उठ रहे हैं सवाल
जानकारी के मुताबिक रक्षा अनुसंधान एवं विकास सचिव सह डीआरडीओ महानिदेशक तथा रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार रहे बीते 30 नवंबर को सेवानिवृत्त हो गए थे. वह अपनी 64 साल की आयु पूरा होने पर रिटारयर्ड हुए थे. इसके बाद उन्हें बीते साल 18 महीने का कॉट्रैक्ट दिया गया था. उनका अनुबंध 31 मई 2016 तक के लिए हुआ था. ऐसे में सरकार के चंद्र को अनुबंध देने के बाद उन्हें हटाए जाने से तरह तरह के सवाल उठ रहे हैं. आखिर ऐसी क्या वजह रही है कि अनुबंध पूरा होने के पहले मोदी सरकार ने उन्हें हटा दिया.

सहन नहीं किया जा सकता
वहीं कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उस टिप्पणी की पृष्ठभूमि में उठाया गया हो सकता है. जिसमें प्रधान मंत्री मोदी ने कहा था कि डीआरडीओ के निश्चिंतता वाले रवैये को कतई सहन नहीं किया जा सकता. हालांकि इस पूरे मामले में अविनाश चंद्र ने कोई टिप्पणी नहीं की है. बताते चले कि आईआईटी दिल्ली से इंलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद चंद्र ने 1972 में रक्षा विकास एवं अनुसंधान संस्थान कार्यभार संभाला था. इसके अलावा वह चंद्र अग्नि बैलेस्टिक मिसाइल प्रणाली श्रृंखला के मुख्य आधार रहे भी रहे हैं. इसमें उनकी विशेष भूमिका रही है.

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