नई दिल्ली (पीटीआई)। सरकार ने विदेशी निवेश वाली ई-काॅमर्स कंपनियों के लिए नियम कड़े कर दिए हैं। बदली हुई एफडीआई नीति फरवरी 2019 से लागू हो जाएगी। ऐसे में विदेशी निवेश वाली फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी ई-काॅमर्स कंपनियां एक्सक्लूसिव डील, भारी कैशबैक और छूट ऑफर नहीं कर सकेंगीं। बिना किसी भेदभाव सभी कारोबारियों को समान रूप से मौका देने और घरेलू कारोबारियों के हितों की रक्षा के वास्ते वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने यह कदम उठाया है। ध्यान रहे कि सरकार ने ई-काॅमर्स में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की इजाजत दे दी थी। इससे विदेशी निवेश वाली ई-काॅमर्स कंपनियां एक्सक्लूसिव डील, भारी छूट और कैशबैक ऑफर देकर उत्पदों के मूल्य प्रभावित कर रही थीं, जिससे अन्य घरेलू कारोबारियों के व्यवसाय में सेंध लग रही थी और उन्हें इन कंपनियों से कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा था।

25 फीसदी से ज्यादा सामान नहीं बेच पाएंगे ऑनलाइन

नई एफडीआई गाइडलाइन के मुताबिक, वेंडर्स 25 प्रतिशत से ज्यादा उत्पाद ऑनलाइन नहीं बेच पाएंगे। यह सीमा सिंगल ई-मार्केटप्लेस के लिए है। मंत्रालय के एक वरीष्ठ अधिकारी ने बताया कि एफडीआई नीति में बदलाव ई-काॅमर्स कंपनियों द्वारा मूल्यों के एकाधिकार या मनमाने पर रोक लग सकेगी। सरकार ने अपने नोट में कहा है कि ई-काॅमर्स कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले कैशबैक और भारी छूट वाले ऑफर पक्षपातपूर्ण नहीं होने चाहिए जिससे अन्य कारोबारियों के हित प्रभावित हों। यह सारी कवायद एक क्षेत्र के सभी कारोबारियों को समान रूप से पक्षपात रहित व्यवसाय का माहौल उपलब्ध कराने के मकसद से हो रही है। नये माहौल में सभी कारोबारियों को व्यवसाय का समान अवसर उपलब्ध होगा। ध्यान रहे कि मंत्रालय को घरेलू कारोबारियों से शिकायत मिल रही थी कि कुछ ई-काॅमर्स कंपनियां ग्राहकों को भारी छूट का लाभ देकर गलत व्यवसाय कर रही हैं।

कुछ ने किया स्वागत तो किसी ने कहा निवेश पर असर

स्नैपडील के सीईओ कुणाल बहल ने ट्वीट करके सरकार के इस कदम का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि बाजार विक्रेताओं खासकर जो कुटिर, लघु और मध्यम उद्योग हैं, उन्हें लाभ मिलेगा। इन बदलावों से सभी विक्रेताओं को ई-काॅमर्स तक अपनी पहुंच बनाने में मदद मिल सकेगी। अमेजन इंडिया के प्रवक्ता ने कहा कि अभी वे सरकार द्वारा जारी सर्कुलर की समीक्षा कर रहे हैं। एक अन्य कंपनी के वरीष्ठ ई-काॅमर्स कार्यकारी ने कहा कि सरकार के इस नये कदम से निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, जिससे नये विक्रेताओं को जोड़ने में मुश्किल आएगी। कारोबारी संगठन सीएआईटी ने कहा कि इस कदम से बाजार में बेहतर कारोबारी माहौल पैदा होगा। कपटपूर्ण व्यवसाय पर रोक लगेगी। यह संगठन बहुत पहले से ई-काॅमर्स पाॅलिसी और इस सेक्टर की निगरानी के लिए एक नियामक की मांग कर रहा है।

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