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पटना का ग्राउंड वाटर दुनिया भर में शुद्धता की श्रेणी में नंबर वन है. यह इतना शुद्ध है कि ग्राउंड वाटर को पोर्टेबल बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है. इस मामले में पूरा पटना जिला तो नहीं शहरी क्षेत्र भी इसमें शामिल है. इस बात की पुष्टि हाल पीएचईडी डिपार्टमेंट के द्वारा स्टेट लैब में जांच के उपरांत भी साबित हुआ. जानकारी हो कि इसके पटना स्थित स्टेट लैब में 15 पारामीटर पर वाटर क्वालिटी की जांच की जाती है. ऐसी कई जांच में यह अशुद्धि रहित पाया गया है. बिहार और दुनिया के तमाम जगहों पर ग्राउंड वाटर लेवल में कुछ न कुछ प्रदूषक होने के कारण उसे पोर्टेबल वाटर या कहें कि पीने लायक बनाया जाता है ताकि पीने के पानी में अशुद्धता न रहे.

मात्र 20 फीट पर ही मिल रहा पानी

पटना की भौगोलिक संरचना ग्राउंड वाटर के मामले में यूनिक है. यूं तो पटना में बोरवेल करने के लिए कम से कम 240 फीट की गहराई अनिवार्य है. इस बात को पीएचईडी डिपार्टमेंट भी मानता है. लेकिन नौबतपुर एरिया में मात्र 20 फीट में पानी मिलने लगता है. ऐसा माना जाता है कि यह कभी सोन नदी का बहाव क्षेत्र रहा होगा.

दुनिया में चिली का ग्राउंड वाटर सबसे शुद्ध

पटना मेन टाउन में ग्राउंड वाटर की क्वालिटी की तुलना दक्षिण अमेरिकी देश चिली के दक्षिणवर्ती क्षेत्र के प्यूर्टो विलियम्स इलाके से की जा सकती है. यहां का ग्राउंड वाटर बिल्कुल प्योर पाया गया है. यहां भी ग्राउंड लेवल वाटर को सीधे पीने के काम में लाया जा सकता है.

240 फीट पर पानी निकलेगा

पीएचइडी डिपार्टमेंट में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर नित्यानंद प्रसाद ने बताया कि पटना में 240 फीट की गहराई की जाए तो पानी में कोई अशुद्धि नहीं मिलेगा. कम गहराई वाले बोरिंग के कारण अशुद्धियां आने की संभावना रहती है. पटना मेन टाउन में ऐतिहासिक काल में सोन नदी की उपस्थिति और इसके लाल बालू के कारण पानी साफ रहता है.

सोन सैंड है बड़ा फैक्टर

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी, वाल्मी पटना के साइंटिस्ट विश्वजीत चक्रवर्ती ने बताया कि पटना प्राकृतिक रूप से सोन नदी के एरिया में फैला हुआ है. जबकि गंगा नदी इसके दक्षिण में बहती है. पटना का अधिकांश हिस्सा सोन नदी का क्षेत्र है. इसका लाल बालू अंडरग्राउंड वाटर के फिल्टरेशन में बहुत ही कारगर है. बिल्कुल ऐसी स्थिति पटना के शहरी क्षेत्र को छोड़ कहीं और नहीं है. इसलिए यह एक प्रकार से अतुलनीय है. इस प्रकार सोन सैंड एक बड़ा फैक्टर है.