- जीएसटी व ई-वे बिल को लेकर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से हुआ ग्रुप डिस्कशन

GORAKHPUR: गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को लागू हुए एक साल हो चुका है। एक साल में जीएसटी ने पूरे देश के व्यापार को प्रभावित किया। ऐसे में गोरखपुर के व्यवसाय पर भी इसका प्रभाव पड़ना लाजमी है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जीएसटी के बाद शहर के व्यापार में हुए बदलाव, होने वाले फायदे व नुकसान को जानने के लिए लगातार इस पर रिपोर्ट प्रकाशित की। पांच दिनों के इस अभियान में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने पाठकों को रिटर्न फाइल करने में व्यापारियों को होने वाली समस्या, किराना व्यापार, कपड़ा व्यापार, स्कूल ड्रेस व स्टेशनरी और ट्रांसपोर्टर्स पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बताया। गुरुवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ऑफिस में विभिन्न व्यापारी नेताओं और सेल टैक्स विभाग के अधिकारियों के साथ ग्रुप डिस्कशन आयोजित किया गया। जिसमें व्यापारियों ने व्यवहारिक तौर पर आने वाली समस्याओं से अवगत कराया और सभी सवालों के जवाब देते हुए व्यापारियों को संतुष्ट किया।

सवाल 1- ई-वे बिल जनरेट करने के समय कई बार पोर्टल काम नहीं करता है। जिसकी वजह से कई बार हमें जुर्माना भरना पड़ता है। इसमें हमारी गलती नहीं है फिर हम जुर्माना क्यों दें।

जवाब - कोई भी पोर्टल ऐसा नहीं होता है जिसे मेंटनेंस की जरूरत नहीं पड़ती हो। व्यापारी यदि समय के प्रति जागरूक रहें तो ऐसी समस्या से बचा जा सकता है।

सवाल 2 - सचल दल द्वारा जिस शहर में गाड़ी पकड़ी जाती हैं। पेनाल्टी केस वहां पर चलाने की बजाए, व्यापारी के शहर में संबंधित खंड के अधीन चलाया जाए। इससे व्यापारियों को सुविधा होगी।

जवाब- नियम के तहत जहां गाड़ी पकड़ी जाए उसी शहर में सुनवाई की जाती है।

सवाल 3-जिस गाड़ी से ई-वे बिल जनरेट जारी कर माल मंगाया जाता है। अगर वह रास्ते में खराब हो जाती है तो बिल का डेट खत्म हो जाएगा, और अधिकारी गाड़ी सीज कर देते हैं। इसमें हमारा क्या दोष?

जवाब-यदि किसी शहर में माल लाने के दौरान गाड़ी खराब हो जाती है। वहां के ज्वॉइंट कमिश्नर एसआईबी को इसकी लिखित सूचना दें। यदि वह कार्यालय में नहीं है तो ऑफिस में उसे रिसीव करा दें।

सवाल 4- एक ट्रांसपोर्ट गाड़ी में कई व्यापारियों के माल होते हैं और उनके ई-वे बिल की डेट भी अलग होती है। यदि उनमें से किसी एक या दो की डेट खत्म हो जाती है तो अधिकारी पूरी गाड़ी को ही रोक लेते हैं। जिससे हमें काफी समस्या होती है।

जवाब - गाड़ी में यदि एक या दो ही ई वे बिल की डेट खत्म हुई है। ट्रांसपोर्टर यदि एक्सपायर ई-वे बिल का माल सुरक्षित उतारने को तैयार है। तब हमें पूरी गाड़ी करने की जरूरत ही नहीं है।

सवाल 5- हर महीने रिटर्न दाखिल करना पड़ रहा है। जिससे कागजों का काफी दबाव पड़ जा रहा है। अब हम व्यापार में ध्यान लगाएं या रिटर्न फाइल करने में। तीन महीने में एक बार रिटर्न दाखिल करने की सुविधा मिले तो बेहतर होगा।

जवाब-हर महीने रिटर्न दाखिल करने में व्यापारियों के सेल के बारे में पूरी जानकारी मिलती रहती है। तीन महीने में एक बार रिटर्न दाखिल करने में सही बिक्री को छिपाना आसान हो जाएगा।

सवाल 6-कुछ राज्यों में इन्ट्रा स्टेट ई-वे बिल की अधिकतम सीमा को बढ़ाकर एक लाख रुपए कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश में भी इसे लागू किया जाए।

जवाब-हम सरकार के बनाए नियमों को लागू करते हैं, उसे बनाने का काम हमारा नहीं। यह मांग व्यापारियों को सरकार के सामने रखनी चाहिए, यदि हमारे सामने कोई ज्ञापन प्रस्तुत किया जाता है तो हम उसे उच्च अधिकारियों को अवगत करा देंगे।

कोट्स

हर महीने रिटर्न दाखिल करना एक बड़ी समस्या है। जिन व्यापारियों के पास तकनीक जानकारी और संसाधनों का अभाव उनके लिए जीएसटी एक पहेली बनी हुई है।

- आलोक चौरसिया, जिलाध्यक्ष, अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल गोरखपुर

जीएसटी व ई वे बिल के कारण सबसे अधिक परेशानी छोटे व्यापारियों को हो रही है। संसाधनों और तकनीकी जानकारी के अभाव में जीएसटी उनके लिए टेढ़ी खीर हो गई है।

- चन्द्रिका प्रसाद, मेंबर, गोरखपुर ट्रक व गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन

फुटकर व्यापारी कई थोक व्यापारियों से माल लेते हैं। दो-तीन दुकानदारों का माल मिलाकार 50 हजार से अधिक हो जाता है तो एक व्यापारी ई-वे बिल के नियमों के उल्लंघन का आरोप लग जाता है। ऐसे मामलों में उचित जांच के बाद नियमानुसार कार्यवाही होनी चाहिए।

- शिवकुमार अग्रवाल, कपड़ा व्यवसायी

गाड़ी में एक माल में किसी तरह की कमी होने पर अधिकारी पूरी गाड़ी को अपने कब्जे में कर लेते हैं। जबकि एक गाड़ी में कई क्लाइंटों का माल होता है। यदि कोई कमी है तो माल ट्रांसपोर्टरों को सौंप दिया या केवल उतने ही माल को ही अधिग्रहित किया जाए। ट्रांसपोर्टरों का उत्पीड़न नहीं होना चाहिए।

- आरके तिवारी, अध्यक्ष, गोरखपुर ट्रक व गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन

एक डेट में एक व्यापारी की ओर से एक ईनवाइस पर जारी माल यदि 50 हजार से कम है। तो ऐसी अवस्था में ई-वे बिल अनिवार्य नहीं है।

- आलोक कुमार गौतम, अस्सिटेंट कमिश्नर, सेल टैक्स डिपार्टमेंट