- दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के ग्रुप डिस्कशन में प्रिंसिपल्स ने रखी अपनी बातें

- अपनी चाहत थोपने के बजाए पहले पेरेंट्स पहले जांच लें अपने लाडले की क्वालिटी

- प्रिंसिपल और स्कूल को भी समझनी होगी अपनी जिम्मेदारी

GORAKHPUR: कॅरियर का सही सेलेक्शन इस वक्त की सबसे बड़ी प्रॉब्लम है। पेरेंट्स बच्चों को कुछ करवाना चाहते हैं। यार-दोस्त अपने साथ लेकर चलना चाहते हैं मगर स्टूडेंट्स की चाहत कुछ और है। इस दुविधा को दूर करने में अगर स्कूल और टीचर्स हेल्प भी करें, तो उनके विचार को एक सिरे से नकार दिया जाता है। पेरेंट्स अपनी चाहत बच्चों पर थोप देते हैं और नतीजा कॅरियर बनाने के लिए बढ़ रहे कदम इतने रोड़ों के बीच अटक जाते हैं, जिससे फ्यूचर की राह तंग हो जाती है। यह बातें सामने आई दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से कॅरियर सेलेक्शन को लेकर ऑर्गनाइज ग्रुप डिस्कशन में। जहां रिनाउंड स्कूल्स के प्रिंसिपल ने अपने दिल की बात रखी। इस दौरान यह बात सामने आई कि अगर पेरेंट्स पहले अपने बच्चे की एबिलिटी को समझें और इसके बाद उनके कॅरियर की राह चुने, तो यह काफी मददगार होगा। इससे बच्चा भी पढ़ाई कंप्लीट करने के बाद कहीं जॉब के लिए नहीं भटकेगा।

आईआईटी काफी मददगार

डिस्कशन के दौरान दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से ऑर्गनाइज होने वाले इंडियन इंटेलिजेंस टेस्ट की सभी प्रिंसिपल ने सराहना की। उन्होंने कहा कि पेरेंट्स को आईआईटी से कॅरियर की सही राह चुनने का ऑप्शन मिल जाता है, जिसे अगर पेरेंट्स सीरियली स्टडी कर फॉलो करें, तो उनके लाडले का कॅरियर सक्सेज की सीढि़यों पर आगे बढ़ेगा। लेकिन इसमें जो सच है वह यह कि पेरेंट्स बच्चे का कॅरियर जानने के लिए टेस्ट तो दिलवा देते हैं, लेकिन इसके रिजल्ट पर वह कभी ध्यान नहीं देते। उन्हें जो रिजल्ट मिलता है वह किताबों के बीच दबकर रह जाता है, जबकि सर्टिफिकेट ड्राइंग रूम के शो-केस में सज जाता है। पेरेंट्स को सबसे पहले इसकी स्टडी करनी चाहिए और इसी के अकॉर्डिग आगे की भी प्लानिंग करनी चाहिए।

स्कूल के जिम्मेदार भी निभाएं जिम्मेदारी

पेरेंट्स के बाद अगर बच्चों के फ्यूचर को संवारने के लिए कोई जिम्मेदार है, तो वह है स्कूल के प्रिंसिपल और टीचर्स। डिस्कशन के दौरान सभी प्रिंसिपल ने एक मत में इस बात पर सहमति जताई कि 5 या 6 क्लास से ही टीचर्स और प्रिंसिपल स्टूडेंट्स की एबिलिटी पर फोकस करना शुरू कर दें। बच्चों का रिजल्ट जो आए उसके हिसाब से उनके इंटरेस्ट को जाने, एक्स्ट्रा कॅरिकुलर एक्टिविटी में रहने वाले स्टूडेंट्स जिनका पढ़ाई में इंटरेस्ट नहीं है, उन्हें प्वाइंट आउट करें। इसके बाद जब 9-10 क्लास में स्ट्रीम सेलेक्शन की बात आए, तो पेरेंट्स को इस बात के लिए कनविंस करें कि फ्लां कॅरियर चुनकर उनके बच्चों का फ्यूचर ब्राइट हो सकता है।

आज के स्टूडेंट्स के लिए फ्रेंड ही सबकुछ हैं। उनका प्रेशर पड़ा कि मैं यह सब्जेक्ट सेलेक्ट कर रहा हूं, तो स्टूडेंट्स भी उसी ओर बढ़ चलते हैं। आज फ्यूचर फ्रेंड, रिलेटिव और फ्रेंड्स तय कर रहे हैं। पेरेंट्स को चाहिए कि पहले अपने बच्चे का इंटरेस्ट जाने और जिस भी सब्जेक्ट की वह पढ़ाई करना चाहता है, उसे उसको पढ़ने की खुली छूट दें।

- केएल श्रीवास्तव, प्रिंसिपल, नवल्स एकेडमी रुस्तमपुर

कोई ऐसी फील्ड नहीं है, जिसमें स्कोप नहीं है। हर फील्ड में बेहतर कॅरियर बनाया जा सकता है। बस इसके लए स्टूडेंट्स का टैलेंट पहचानने की जरूरत है। इसमें प्रिंसिपल और टीचर्स का अहम रोल है। घर का प्रेशर बच्चों के टैलेंट को दबा देता है। पेरेंट्स, टीचर्स और स्टूडेंट्स से एजुकेशन सिस्टम चलता है, जब तक तीनों का कोऑपरेशन नहीं होगा, बेहतर रिजल्ट नहीं मिलेंगे।

