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PATNA (31 March): पटना में आबादी के बढ़ते दवाब के कारण चारों ओर कंक्रीट के जंगल उगते चले जा रहे हैं और इस क्रम में सिटी की हरियाली को लगातार ग्रहण लग रहा है. हर गली-कूचे में बन रहे अपार्टमेंटों की तेज रफ्तार ने राजधानी में ग्रीन एरिया लगभग खत्म सा कर दिया है. हवाओं में जहर घुलता जा रहा है और इसी का नतीजा है कि आज सिटी में सांस के रोगियों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. लगातार शहरीकरण और बेतहाशा बढ़ती आबादी के लिए सुविधा के नाम पर प्राकृतिक रूप से वन क्षेत्र रहे एरिया में सरकारी और रिहाइशी भवन खड़े हो चुके हैं. इस समस्या का संबंध पटना की आबो-हवा के जहरीली होने से भी है. पटना वर्तमान में दुनिया का पांचवां सबसे प्रदूषित शहर है.

इन इलाकों में गायब हुई हरियाली

पटना का भौगोलिक विस्तार पूर्व से पश्चिम की ओर ज्यादा है जबकि उत्तर से दक्षिण की ओर अपेक्षाकृत कम हैं. इसमें जहां पटना का पूर्वी हिस्सा ऐतिहासिक काल से ही सघन आबादी वाला रहा है. यह 80 के दशक से तेजी से पश्चिम की ओर भी विस्तृत होने लगा. इसमें दानापुर, फुलवारीशरीफ, खगौल का एरिया शामिल है. इन इलाकों में दानापुर में कैंट एरिया को छोड़कर सभी इलाकों में बेहद कम आबादी थी. लोग खेती पर निर्भर थे. बडे़-बड़े पेड़ों की संख्या आज की तुलना में काफी अधिक थी.

न्यू कैपिटल रीजन ज्यादा प्रभावित

प्रसिद्ध इतिहासकार और पटना निवासी ओपी जायवसाल की माने तो ऐतिहासिक काल से लेकर अब तक पटना के स्वरूप में भारी परिवर्तन हुआ है. डाकबंगला के आगे का हिस्सा, जिसे अंग्रेजों ने न्यू कैपिटल रीजन नाम दिया. यहां सरकारी भवन ही थे. लेकिन आजादी के एक-दो दशक बाद यहां भी बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बनने लगीं. इसका विस्तार इतनी तेजी के साथ हुआ कि हरियाली वाले इलाके शहरों में त?दील होते चले गए. पर्यावरण वन क्षेत्र से कार्बन डाईआक्साइड की मात्रा को नियंत्रित करने में भी सहूलियत होती है.

सड़कों से गायब हो गए पेड़

केवल दो वर्ष पहले की बात करे तो पटना की सबसे प्रमुख सड़क बेली रोड का चौड़ीकरण नहीं हुआ था और इसके दोनों किनारों पर विशाल पेड़ इनकम टैक्स एरिया से लेकर सगुना मोड तक लहलहाते थे. बेली रोड़ का चौड़ीकरण करने के लिए सैंकड़ों पेड़ कट चुके हैं. इस बारे में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के वन संरक्षक सह अतिरिक्त सचिव सुरेंद्र सिंह का कहना है कि बेली रोड पर सभी पेड़ नियमानुसार काटे गए हैं और इसके स्थान पर नए सिरे से पौधारोपन किया जाएगा. यह चौड़ीकरण कार्य के पूर्ण होने के बाद किया जाएगा. वहीं, अनीसाबाद से खगौल तक भी सड़क के दोनों किनारों पर विशाल पेड़ थे. देख-रेख के अभाव में सूख चुके हैं.

सिमट गया है ग्रीन बेल्ट

गर्दनीबाग क्षेत्र और पटना जू को छोड़ पटना का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जिसे ग्रीन बेल्ट कहा जा सके. दोनों ही सरकारी तौर पर संरक्षित क्षेत्र है और अब तक यह ग्रीन बेल्ट के तौर पर सुरक्षित है. हालांकि, वाहनों की संख्या बढ़ने से यहां भी प्रदूषण का स्तर बढ़ा है. इतिहासकारों की माने तो वेस्ट पटना का एरिया में भी सघन ग्रीन कवर हुआ करता था. लेकिन अब यह ढूंढने से भी नहीं मिलता है.