- जीएसटी के दायरे में आने से टैक्स की दर हुई 28 फीसद, पहले थी पांच फीसद

- टेंडर की शर्तो के मुताबिक बढ़ी हुई टैक्स की दर राज्य सरकार को होगी चुकानी

- सीएम योगी के मार्फत केंद्रीय वित्त मंत्री से करेंगे टैक्स में रियायत देने का अनुरोध

LUCKNOW :

आधी रात से लागू होने वाले जीएसटी का असर गर्भवती महिलाओं और नौनिहालों के निवाले पर भी पड़ने वाला है। जीएसटी के लागू होने की वजह से सूबे में गर्भवती महिलाओं और बच्चों को कुपोषण से बचाने को बांटी जाने वाली पंजीरी की सप्लाई मुश्किल में पड़ गयी है। हाल ही में राज्य सरकार ने पंजीरी सप्लाई का तीन माह का एक्सटेंशन प्रदान किया है, लेकिन बाल विकास पुष्टाहार महकमा इसका ऑर्डर जारी करने से पीछे हट गया है। इसकी वजह पंजीरी का भी जीएसटी के दायरे में आना है। प्रोसेस पैक्ड फूड की श्रेणी में पंजीरी के आने की वजह से इसके टैक्स की दर में अचानक बड़ी बढ़ोतरी हो गयी है।

छह गुना बढ़ गया टैक्स

दरअसल अभी तक पंजीरी पर राज्य सरकार कुल पांच फीसद टैक्स की दर से वैट लेती थी। जीएसटी के दायरे में आने के बाद टैक्स की दर बढ़कर 28 फीसद हो गयी है। दरअसल 2013 में हुए टेंडर की शर्तो के मुताबिक बढ़े हुए टैक्स की दर राज्य सरकार को चुकानी है। इन हालात में पंजीरी की सप्लाई होने पर राज्य सरकार को करीब 23 फीसद टैक्स की रकम अपनी जेब से देनी होगी। इसी वजह से करीब पंद्रह दिन पहले कैबिनेट की मंजूरी से हुई पंजीरी सप्लाई के एक्सटेंशन की फाइल अचानक रोक दी गयी है। जिन कंपनियों को सप्लाई का काम दिया जाना है, उन्हें अभी इंतजार करने को कहा गया है। यह हालत केवल यूपी ही नहीं, देश के उन सभी राज्यों की है जहां पर पंजीरी की सप्लाई हो रही है।

वित्त मंत्री को भेजेंगे पत्र

इस मुश्किल से निपटने के लिए अब राज्य सरकार केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखने की तैयारी में है जिसमें उनसे पंजीरी की टैक्स की दर को कम करने का अनुरोध किया जाएगा। यह पत्र सीएम योगी आदित्यनाथ के जरिए केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। केवल यूपी ही नहीं, बाकी राज्य भी केंद्र सरकार से इस तरह का अनुरोध करने जा रहे हैं। खुद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी भी केंद्रीय वित्त मंत्री से इस बाबत पत्र लिखकर अनुरोध करने जा रही हैं। अब देखना यह है कि केंद्र सरकार इस अहम मामले में क्या रुख अपनाती है।

एक महीने से ठप है सप्लाई

सूबे में पंजीरी सप्लाई का काम करीब एक महीने से ठप है। दरअसल पंजीरी सप्लाई में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद राज्य सरकार ने पिछली सरकार द्वारा शुरू की गयी पंजीरी सप्लाई के ई-टेंडर की पूरी प्रक्रिया को निरस्त कर दिया है। इससे पहले दागी कंपनियों को डेढ़ माह का एक्सटेंशन दिया गया लेकिन दोबारा एक्सटेंशन देने में तमाम कानूनी अड़चने सामने आ गयी। एक्सटेंशन न मिलने से जून माह में पंजीरी की सप्लाई भी नहीं हो सकी। बाद में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए इन कंपनियों को फिर तीन माह का एक्सटेंशन तो दिया लेकिन जीएसटी लागू होने की वजह से फिर से यह मामला अधर में लटक गया।

कोट

पंजीरी में जीएसटी की दर 28 फीसद हो गयी है जिससे कंपनियों को ऑर्डर देने में राज्य सरकार को खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसे देखते हुए सीएम के जरिए केंद्रीय वित्त मंत्री से इसमें रियायत देने का अनुरोध किया जाएगा। इसमें यूपी के अलावा कई अन्य राज्य भी शामिल हैं जहां पंजीरी की सप्लाई होती है। फिलहाल कंपनियों को सप्लाई का ऑर्डर नहीं दिया जा रहा है।

- अनीता सी। मेश्राम, प्रमुख सचिव

बाल विकास पुष्टाहार विभाग

फैक्ट फाइल

- 2.50 लाख आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए बंटनी है पंजीरी

- 700 करोड़ रुपये की हर साल बंटती है पंजीरी

- 10 कंपनियों को दिया गया है पंजीरी सप्लाई का काम

- 5 फीसद की दर से अभी तक चुकाना पड़ता था टैक्स

- 28 फीसद टैक्स हो जाएगा जीएसटी लागू होने के बाद

- 6 साल तक के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को दी जाती है पंजीरी