-बेसिक शिक्षा सचिव को एक अवसर और, सुनवाई 13 तक टली

ALLAHABAD (4 Aug, JNN): मिड डे मील योजना में प्रत्येक बुधवार को बच्चों को 200 मिली लीटर दूध पिलाने में होने वाले खर्च का ब्यौरा राज्य सरकार मंगलवार को हाईकोर्ट के समक्ष न रख सकी। अदालत ने बेसिक शिक्षा सचिव को इसके लिए एक अवसर और दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह आखिरी अवसर होगा। अगर उस दिन भी सचिव बेसिक बेसिक शिक्षा का स्पष्टीकरण नहीं आता तो आदेश पारित किया जाएगा। सुनवाई 13 अगस्त तक के लिए टाल दी गई है।

चीफ जस्टिस डा। डीवाई चंद्रचूड व जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने कानपुर के विनय कुमार ओझा की जनहित याचिका पर इस मामले की सुनवाई की। याचिका में कहा गया है कि 15 जुलाई को प्रदेश सरकार ने मिड डे मील योजना में परिवर्तन कर बुधवार को बच्चों को 200 मि.ली। दूध पिलाने का निर्णय लिया है। परंतु इस नीति को लागू करने में आने वाली लागत से बच्चों को दूध नहीं पिलाया जा सकता। कोर्ट ने पिछली तिथि पर पूछा था कि सचिव बेसिक शिक्षा बताए कि दूध पिलाने में लगने वाली लागत (कन्वर्जन कास्ट) की भरपाई सरकार कैसे करेगी। कोर्ट के आदेश के बाद भी सचिव बेसिक शिक्षा कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करा सके। सिर्फ इतना कहा गया कि केवल कानपुर में ही बुधवार को लगभग दो लाख बच्चों को दूध पिलाया जायेगा।