-सन 1866 में स्थापित किया गया था बदलेव इंटर स्कूल, जमीन पर है लेकिन सरकारी दस्तावेजों में नहीं

-सरकारी अभिलेख में पटना के सबसे पुराने स्कूलों में से एक इस स्कूल का जिक्र तक नहीं

PATNA: राजधानी पटना में देश की आजादी से पहले के गिने-चुने बडे़ स्कूल हैं जो स्थापना काल में आजादी से लेकर आज शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। ऐसे ही स्कूलों में दानापुर कैंट स्थित बलदेव इंटर स्कूल का नाम शामिल है। वर्तमान में दानापुर ऑटो स्टैंड से महज आधे किलोमीटर दूर स्थित यह स्कूल आज अपने अस्तित्व खोने के कगार पर है.1866 में स्थापित इस स्कूल के बारे में बिहार अभिलेखागार या किसी सरकारी रिकॉर्ड में कोई जिक्र नहीं है। यही वजह है कि वर्षो पुरानी बिल्डिंग के रिनोवेशन के प्रति सरकार उदासीन है।

1984 से इंटर की पढ़ाई

स्कूल की प्रिंसिपल डॉ कुमारी उषा सिंह बताती हैं कि 1984 से पहले इस स्कूल में मैट्रिक की पढ़ाई हो रही थी। इसके बाद अपग्रेड कर इंटर स्कूल का दर्जा दिया गया। बिहार बोर्ड के पैटर्न पर पढ़ाई होती है। वर्तमान में नौंवी से 12वीं तक के बच्चे पढ़ते हैं। 34 स्थायी और 5 अस्थायी शिक्षक हैं। जबकि 6 शिक्षकेत्तर कर्मचारी हैं। इस स्कूल के इतिहास और यहां के छात्रों के बारे में लिखित रूप से जानकारी नहीं के बराबर है। साथ ही यहां पढ़ने वाले स्टूडेंट्स का रिकार्ड भी डिजिटाइज नहीं किया गया है। विद्यालय से मिली जानकारी के अनुसार प्रशासनिक कामकाज का भी डिजिटाइजेशन नहीं हुआ है।

अविनाश चटर्जी थे पहले प्रिंसिपल

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के रिपोर्टर ने इसके इतिहास और तथ्यगत बातों की जानकारी के लिए साक्ष्य ढूंढ़ने का प्रयास किया। इसमें स्कूल के रिकॉर्ड से पता चला कि इसकी स्थापना 1866 में की गई। इसके संस्थापक के बारे में लिखित जानकारी तो नहीं है। लेकिन यह बात दर्ज है कि स्थापना वर्ष से लेकर 1914 तक अविनाश चटर्जी इसके प्रथम प्रिंसिपल के तौर पर अपनी सेवा दे चुके हैं। वे आईए पास थे।

बिहार सरकार कर रही अनदेखी

जहां एक ओर पटना कॉलेजिएट स्कूल, सेंट जोसेफ कान्वेंट स्कूल जैसे स्कूल आम और खास के बीच चर्चा में शुरू से रहे हैं। वहीं इन स्कूलों के समकालीन खड़ा हुआ इस स्कूल के बारे में न तो बिहार सरकार के अभिलेख में कोई जिक्र है और न ही वर्तमान में ही राज्य सरकार इस पर ध्यान दे रही है। यही वजह है कि आज भी यह सरकार की अनदेखी का शिकार है। वर्तमान में कार्यरत प्रिंसिपल डॉ कुमारी उषा ने वर्ष 2015 में ही इसके नए सिरे से रिनोवेशन के लिए लेटर लिख चुकी है। इसके बारे में रिमाइंड भी कराया गया है। लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है।

कभी भी गिर सकता है भवन

इस स्कूल में काफी पुराना लेक्चर थियेटर का भवन है। इसमें तीन कमरे हैं और यहां छत काफी क्षतिग्रस्त है, जो कि कभी भी गिर सकता है। प्रिंसिपल ने यह बताते हुए कहा कि ऐसे दो और लेक्चर थियेटर की भी यही हालत है। प्रत्येक क्लास में करीब 100 स्टूडेंट्स एक साथ बैठ सकते हैं।

बन सकता है मॉडल स्कूल

स्कूल के बड़े कैंपस का उल्लेख करते हुए प्रिंसिपल डॉ कुमारी उषा सिंह बताती हैं कि स्कूल के पास बड़ा कैंपस है और लोकेशन भी बेहतर है। यदि सरकार चाहे तो इसे मॉडल स्कूल के तौर पर विकसित कर सकती है। करीब पांच एकड़ के कैंपस में स्कूल की बिल्डिंग के अलावा कई प्रकार की सुविधाएं भी विकसित की जा सकती है जो कि अन्य स्कूलों में जगह की कमी के कारण शायद ही ऐसा हो पाता है। फिलहाल स्कूल को नए सिरे से रिनोवेट करने की सख्त जरूरत है।

पटना के पुराने स्कूल स्थापना वर्ष

पटना कॉलेजिएट स्कूल, बांकीपुर 1835

सेंट जोसेफ कान्वेंट हाई स्कूल, बांकीपुर 1853

सेंट माइकल हाई स्कूल, दीघा 1858

बदलेद इंटर स्कूल, दानापुर कैंट 1866

सेंट जेवियर हाई स्कूल, गांधी मैदान 1940

नोट्रेडेम एकेडमी, पाटलिपुत्र कॉलोनी 1960

सेंट कैरेंस हाई स्कूल, गोला रोड 1965

लोयला हाई स्कूल, कुर्जी 1969

इस स्कूल के बारे में बिहार अभिलेखागार में जिक्र नहीं है। लेकिन कॉलेज के पहले प्रिंसिपल के प्रमाण के आधार पर स्पष्ट है कि सन 1866 से यह स्कूल संचालित है।

-डॉ कुमारी उषा सिंह, प्रिंसिपल, बदलेव इंटर स्कूल, दानापुर कैंट