आई एक्सक्लूसिव

- जमीन, मकान और कॉमर्शियल प्रॉपर्टीज की खरीद-फरोख्त में किराएनामे का इस्तेमाल कर लगा रहे राजस्व को फटका

- राजस्व विभाग तैयार कर रहा टॉस्क फोर्स, किराएदारी से हो रही खरीद-फरोख्त कर कसेगा शिकंजा

-मेरठ में किराएदारी सर्वाधिक प्रचलन में, आबूलेन समेत विभिन्न स्थानों पर किराएदारी से हो रही खरीद

आई एक्सक्लूसिव

अखिल कुमार

Meerut: खजाने को करोड़ों का चूना लगाने वाले किराएदारों पर अब निबंधन विभाग की नजर टेढ़ी है। जमीन, मकान, कॉमर्शियल प्रॉपटीज की खरीद-फरोख्त में किराएनामे को प्रयोग में लाने वाले अब विभाग के रडार पर हैं। निबंधन विभाग द्वारा करीब 100 ऐसे नोटिस जारी किए गए हैं जिनमें किराएनामे से खरीद-फरोख्त की गई और किरायानामा पंजीकृत नहीं है। सीएम कार्यालय से आई एक शिकायत को भी विभाग संज्ञान में ले रहा है।

हो रही खरीद-फरोख्त

निबंधन विभाग का मानना है कि मेरठ में कैंट एरिया में खरीद-फरोख्त पर रोक का असर रेवेन्यू पर पड़ रहा है। ऐसे में कई ऐसे प्रकरण भी सामने आए हैं जब आबूलेन आदि डायमंड प्लेसेज पर रोक के बाद भी प्रॉपर्टी के मालिकान बदल रहे हैं। विक्रेता और क्रेता के बीच रजिस्ट्री का काम किरायानामा कर रहा है, दोनों के बीच आपसी तालमेल से एक ओर जहां विभाग को करोड़ों रुपये राजस्व हानि हो रही है तो वहीं रक्षा मंत्रालय के आदेश भी ठेंगे पर हैं। कैंट एरिया के अलावा शहर के अन्य हिस्सों में भी मॉल, इंडस्ट्री, वेयरहाउस, गेस्ट हाउस, दुकानों और मकानों को प्रतिमाह लाखों रुपये किराए पर दिया जा रहा है। विभाग के लिए ऐसी संपत्तियों को तलाशना मुश्किल है जिनकी खरीद-फरोख्त का आधार रजिस्ट्री नहीं किरायानामा है। ऐसे में निबंधन विभाग ने अन्य विभागों से संपर्क स्थापित कर किराएनामों को खंगालना शुरू कर दिया है।

पंजीकरण आवश्यक

स्टांप एक्ट के तहत निबंधन विभाग किराए की संपत्ति पर स्टांप वसूल सकता है। कुल किराए की धनराशि पर 2 फीसदी स्टांप देना जरूरी होता है। हालांकि किराया तय करने का अधिकार संपत्ति मालिक को है और किराएनामे का पंजीकरण आवश्यक है। एआईजी स्टांप संजय श्रीवास्तव ने बताया कि बिना पंजीकरण के किरायानामा पूरी तरह अवैध है.संपत्ति मालिक को इसका खामियाजा भुगतना होगा। उन्होंने बताया कि स्टांप एक्ट की धारा 33 व 47 के तहत बिना पंजीकरण और स्टांप शुल्क जमा किए किराए पर दी गई संपत्ति पर जुर्माने का प्रावधान है। निर्धारित स्टांप का दस गुना तक विभाग जुर्माना वसूल सकता है।

मांगी जानकारी

एआईजी ने बताया सब रजिस्ट्रार नगर निगम, कैंट बोर्ड, मेरठ विकास प्राधिकरण, इनकम टैक्स, बैंक, बिजली, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, सेल्स टैक्स, एक्साइज विभाग आदि सहित विभिन्न विभागों से किराएनामे के आधार पर मिली अनुमति या नामांतरण की पड़ताल कर रहे हैं। सभी विभागों को पत्र लिखा गया है कि वे अपने यहां ऐसे किराएनामों का ब्योरा दे दें जिनका रजिस्ट्रेशन निबंधन विभाग में नहीं है।

सीएम ऑफिस को शिकायत

नगर पंचायत परीक्षितगढ़ के अधिशासी अधिकारी पर किराएनामे के आधार पर नामांतरण कराने के आरोप हैं। सुदेश कुमार ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से शिकायत की थी कि अधिशासी अधिकारी ने विधिक जानकारी के अभाव में अध्यक्ष और सभासदों से उस आदेश को पास करवा लिया जिसमें किराएनामे के आधार पर प्रॉपर्टी नामांतरण हो सके। 2500 रुपये अदा कर नगर पंचायत भवन कर अभिलेखों में नामांतरण कराया है। सीएम कार्यालय के निर्देश पर एआईजी इस प्रकरण की जांच कर रहे हैं।

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किराएनामों के आधार पर नामांतरण, कंपनी फर्म के रजिस्ट्रेशन, सेल्स टैक्स, इनकम टैक्स अदायगी, ड्रग लाइसेंस, ठेकेदारी लाइसेंस, बिजली के कनेक्शन आदि जारी कराने का काम चल रहा है। ज्यादातर किराएनामे बिना पंजीकरण के फर्जी होते हैं जो सरकार के खजाने को हानि पहुंचाते हैं। ऐसे प्रकरणों को चिह्नित कर कार्रवाई की योजना निबंधन विभाग ने बनाई है। करीब 100 नोटिस जारी किए गए हैं।

संजय श्रीवास्तव, एजीआई, असिस्टेंट कमिश्नर निबंधन

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