RANCHI : टीबी को जड़ से मिटाने के लिए अब मेडिकल वैन लोगों के घर तक जाएगी। जहां टीबी के लक्षण होने पर मरीजों का मेडिकल वैन में ही तत्काल एक्सरे किया जाएगा। साथ ही उनके स्पूटम की भी जांच की जाएगी। जिससे कि यह पता लगाया जा सकेगा कि मरीज को खांसी टीबी की वजह से तो नहीं है। गुरुवार को इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के टाई टीबी प्रोजेक्ट के तहत सात मेडिकल वैन को गवर्नर द्रौपदी मुर्मू ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह वैन पायलट प्रोजेक्ट के तहत वेस्ट सिंहभूम और गुमला में मूव करेगी। इसके बाद यह योजना झारखंड के अन्य जिलों भी लागू की जाएगी।

हंड्रेड परसेंट इलाज संभव

टीबी का इलाज अब संभव है। लेकिन उसके लिए दवा का कोर्स पूरा करना जरूरी है। ये बातें गुरुवार को रिम्स में गवर्नर द्रौपदी मुर्मू ने कहीं। उन्होंने कहा कि उनकी फैमिली में भी आधे लोगों की जान टीबी के कारण गई। उस समय अवेयरनेस की भी कमी थी। इस मौके पर मौके पर हेल्थ मिनिस्टर रामचंद्र चंद्रवंशी, एडिशनल हेल्थ सेके्रटरी सुधीर त्रिपाठी, आइसीएमआर की डायरेक्टर डॉ.सौम्या स्वामीनाथन, आइसीएमआर की रीजनल हेड संघमित्रा पति, डीआइसी डॉ.सुमंत मिश्रा और रिम्स के डायरेक्टर डॉ.बीएल शेरवाल मौजूद थे।

ऑनलाइन भेजी जाएगी डॉक्टर को रिपोर्ट

वैन में मरीजों का टेस्ट करने के बाद एक्सरे और स्पूटम टेस्ट की रिपोर्ट इमेल से या फिर मोबाइल पर डॉक्टर को भेज दी जाएगी। इसके बाद डॉक्टर कंफर्म करेंगे कि मरीज को टीबी है या नहीं। अगर मरीज को टीबी कंफर्म हो जाती है तो फिर उसे टीबी का 6 महीने का कोर्स कराया जाएगा। इसके लिए सहियाओं की मदद ली जाएगी। साथ ही वैन में डाइबिटीज ौर एचआइवी टेस्ट की भी सुविधा उपलब्ध रहेगी।