-अशिक्षा के लिए सिस्टम को दोषी मानते हैं यंगस्टर्स

-ग्रुप डिस्कशन में बेहतर एजुकेशन सिस्टम पर एक मत दिखे स्टूडेंट्स

ALLAHABAD: अब वो जमाना नहीं, रहा जब चुनाव के मुद्दे पर केवल बड़ों को ही अपनी बात रखने की आजादी थी। अब तो यंगस्टर्स भी खुल कर न सिर्फ मुद्दे रख रहे हैं, बल्कि मुद्दों पर चर्चा के साथ ही पॉलिटिशियंस से यह एक्सपेक्ट करते हैं कि वे सिस्टम को बदलें और डेवलपमेंट कराएं। जिस तरह बिजनेसमैन चाहता है कि उसका मार्केट बढ़े, उसी तरह स्टूडेंट्स और यंगस्टर्स यह चाहते हैं कि इस देश का एजुकेशन सिस्टम बदले और उन्हें अपना बेस्ट देने का मौका मिले।

चुनाव को लेकर क्या चल रहा है माहौल? यह जानने के लिए आईनेक्स्ट रिपोर्टर टयूजडे को निराला आर्ट गैलरी कैंपस पहुंचा, जहां ग‌र्ल्स का एक ग्रुप बैठ कर आपस में बातें कर रहा था। आईनेक्स्ट रिपोर्टर ने जब ग‌र्ल्स के बीच चुनाव को लेकर मुद्दे की बात छेड़ी तो फिर ग्रुप डिस्कशन शुरू हो गया, जिसमें तमाम फैक्ट पर सवाल खड़ा किया।

वाह रे महंगाई, हाय रे महंगाई

चुनाव पर बात शुरू करते ही सुष्मिता वर्मा ने कहा वाह रे महंगाई, हाय रे महंगाई ये महंगाई तो अब जान लेकर छोड़ेगी। पास बैठी शिल्पा बोली तुम्हे महंगाई की चिंता क्यों है, तुम्हारा बैंक बैलेंस तो मजबूत है। सुष्मिता ने कहा हां मजबूत तो है, लेकिन यही हाल रहा, महंगाई बढ़ती रही तो बैलेंस खाली होने में देर नहीं लगेगा।

सब कुछ महंगा जो होता जा रहा है। घर से जो पैसा मिलता है, उससे मंथली खर्च चला पाना भी मुश्किल हो रहा है। मार्केटिंग के लिए पैसा ही नहीं बरहा है।

क्यों नहीं हो रही प्लानिंग

डिस्कशन को आगे बढ़ाते हुए शामिल हुई जूही ने कहा, यार बात तो सही है। लेकिन महंगाई पर कंट्रोलिंग के लिए कोई प्लानिंग क्यों नहीं हो रही है। इस देश में एक से बढ़कर एक आर्थिक सलाहकार और नीतिकार हैं, लेकिन उनकी नीति क्या कर रही है। ये दिग्गज क्या झक मार रहे हैं, जो कोई प्लानिंग नहीं कर पाहे हैं।

काश, तुम भी मंत्री बन जाती

तभी पास बैठी रेनू ने कहा, काश तुम इस देश की मंत्री बन जाती तो जरूर कुछ बदल जाता। जो बातें और विचार तुम्हारे दिमाग में आ रहे हैं, वो इस देश के नेताओं के दिमाग में नहीं हैं।

हायर एजुकेशन तो बस अमीरों के लिए

शिल्पा ने बात बढ़ाते हुए कहा, देखो यार अब ये हायर एजुकेशन तो बस बड़े और अमीरों तक सीमित रह गया है। गरीब घर के स्टूडेंट्स तो बस ग्रेजुएशन तक ही सिमट कर रह जा रहे हैं। क्योंकि बाहर जाकर महंगे-महंगे कॉलेजों में एडमिशन लेना उनके वश की बात नहीं।