मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाते
राज्यपाल ने पत्र में कहा कि अलग-अलग मतदाता सूचियां बनाने से केंद्र एवं राज्य सरकार का पर्याप्त धन, समय व संसाधन अपव्यय होता है। साथ ही बहुत से मतदाताओं का नाम विलुप्त होने से वह मताधिकार से वंचित रहता है। इससे मतदाता सूचियों की विशुद्धता पर प्रश्न चिन्ह भी उठते हैं। इससे मतदान प्रतिशत में भी कमी आती है तथा निर्वाचन कार्य सम्पन्न कराने वाले अधिकारी एवं कर्मचारी भी अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाते हैं। राज्यपाल ने भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओम प्रकाश रावत को इसी आशय से 31 जनवरी, 2018 को पत्र भेजा था।

मतदाता सूची पर अपने विचार व्यक्त किये

वहीं मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने 12 मार्च, 2018 को राज्यपाल के सुझाव पर सहमति व्यक्त करते हुए कहा है कि सभी प्रकार के निर्वाचनों हेतु एक समान मतदाता सूची तैयार किये जाने के लिए वर्तमान विधियों में केंद्र और राज्य सरकार के स्तर पर आवश्यक संशोधन किया जाना अपेक्षित होगा। राज्यपाल ने सीएम योगी आदित्यनाथ को भी मुख्य निर्वाचन आयुक्त के पत्र की प्रति संलग्न करते हुए पत्र भेजा है। ध्यान रहे कि राज्यपाल 25 जनवरी, 2018 को 'राष्ट्रीय मतदाता दिवस 2018' के अवसर पर एक समान मतदाता सूची पर अपने विचार व्यक्त किये थे।

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