--सब हेड-सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं लेने का भी सुनाया गया फरमान

--बैठक कर अनुसूचित क्षेत्रों में चल रहे सभी सरकारी स्कूलों को बंद कराने का लिया निर्णय

--स्कूल भवनों पर लिखे नाम को भी मिटाया, पोत दिया चूना व पेंट

-जब तक नहीं लागू होगी पांचवीं अनुसूची, तब तक होगा सरकारी योजनाओं का विरोध : समद

-आदिवासी बच्चों का कस्तूरबा विद्यालय में नामांकन रद करने पर ग्रामसभा ने लिया वार्डन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने का फैसला

खूंटी : पत्थलगड़ी कर सरकार को चुनौती देने वाले स्वयंभू ग्रामसभा ने अब सरकार व प्रशासन को खुली चुनौती देते हुए अनुसूचित क्षेत्रों में चलने वाले सभी सरकारी स्कूलों को बंद कराने का निर्णय लिया है। गुरुवार को ग्रामसभा ने कुरूंगा स्थित राजकीयकृत मध्य विद्यालय और पाहन टोली स्थित सरकारी विद्यालय को बंद करा दिया। इतना ही नहीं विद्यालय भवन में लिखे विद्यालय के नाम को भी चूना व पेंट से मिटा दिया। साथ ही सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं लेने का फरमान भी ग्रामीणों को सुनाया गया। यह निर्णय गुरुवार को कुरूंगा में हुई स्वयंभू ग्रामसभा की लगभग दो घंटे तक चली बैठक में लिया गया। वहीं, मीडिया से बात करते हुए कुरूंगा स्वयंभू ग्रामसभा के सचिव बलराम समद ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार जब तक अनुसूचित क्षेत्रों में पांचवीं अनुसूची लागू नहीं करती है तब तक हम लोग सरकार की तमाम योजनाओं का विरोध करेंगे। अनुसूचित क्षेत्र में तमाम सरकारी स्कूलों को भी बंद कराएंगे। सरकारी स्कूलों में आदिवासियों को रूढ़ी प्रथा की शिक्षा नहीं दी जाती है। सरकारी विद्यालय पाठशाला नहीं होटल बन गई हैं। यहां विद्यार्थियों से लेकर शिक्षकों तक का ध्यान हमेशा भोजन पर ही रहता है। उन्होंने कहा कि संविधान में जो भी आदिवासियों के लिए कानून बना है, उसे इस क्षेत्र में लागू किया जाना चाहिए। ऐसा नहीं होता है तो हम लोग संवैधानिक लड़ाई लड़ेंगे।

आवासीय प्रमाण पत्र को रिजेक्ट करना गलत

स्वयंभू महासभा के जॉन जुनास तिड़ू ने कहा कि रूढ़ीवादी प्रथा के अनुसार आदिवासी ग्रामसभा को तमाम शक्तियां दी गई हैं। यह सुप्रीम कोर्ट भी मानता है। ग्रामसभा द्वारा जारी आवासीय प्रमाण पत्र को सरकार नहीं मान रही है। आदिवासी बच्चों का कस्तूरबा विद्यालय में नामांकन रद कर दिया गया। इस पर ग्रामसभा ने कड़ा फैसला लिया है। कस्तूरबा विद्यालय की वार्डन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने का फैसला भी ग्रामसभा ने लिया है। इस अवसर पर कुरूंगा के ग्रामप्रधान सागर मुंडा, सोमा मुंडा सहित कई ग्रामीण मौजूद थे।

बच्चों का टीकाकरण करने से रोका

अड़की स्वास्थ्य केंद्र से एएनएम मधु टेरेसा ¨मज और विलासी तिड़ू गुरुवार को जब कुरूंगा गांव में बच्चों का टीकाकरण करने गई तो उन्हें ग्रामसभा ने रोक दिया। यद्यपि इस दौरान कई महिलाएं टीकाकरण कराने के लिए अपने बच्चों को साथ लाई थीं। वे लोग टीकाकरण कराने को तैयार भी थीं, लेकिन ग्रामसभा के निर्णय से एएनएम को वापस जाना पड़ा। कोई भी महिला अपने बच्चों को टीका नहीं दिलवा सकी। इस बाबत ग्रामीण महिला रानी समद और वीरन समद ने कहा कि हम लोग अपने बच्चों को निजी स्वास्थ्य केंद्रों में टीका दिलवाएंगे। ग्रामसभा का जो निर्णय हुआ है उसे तो मानना ही होगा।

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कोट-

झारखंड सरकार आदिवासी ग्रामसभा के अनुसार नहीं चलती है। स्कूल भवन में उनके द्वारा नाम मिटाने से क्या होगा। इस बार भवन में पहले से भी अच्छे तरीके से नाम लिखवाया जाएगा। जिस गांव के विद्यालय में कम बच्चे होंगे उसके बच्चों को दूसरे स्कूल में शिफ्ट कर दिया जाएगा।

-वेलेरियन तिर्की, जिला शिक्षा पदाधिकारी