- बबिता शर्मा, प्रिंसिपल, बंबिनी इंटरनेशनल स्कूल

आजकल साइंस, मैथ्स हर तरह से डिमांड में है। सभी इंजीनियरिंग और डॉक्टर बनने के लिए भाग रहे हैं। लेकिन यूथ काफी कनफ्यूजन में है। उन्हें यह नहीं पता कि क्या करना है। इसके लिए ऐसे टेस्ट होने चाहिए, जिससे कि बच्चों की एबिलिटी पता चल सके।

- सुमित कोहली, प्रिंसिपल, आरपीएम रुस्तमपुर

पूर्वाचल में सबसे ज्यादा जोर इंजीनियर और डॉक्टर बनने का है। बच्चे तो अपने दोस्तों को देखकर आगे बढ़ रहे हैं। वहीं कुछ ऐसे हैं जो पेरेंट्स के दबाव की वजह से अपना कॅरियर चुनने के लिए मजबूर हैं। बच्चों के ब्राइट फ्यूचर के लिए पेरेंट्स की काउंसिलिंग की भी जरूरत है।

- संजय कुमार सिंह, आरपीएम, ग्रीन सिटी

पेरेंटल सोसाइटी और एजुकेशन सिस्टम के बीच दूरियां काफी बढ़ गई हैं। पेरेंट्स अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देते और सिर्फ अपना आदेश उनपर थोप देते हैं, जबकि बच्चे टीचर्स के दबाव में पढ़ाई करते हैं, लेकिन उन्हें कुछ समझ में नहीं आता। उन्हें अपने इंटरेस्ट के हिसाब से पढ़ाई करनी होगी और स्कूल को भी इसकी छूट देनी होगी।

- मथुरा प्रसाद पांडेय, प्रिंसिपल, माउंट लिटेरा जी स्कूल

पेरेंट्स के लिए सोशल स्टेटस काफी अहम हो गया है। वह यह सुनना चाहते हैं कि फ्लां का बेटा इंजीनियर या डॉक्टर है। इसके लिए वह कर्ज तक ले लेते हैं, जिसका रिटर्न उन्हें नहीं मिलता है। ऐसे सर्वे है कि जिन लोगों के स्टूडेंट्स का इंटरेस्ट जाने बगैर बच्चों को पढ़ाया है, ऐसे महज 3 या 4 परसेंट लोग ही कॅरियर बनाने में कामयाब हो सकें हैं।

- पशुपति नाथ मौर्या, प्रिंसिपल, ओंकार शिक्षा निकेतन

कॅरियर चुनना कितना मुश्किल है, मैंने हाल में ही फेस किया है। बेसिक लेवल पर स्कूल अच्छा गाइड करते हैं, लेकिन पेरेंट्स कुछ समझना ही नहीं चाहते। उन्हें आसपास सोसाइटी में जैसा माहौल मिला, अपने बच्चों को वह वैसा ही देखना चाहते हैं। इसमें वह यह भूल जाते हैं, कि उनके बच्चे में क्या कैपाबिल्टी है। इस ओर पेरेंट्स को काफी ध्यान देने की जरूरत है।

- ई। जय गुप्ता, डायरेक्टर, स्टेपिंग स्टोन इंटर कॉलेज

कॅरियर चुनने के लिए जरूरी है कि बच्चों की स्किल को बेहतर तरीके से समझा जाए। इसके कई तरीके हो सकते हैं। एक दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से ऑर्गनाइज होने वाला आईआईटी टेस्ट इसका अच्छा एग्जामपल है। इसके अलावा टीचर्स फीड बैक, मार्कशीट और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में स्टूडेंट्स का रोल और परफॉर्मेस भी उनके बारे में सही आइडिया दे सकते हैं।

-विनीत सिंह, कॅरियर काउंलर, मेधा

यह रही कुछ खास बातें

- पेरेंट्स बच्चों को इंटरेस्ट के हिसाब से कॅरियर चुनने की आजादी दें।

- रेग्युलर इंटेलिजेंस और एप्टीट्यूड परखा जाए और उसी के हिसाब से आगे की तैयारी की जाए।

- टॉपर्स और बैकबेंचर्स के अलावा दूसरों पर भी ध्यान दिया जाए।

- स्कूल मैनेजमेंट बच्चों के टैलेंट और स्किल पर 6वीं क्लास से ही ध्यान दें।

- एजुकेशन पॉलिसी में भी काफी सुधार की जरूरत है।

- पेरेंट्स अपने बच्चों के लिए टाइम निकालें और उन्हें प्रॉपर गाइडेंस दें।

- मा‌र्क्स से सिर्फ मेमोरी और माइंड एबिलिटी का पता चलता है न कि टैलेंट का।

- स्टूडेंट्स फ्रेंड्स की सुनने के बजाए उसी सब्जेक्ट का सेलेक्शन करें, जिसे वह पढ़ सकते हैं।

- डॉक्टर और इंजीनियर ही नहीं बल्कि सभी फील्ड में कॅरियर संवारने के ऑप्शन।