वेतनभोगी ईमानदारी से चुकाता है टैक्स, सब चुकाएं तो खुद मिल जाएगी राहत
नई दिल्ली (पीटीआई)।
सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दाम घटाने के लिए एक्साइजड्यूटी में कटौती की संभावना से इन्कार किया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली कहना है कि इस कदम से उत्पादकता पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। वित्त मंत्री ने लोगों से ईमानदारी से टैक्स चुकाने की अपील भी की। जेटली ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, 'वेतनभोगी वर्ग अपना टैक्स सही तरीके से चुकाता है, जबकि अन्य बहुत से वर्गो के रिकॉर्ड में सुधार की जरूरत है। इसलिए मेरी अपील है कि पेट्रोलियम से इतर मामलों में टैक्स चोरी रुकनी चाहिए। अगर लोग ईमानदारी से कर चुकाएं, तो पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स निर्भरता स्वत: कम हो जाएगी।'

एक्साइज ड्यूटी में 25 रुपये की कटौती की चिदंबरम की सलाह को बताया जाल
वित्त मंत्री ने बताया कि कर-जीडीपी अनुपात 10 प्रतिशत से बढ़कर 11.5 प्रतिशत पर पहुंच गया है। इस डेढ़ प्रतिशत की वृद्धि में से 0.72 प्रतिशत की वृद्धि गैर-तेल श्रेणी के टैक्स से हुई है।जेटली ने एक्साइज ड्यूटी में 25 रुपये प्रति लीटर की कटौती के पी चिदंबरम के सुझाव को खारिज करते हुए इसे एक जाल बताया है। उन्होंने कहा, 'सम्मानित पूर्व वित्त मंत्री खुद ऐसा कदम उठाने का साहस कभी नहीं कर पाए। उनकी मंशा भारत को नहीं संभलने वाले कर्ज में फंसाने की है। यूपीए सरकार धरोहर के रूप में ऐसी ही अर्थव्यवस्था छोड़ती है।' उल्लेखनीय है कि पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने पिछले हफ्ते कहा था कि पेट्रोल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में 25 रुपये प्रति लीटर तक की कटौती की जा सकती हैं, लेकिन मोदी सरकार ऐसा नहीं करेगी।

राजकोष पर पड़ता है करीब 13,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ
सरकारी अनुमान के मुताबिक, एक्साइज ड्यूटी में हर एक रुपये की कटौती से राजकोष पर करीब 13,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ता है। जेटली ने कहा कि नई व्यवस्था में टैक्स बेस बढ़ने के बावजूद अभी भारत कर अनुपालन के मामले में बहुत पीछे है। जरूरत है कि लोग देश के प्रति कर्तव्य निभाते हुए टैक्स का भुगतान करें। वित्त मंत्री ने कहा, 'दुखद स्थिति यह है कि ईमानदार करदाता अपने हिस्से का ही नहीं, बल्कि कर चुराने वालों के हिस्से का भी टैक्स चुकाता है।'

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