उन्होंने खस्ताहाल आर्थिक व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अहम क्षेत्रों में इसी वित्तीय वर्ष में दो लाख करोड़ रुपए का निवेश करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि लगातार आठ वर्षों तक विकास की ऊँची दर हासिल करने के बाद इस समय भारत की अर्थव्यवस्था भँवर में है।
अगले पाँच वर्षों में ढाँचागत क्षेत्रों में एक खरब डॉलर के निवेश की आवश्यकता बताते हुए मनमोहन सिंह ने कहा, "ऐसे कठिन समय में हमें निवेश की स्थिति सुधारने के अलावा निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में व्यावसायिक माहौल ठीक करने के लिए हर संभव कोशिश करनी चाहिए."
इस बैठक में लिए जाने वाले निर्णयों के संकेत भर से बाजार में माहौल बदलता दिख गया और सेंसेक्स ने 434 अंकों की छलांग लगाई, जो कि वर्ष 2012 की सबसे ऊँची छलांग है। इससे पहले मनमोहन सिंह ने नेतृत्व वाली यूपीए सरकार पर नीतिगत निर्णय न लेने के गंभीर आरोप लगे थे और सोमवार को तो कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में अपनी ही पार्टी के सदस्यों से उलाहनाएँ सुननी पड़ीं थीं।
सरकारी-निजी क्षेत्र की भागीदारी
बुधवार को मनमोहन सिंह ने बुनियादी ढाँचागत क्षेत्रों से जुड़े अहम मंत्रालयों के मंत्रियों को एक चर्चा के लिए बुलाया था। दो हिस्सों में ये बैठक तीन घंटों तक चली। इसमें बिजली, सड़क, बंदरगाह, रेलवे, कोयला और विमानन विभाग शामिल हैं। इस बैठक में योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी इस बैठक में शामिल थे। बैठक में इन सभी छहों बुनियादी ढाँचे वाले क्षेत्रों के लिए निवेश के अलग-अलग महात्वाकांक्षी लक्ष्य तय किए गए।
बैठक के बाद मनमोहन सिंह ने कहा कि वर्ष 2012-13 के लिए बंदरगाह और विमानन, कोयला उत्पादन और रेलवे की माल ढुलाई के जो लक्ष्य तय किए गए हैं उन्हें हासिल किया जा सकता है। उनका कहना था कि मंत्रियों ने लक्ष्य हासिल करने के लिए जो हामी भरी है उससे वे उत्साहित हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार उन्होंने कहा, "सरकार न केवल चुनौतियों से वाकिफ़ है बल्कि वह इस स्थिति को सुधारने के लिए आवश्यक क़दम उठाने के लिए भी प्रतिबद्ध है जिससे भारत को दोबारा विकास के पथ पर लाया जा सके। इन प्रयासों से भारत फिर से नौ प्रतिशत का विकास दर हासिल करने की दिशा में बढ़ सकेगा."
वैश्विक स्तर पर चल रही आर्थिक संकट की वजह से भारत पर भी प्रभाव पड़ा है और उसके आर्थिक विकास की दर 6.5 प्रतिशत के लक्ष्य से घटकर 5.3 प्रतिशत रह गई है। बुनियादी ढाँचे में निवेश के महत्व को रेखांकित करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा, "बुनियादी ढाँचे में अगले पाँच वर्षों में एक खरब डॉलर के निवेश की आवश्यकता है। इसलिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारी को महत्व दिया गया है। ढाँचागत क्षेत्रों में लक्ष्य हासिल करना सफलता के लिए अहम होगा और इससे समग्र आर्थिक विकास के लिए आवश्यक भरोसा पैदा होगा." बैठक में तय किए गए लक्ष्यों की हर तीन महीने में समीक्षा की जाएगी।
विभागवार लक्ष्य
बुधवार की बैठक में विभिन्न क्षेत्रों के लिए जो लक्ष्य तय किए गए वे इस प्रकार हैं विमानन: इस क्षेत्र में कुल 36 परियोजनाओं का चयन किया गया है। नवी मुंबई, गोवा और कन्नूर में तीन नए ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट बनाने का काम इस वर्ष शुरू किया जाएगा। जबकि लखनऊ, वाराणसी, कोयंबटूर, त्रिचूर और गया में से तीन या चार शहरों में नए अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे इस वर्ष शुरू हो जाएंगे।
कहा गया है कि इटानगर में 2100 करोड़ रुपये की लागत से नया हवाई अड्डा भी बनाया जाएगा। दो दर्जन अन्य हवाई अड्डों का काम भी इस वर्ष शुरू होगा। सरकार जल्द ही एयरलाइन हब नीति भी बनाएगी। ये हब दिल्ली व चेन्नई में इस वर्ष खोल दिए जाएंगे।
रेलवे: बैठक में सरकारी और निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के जरिए बनने वाले रेलवे परियोजनाओं के लिए कई लक्ष्य तय किए गए। इसके तहत चालू वित्त वर्ष के दौरान सोनागार-दानकुनी फ्रेट कारीडोर, 20 हजार करोड़ रुपये की लागत से मुंबई में एलिवेटेड रेल कॉरीडोर और मधेपुरा व मढ़ौरा में लोकोमोटिव निर्माण इकाई का ठेका पीपीपी के जरिए देने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा मुंबई और अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन चलाने के प्रस्ताव को भी जल्द अंतिम रूप दिया जाएगा।
बंदरगाह: बैठक में बंदरगाह क्षेत्र के लिए 35 हजार करोड़ रुपये की योजना शुरू करने का फैसला किया गया है। इसमें आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में दो नए प्रमुख बंदरगाहों का निर्माण किया जाएगा। 42 नई परियोजनाओं पर भी काम शुरू होगा।
सड़क: कहा गया है कि इस वर्ष 9500 किलोमीटर लंबी सड़कें बनाई जाएंगी। यह पिछले वर्ष के मुकाबले 19 फीसदी से ज्यादा होगा जबकि सड़क क्षेत्र में होने वाले निवेश में 73.6 फीसदी की वृद्धि होगी। इसके अलावा 4360 किलोमीटर लंबी सड़कों पर मरम्मत का काम होगा।
बिजली और कोयला : सरकार ने इस वर्ष अतिरिक्त 18000 मेगावाट बिजली क्षमता जोड़ने और बिजली उत्पादन में 6.2 फीसदी की वृद्धि करने का लक्ष्य रखा है। कोल इंडिया को 47 करोड़ टन कोयला उत्पादन करने को कहा गया है।
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