- हैंडओवर हुए बिना ही खंडहर में बदला भवन

- फार्मासिस्ट के भरोसे है अस्पताल

KAKRAHI: सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोला के अंतर्गत चिलवां गांव का प्राथमिक स्वास्थ्य कागजों में ही चल रहा है। ऐसा हम नहीं बल्कि खुद अस्पताल की हालत कह रही है। शुरुआत से ही उदासीनता का शिकार रहे इस अस्पताल की बिल्डिंग बेहद जर्जर हो चुकी है। हाल ये है कि खंडहर हो चुके भवन के बगल में साधन सहकारी समिति के छोटे से कमरे में पूरा पीएचसी सिमट हुआ है। यहां ना तो डॉक्टर की तैनाती है और ना कोई सुविधा। एक फार्मासिस्ट के भरोसे अस्पताल चल रहा है। सुविधाओं से महरूम इस अस्पताल में कभी मरीज भी नहीं जाते। ग्रामीणों ने यहां डॉक्टर तैनात करने की मांग उठाई है।

बन गया खंडहर

लगभग दो दशक पूर्व इस पिछड़े ग्रामीण क्षेत्र में पीएचसी की स्थापना की गई। तभी से मुख्य भवन की जगह अस्पताल साधन सहकारी समिति चिलवां के कमरे में संचालित हो रहा है। जिम्मेदारों की लापरवाही का आलम ये कि स्वास्थ्य विभाग नवनिर्मित भवन का अधिग्रहण नहीं कर सका। देखरेख के अभाव में इसके सभी जंगले व दरवाजे गायब हो गए। धीरे-धीरे भवन खंडहर में तब्दील हो गया। वर्तमान में इसके फर्श, दीवार और छत सभी को बड़ी-बड़ी घासों ने जकड़ लिया है।

स्टाफ का टोटा

दूसरी ओर साधन सहकारी समिति के कमरे में एक टूटी मेज व कुछ टूटी कुर्सियों के भरोसे अस्पताल चल रहा है। यहां चिकित्सक, वार्डब्वॉय व स्वीपर का पद रिक्त है। कर्मचारी के नाम पर फार्मासिस्ट राकेश सिंह तैनात हैं। आवासीय व्यवस्था ना होने से वे जिला मुख्यालय से आते-जाते हैं। वैसे उनका दावा है कि रोज दस से पंद्रह मरीज आते हैं लेकिन वे भी व्यवस्था के प्रति खिन्नता प्रकट करते हैं। वहीं, ग्रामीण रत्नप्रकाश दूबे, श्यामबरन पांडेय, विजयप्रताप मौर्य, अतुल चंद, रामसूरत यादव, पटौहा के गुलाब दूबे, अशोक दूबे, अरविंद दूबे आदि का कहना है कि कुछ महीने पहले एक डॉक्टर की यहां तैनाती थी तो कुछ मरीज जाते थे लेकिन अब कोई नहीं जाता। ग्रामीणों ने अस्पताल में डॉक्टर की तैनाती कर व्यवस्था में सुधार की मांग उठाई है।

वर्जन

पीएचसी के हैंडओवर का मामला तो मेरे कार्यकाल के पहले का है। रही बात डॉक्टर तैनात करने की तो सीएचसी से जुड़े किसी भी पीएचसी पर चिकित्सक नहीं हैं। इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को दे दी गई। डॉक्टर मिलते ही तैनाती की जाएगी।

- डॉ। अजय सिंह, अधीक्षक सीएचसी