- 400-500 सरकारी आवास हैं बीआरडी में

- 150 आवास जर्जर हैं

- 50 से 60 लाख बजट आता है हर साल मरम्मत के लिए

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- बीआरडी के जर्जर सरकारी आवास में रहने वालों को बना रहता है डर

- वर्षो से नहीं हुई आवासों की मरम्मत, अधिकारी नहीं सुनते शिकायत

GORAKHPUR:

बीआरडी मेडिकल कॉलेज की कॉलोनी के सरकारी आवासों की वर्षो से मरम्मत नहीं हुई है। हालत यह है कि आवास की छत और दीवारों के प्लास्टर टूट कर नीचे गिर रहे हैं। कई बच्चों के ऊपर प्लास्टर गिर जाने से उनकी जान जाते-जाते बची। इनमें रहने वाले कर्मचारियों के परिवार को हमेशा डर बना रहता है।

नहीं सुनते शिकायत

टाईप टू में रहने वाले एक कर्मचारी ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन को पत्र लिखकर दो बार शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। कर्मचारी ने बताया कि फरवरी माह में ठेकेदार द्वारा छत की ढलाई करवाई गई लेकिन कुछ ही दिन में छत गिर गई। इस बारे में भी अफसरों को अवगत कराया लेकिन किसी ने नहीं सुनी। तब उसने खुद ही आठ हजार रुपये खर्च कर आवास की छत की दोबारा मरम्मत करवाई। अभी भी कमरों में दरवाजा नहीं लग सका है।

आता है बजट

अनुरक्षण विभाग की तरफ से कॉलोनियों की मरम्मत के लिए बजट आता है लेकिन पिछले कई सालों से कार्य नहीं हुए हैं। थोड़ी-बहुत मरम्मत कराई गई है लेकिन वह सिर्फ खानापूर्ति है।

यह है हालत

- छत और दीवारों से प्लास्टर गिर रहे हैं।

- दरवाजे और खिड़कियां टूट कर अलग हो गए हैं।

- शौचालय बेकार हो चुके हैं।

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कॉलिंग

पिछले महीने मेरी पत्‍‌नी अनुपमा बच्चों के साथ बेड पर बैठी थी। अचानक किसी काम से वह दूसरे कमरे में चली गई। इसी बीच छत का प्लास्टर पत्‍‌नी की छत पर आ गिरा और वह घायल हो गई। जानकारी के बाद कमरे पर पहुंचा और इलाज के लिए भर्ती करवाया। सिर में गंभीर चोट आई थी। ब्लड रुकने का नाम नहीं ले रहा था। ठीक होने के बाद आवास की मरम्मत के लिए प्रिंसिपल को पत्र लिखा लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उसके बाद अपने पास से तीन हजार रुपए खर्च कर मरम्मत कराई।

- हरिकेश, हेल्थ एंप्लाई

मेडिकल कॉलेज में मेरे पति अशोक कर्मचारी हैं। हम लोग सरकारी आवास टाइप टू में रहते हैं। तीन माह पहले अशोक अस्पताल में नाइट ड़्यूटी पर थे। कमरे में बच्चे पढ़ाई कर रहे थे और दूसरे कमरे में मैं खाना बना रही थी। इसी दौरान छत का प्लास्टर हमारे सामने ही गिर गया जिसमें मैं बाल-बाल बच गई। इसके बाद अपने पति को फोन कर बुलाया। वह तत्काल कमरे पर पहुंचे। दूसरे दिन शिकायती पत्र प्रिंसिपल को दिया लेकिन किसी ने सुधि नहीं ली।

बेबी, हाउस वाइफ

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वर्जन

इस बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं है लेकिन कॉलोनियों का सर्वे करवाकर इनकी मरम्मत का प्रस्ताव भेजा जाएगा।

- डॉ। पीके सिंह,

प्रिंसिपल