेशलिस्ट चिकित्सक सर्जरी नहीं कर रहे। उनके अनुसार इवनिंग आउटडोर (तीन से नौ बजे) शुरू करने का विरोध भी जायज नहीं है,

बनानी होगी बायोमीट्रिक अटेंडेंस

विद्यासागर ने चिकित्सकों द्वारा बायोमिट्रिक उपस्थिति का विरोध किए जाने को भी नाजायज ठहराया। सवाल उठाया कि मुख्य सचिव और तमाम विभागीय सचिव बायोमिट्रिक उपस्थिति बनाते हैं तो चिकित्सक इसका विरोध कैसे कर सकते हैं? इसका मतलब यह है कि चिकित्सक ड्यूटी में फर्जीवाड़ा करना चाहते हैं।

सर्दी-बुखार वाले निराश, सिर्फ इमरजेंसी में इलाज

झारखंड में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू कराने की मांग को लेकर दूसरे दिन गुरुवार को भी राज्य भर के डेढ़ हजार डाक्टर हड़ताल पर रहे। पीएचसी से लेकर सदर हास्पिटल व प्राइवेट क्लिनिकों में भी डॉक्टरों ने ओपीडी सेवा नहीं दी। हालांकि इमरजेंसी में गंभीर मरीजों को डॉक्टरों ने देखा और स्थिति को देखते हुए कई मरीजों को रिम्स भी रेफर किया गया। वहीं, डॉक्टरों की हड़ताल की सूचना से मरीज भी सदर हास्पिटल नहीं पहुंचे। इससे अधिकतर बेड खाली पड़े रहे। जबकि अन्य दिनों में हास्पिटल के बेड कम पड़ जाते हैं।

आज रिम्स के डॉक्टर भी हड़ताल पर

मांगों को लेकर डॉक्टरों की हड़ताल शुक्रवार को भी जारी रहेगी। इस हड़ताल को फ्0 सितंबर को रिम्स के डॉक्टर भी समर्थन करेंगे। इस दौरान मरीजों का इलाज नहीं करेंगे। सिर्फ इमरजेंसी में मरीजों का इलाज होगा।