RANCHI : सिटी में पानी को लेकर हाहाकर मचा है। कई इलाके ड्राई जोन बन चुके हैं। यहां ग्राउंड वाटर लेवल रसातल में चला गया है। ऐसे में पानी की खातिर लोग सड़क पर उतर रहे हैं, लेकिन नगर निगम से लेकर विभाग के आला अफसर तक के पास इसका जवाब नहीं है कि वे इस जल संकट से कैसे निपटारा पाएं। फिलहाल निगम की ओर से रांची के विभिन्न इलाकों में 200 से ज्यादा टैंकर पानी पहुंचा कर लोगों की हलक की प्यास बुझाने की कोशिश में जुटा है। लेकिन बुनियादी सवाल ये हैं कि आखिर ऐसे हालात के लिये कौन जिम्मेदार हैं। हम, सरकार या हमारे द्वारा उत्पन्न की गई व्यवस्था? लेकिन, इसका खामियाजा हर किसी को भुगतना पड़ रहा है। अगर हम पानी संरक्षण के लिए सचेत नहीं होते हैं तो यह शहर भी केपटाउन बन सकता है।

पानी नहीं हो रहा रिचार्ज

सिटी में तालाबों के खत्म होने से सबसे ज्यादा परेशानी भूगर्भ के जलस्तर को हुई है जिस वजह से कई इलाकों में वाटर लेवल पाताल में जा पहुंचा है। इसके अलावा तालाबों के रख रखाव में देर से जागी सरकार भी इसके लिये जिम्मेवार है। लोगो ंका कहना है कि अगर समय रहते सरकार चेत जाती तो सिटी की ये हालत नहीं होती और न ही तालाब राजधानी से गायब होते। सिटी को कभी तालाबों का शहर कहा जाता था लेकिन आज मात्र 40 तालाब ही बचे हैं और जमीन रिचार्ज नहीं हो पा रही है।

हो रही अंधाधुंध बोरिंग

सिटी में अंडरग्राउंड वाटर की बहुत ही खतरनाक है। अंधाधुध बोरिंग और भवन निर्माण की वजह से अत्यधिक जल का दोहन किया जा रहा है। दस साल पहले जहां 200 फीट तक पानी आसानी से मिल जाया करता था वहीं अब 400 फीट तक मिल भी नहीं मिल पा रहा है।

वाटर हार्वेस्टिंग फेल

राजधानी में ऐसे करीब एक लाख 58 हजार मकान है जो नगर निगम से रजिस्टर्ड हैं, लेकिन इसका दूखद पहलू यह है कि अब तक मात्र 11 हजार 200 घरों में ही हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की गई है। जबकि हर साल नगर निगम की ओर से 100 से ज्यादा घरों के नक्शों को स्वीकृत किया जाता है। मतलब साफ है कि रजिस्टर्ड घर होने के अलावा भी रांची में करीब एक लाख घर ऐसे हैं जो नक्शा विचलन करके बनाये गये हैं और उनमें वाटर हार्वेस्टिग की कोई व्यवस्था नहीं है।

नौ मीटर गिरा ग्राउंड वाटर लेवल

साल 2009 से 2015 के बीच जल स्तर में नौ मीटर तक की गिरावट दर्ज की गयी है। यानी जिनकी बोरिंग पर निर्भरता हैए उनके सामने अब बोरिंग फेल होने का खतरा भी है। विद्यानगर, किशोरगंज, रातू रोड में कई ऐसे लोग हैं, जिन्होंने बोरिंग करायी और दो साल बाद ही गर्मी के मौसम में बोरिंग से पानी आना बंद हो गया। रांची शहरी क्षेत्र में पूरी आबादी को पानी उपलब्ध कराने के लिए कुल 61 जलमीनार की जरूरत है, पर इस समय 24 जलमीनार ही हैं।

ये इलाके हो चुके हैं ड्राई जोन घोषित

नगर निगम द्वारा हरमू कॉलोनी से लेकर विद्यानगर, न्यू मधुकम, किशोरगंज, आनंद नगर, मधुकम, खादगढ़ा, रातू रोड तक के इलाके को ड्राइजोन के रूप में चिन्हित किया गया है। वर्तमान में इन इलाकों में जल संकट की स्थिति सबसे अधिक है। फिलहाल पानी के लिए इन इलाकों में सबसे अधिक हाहाकार की स्थिति रहती है।

कैसे ग्राउंड वाटर लेवल हो मेंटेन

अगर हर घर में वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था को सुनिश्चित किया जाय ताकि जमीन के पानी को रिचार्ज किया जा सके तो इस समस्या से निजात पाई जा सकती है। गौरतलब है कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था रहने से लगातार घर और वर्षा के पानी को संप में डाला जाता है जिससे आपके यहां अगर बोरिंग या कुंआ है तो उसका लेवल बरकरार रहता है। विशेषज्ञों के अनुसार छोटा हार्वेस्टिंग सिस्टम भी आपके 50 फीट के एरिया की जमीन को रिचार्ज करता है।

सिटी में भूमिगत जल की स्थिति

एरिया 2008 2018

कांके रोड 150 फीट 300 फीट

रातू रोड 145 फीट 320 फीट

हरमू हाउंिसग 170 फीट 350 फीट

बूटी मोड़ 140 फीट 270 फीट

डोरंडा - 190 फीट 370 फीट

कोकर 180 फीट 350 फीट

धुर्वा 210 फीट 430 फीट