- सरकारी नौकरी को बड़ा और बिजनेस को छोटा काम समझते हैं यूथ

- माइग्रेशन का कारण हाई वैल्यू का होना चाहिए, तभी होगा उपयोगी

PATNA: भ्रष्टाचार एक व्यापक विषय है। अगर इससे लड़ना है तो बदलाव को एक्सेप्ट करना होगा। जिस प्रकार से दूसरे राज्यों में एंटरप्रेन्योरशिप को बढ़ावा दिया जा रहा है। नौकरी की वैसा क्रेज नहीं है, जैसा कि बिहार में है। मेरी समझ से यह विडंबना है कि बिहार में शुरू से जमींदारी प्रथा रही है। यहां सरकारी नौकरी को बड़ा और बिजनेस करने को छोटा काम समझा जाता है। बिजनेस का मतलब निकाला जाता है कि कोई काम नहीं मिला होगा, तो बिजनेस में लगा गया, पर सच यह नहीं है। बिजनेस में क्रिएटिविटी है नई सोच है।

लाभकारी नहीं है पलायन

क्या बिहार से पलायन इसके विकास और यूथ को दिशा नहीं दे रहा है। इस सवाल के जबाव में मैं कहूंगा-हां, यह सच है। दरअसल, यहां पलायन लो-वैल्यू का है। प्राय: दिल्ली या अन्य बड़े शहरों की ओर रुख करने का कारण छोटी-छोटी नौकरियां या सर्विस देना है, इसलिए यह स्टेट के लिए लाभकारी नहीं है। माइग्रेशन का कारण हाई वैल्यू का होना चाहिए, तभी इसे उपयोगी कहा जा सकता है। स्टेट या इंडिविजुअल के लिए। जब तब जॉब को एक दबाव के रूप में देखा जाएगा, यह एक संकुचित बात होगी। यूथ नित्य नई संभावनाओं को तलाशें। इससे न केवल आया, बल्कि नई संभावनाओं का भी रास्ता निकलेगा।

यूथ भ्रष्टाचार से खुद को कैसे करें तैयार

यह सबसे बड़ा सवाल है क्योंकि सबसे अधिक वर्किंग पॉपुलेशन यंग है। खुद को नई चुनौतियों को तैयार करने के लिए डिसिप्लीन को फॉलो करें। आप सोचें, करप्शन कब होगा। आप जब मजबूर होंगे, तो फिर क्यों नहीं स्वंय को स्वाबलंबी और संपूर्ण बनाने की पहल करें। आज एक साथ कई चीजों पर यूथ का ध्यान है। उन्हें खुद को डिसिप्लीन में लाना होगा। जब तक खुद को संपूर्ण और चिंतामुक्त नहीं करेंगे, यूथ कैसे किसी का नेतृत्व करेंगे। एक समय था जब जवाहर लाल नेहरू और जय प्रकाश नारायण जैसी विभूतियों ने अपने समय में सामाजिक बदलाव के लिए अग्रणी भूमिका निभायी है। वे आज के यूथ के लिए प्रेरणाश्रोत होने चाहिए।

सरकार भी दे ध्यान

आज के समय में जिस प्रकार से लोगों की जरूरतें बढ़ी हैं, उसमें समुचित कार्यो को अमली-जामा पहनाने के लिए बड़ी धन राशि खर्च करने की जरूरत है। लैंड रिफॉर्म, पब्लिक हेल्थ, एग्रिकल्चर ग्रोथ आदि कई एरियाज में इंवेस्टमेंट की जरूरत है। जब तक इन्हें समुचित रूप से महत्व नहीं मिलेगा, तब तक लोग मजबूर रहेंगे, इसलिए ऐसे तमाम क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार ध्यान दे। आखिर सिर्फ यूथ भी तो इसी समाज का ही हिस्सा हैं।

प्राइवेट इंवेस्टर न के बराबर

पॉलिटिकल ट्रांसपेरेंसी और यूथ डेवलपमेंट में यूथ का बड़ा रोल है। जहां तक बिहार का सवाल है, यहां पब्लिक सेंट्रिक ग्रोथ हुआ है, पर प्राइवेट इंवेस्टर नहीं के बराबर हैं। बातें तो होती हैं, पर गवर्नमेंट टैक्स इंसेंटिव नहीं देती है। ऐसे में नई इंडस्ट्री को लगाने के लिए उपाय करना होगा। मेरी समझ से बिना सहभागिता के काम संभव नहीं है। इससे यहां के यूथ को ही सबसे अधिक फायदा मिलेगा।