कैसे काम करेगा ट्रैकर
दरअसल, जीपीएस ट्रैकर डिवाइस एक छोटी से मशीन होगी, जो गाड़ी में छुपा कर लगा दी जाएगी। यह कार या बाइक किसी भी गाड़ी में लगायी जा सकती है। इसे लगाने के बाद यह गाड़ी की बैट्री से ही संचालित होगी। चौबीसों घंटे यह छोटी सी मशीन एक्टिव रहेगी। इसे कंपनी के दिल्ली स्थित क्लाउड सर्वर स्पेस से संचालित किया जाएगा। इसके सारे डेटा हमेशा स्टोर रहेंगे। जिस गाड़ी में इसे इंस्टॉल किया जाता है, अगर उसकी चोरी हो गईए तो मोबाइल में बैठे.बैठे गाड़ी का लोकेशान पता चल जाएगा। इसे स्थानीय पुलिस के साथ शेयर करते ही चोरी हुई गाड़ी बरामद कर ली जाएगी।

कितनी है कीमत और सालाना खर्च
ईगल आई ऑटोमेशंस के ऑपेरेशन मैनेजर अजय चौरसिया ने बताया कि इसकी शुरुआती कीमत पांच हजार रुपए है। एक साल तक इसके इंटरनेट और क्लाउड स्पेस का कोई खर्च नहीं लगेगा। इसके बाद हर साल एक हजार रुपए चार्ज लगेगा। कंपनी ने रांची में अधिकृत डिस्ट्रीब्यूटर पीवीआर मीडिया के विजय राघवन और ब्रजेश कुमार के अलावा एट्रेस भूमि की मौजूदगी में इसे लांच किया।

बच्चों के बारे में भी मिलेगी जानकारी
कंपनी ने पर्सनल ट्रैकर भी लॉन्च किया हैए जिससे बच्चों की खोज-खबर रखी जा सकती है। इससे न केवल लोकेशन का पता चलता है बल्कि एक अलार्म सिस्टम भी उपलब्ध हैए जिससे संकट के समय एक बटन दबाकर घर में अलार्म सिग्नल पहुंचाया जा सकता है और दो तरफ बातचीत भी की जा सकती है। इस छोटे से उपकरण को स्कूल बैग या जेब में भी रखा जा सकता है। स्कूल में जा रहे बच्चों के लिए भी एक अटेंडेंस कार्ड बनाया गया है, जिससे परिवार वालों को पता लग जाता है की बच्चा ठीक-ठाक से स्कूल पहुंच गया और स्कूल से कितने बजे बाहर निकला। यह स्कूल के आईडी कार्ड जितना ही है और आईडी कार्ड के पीछे ही रखा जाता है।