- व्यापारियों को नहीं भा रहा गुड्स एंड सर्विस टैक्स

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LUCKNOW: गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) बिल के राज्य सभा में पास होते ही व्यापारियों ने इसका विरोध शुरू कर दिया था। भारत सरकार ने जहां इस बिल के लागू होने से महंगाई कम होने की बात कही थी वहीं व्यापारियों ने पूरे देश में एक समान कर लगने को व्यापार विरोधी बताया था। व्यापारियों ने जीएसटी काउंसिल में व्यापारी प्रतिनिधित्व, दडंात्मक कार्रवाई का प्रावधान हटाने, कर्मचारियों को असीमित अधिकार से वंचित रखने समेत कई अहम मुददे उठाये। आखिर विरोध किसका जीएसटी का या उसमें संसोधन का। इस मुददे को जानने के लिए आई नेक्स्ट के ऑफिस में व्यापारियों के साथ जीएसटी बिल को लेकर एक पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया। जिसमें व्यापारियों ने आई नेक्स्ट के सामने खुलकर अपनी बात रखी।

सबकुछ नेट पर नहीं निर्भर करना चाहिए

गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) एक अच्छी प्रणाली है मगर देश में बिना प्रावधान के लागू करना बहुत सही नहीं है। इसमें सबकुछ कम्प्यूटराइज्ड है कैश की कोई व्यवस्था ही नहीं है। बहुत से ऐसे व्यापारी हैं जो इंटरनेट व कंप्यूटर फ्रेंडली नहीं हैं, सबसे बड़ा वर्ग छोटे व्यापरियों का है जो इस बिल से सबसे ज्यादा प्रभावित होगा क्योंकि उनको ये सब आता ही नहीं है। नेट बैंकिग न जानने वालों के लिए कोई अलग से विकल्प होना चाहिए। इसके अलावा जीएसटी में सबसे ज्यादा कागजी कार्रवाई है जिससे आधा समय तो कागजी कार्रवाई में ही चला जायेगा तो व्यापार कब करेंगे। इसमें संसोधन की जरुरत है।

संजय गुप्ता, आदर्श व्यापार मंडल अध्यक्ष

व्यापारियों को विश्वास में लिए बिना नहीं लागू होना चाहिए बिल

जीएसटी बिल व्यापारियों और ग्राहकों के साथ पूरी तरह से धोखा है। इसमें नियम कानून इतने ज्यादा हैं कि आधा समय तो इनको समझने में ही निकल जायेगा। छोटी सी छोटी गलती पर भारी जुर्माना है ऐसे में छोटा कारोबार करने वाले व्यापारियों के लिए सबसे ज्यादा दिक्कत है एक जुर्माना लगने का मतलब उनके पूरे माह का लाभ चला जाना है। ऐसे में कोई व्यापार कैसे कर सकता है। इसके अलावा अधिकारियों को पूरे अधिकार दे दिये गये हैं। जिससे व्यापारियों का उत्पीड़न बढ़ जायेगा। वे अपने मनमाने हिसाब से काम करेंगे और हम विरोध भी नही कर पायेंगे।

सुरेश छबलानी, महामंत्री, अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल

रिवाइस रिटर्न होना चाहिए

सरकार की ओर से पारित जीएसटी को लेकर काफी भ्रांतियां हैं। पहले उनको दूर करना चाहिए। सरकार को जीएसटी की पूरी जानकारी लोगों को देनी चाहिए। इसके अलावा जीएसटी के प्रावधान के मुताबिक व्यापारी की गलती पर बड़ा जुर्माना लगाया जायेगा। शुरुआत में तो सबसे गलती होती है ऐसे में सरकार को रिवाइस रिटर्न का सिस्टम रखना चाहिए ताकि व्यापारी आराम से काम कर सकें अगर बदलाव नहीं हुए तो व्यापारियों का विरोध जारी रहेगा।

प्रदीप चौधरी, दवा व्यापारी

छोटे व्यापारियों के लिए सबसे घातक है बिल

जीएसटी बिल लागू होने से सबसे ज्यादा खामियाजा छोटे व्यापारियों को उठाना पड़ेगा। देश में जितना भी कारोबार है उसमें सबसे अहम भूमिका छोटे व्यापारी ही निभाते हैं। इन छोटे व्यापारियों को तोड़ने पर पूरा व्यापार ठप हो जायेगा। कई ऐसे छोटे व्यापारी हैं जिनके बैंक में अकांउट तक नहीं हैं। केंद्र और सरकार के बटवारे में व्यापारियों का उत्पीड़न हो रहा है। इसके अलावा टैक्स का प्रतिशत बढ़ा दिया गया है जिसको भविष्य में भी मौजूदा समय के हिसाब से एक प्रतिशत ही रखना चाहिए। बिना प्रावधान के बिल मंजूर नहीं है।

संजय त्रिवेदी, महामंत्री, आदर्श व्यापारंडल कैंट

आधे व्यापारियों को ऑनलाइन के बारे में नहीं पता

सरकार की ओर से जीएसटी बिल लागू होने से सब क छ ऑनलाइन हो जायेगा, लेकिन कई ऐसे व्यापारी हैं जिनको ये प्रक्रिया ही नहीं आती है। उन व्यापारियों के लिए ये सबसे बड़ी प्रॉब्लम है। इसके अलावा कई जगहों पर नेट कनेक्टिविटी ही नहीं, वहां के व्यापारी कैसे व्यापार करेंगे। इसके बारे में भी विचार किया जाना चाहिए। इसके अलावा वायदा कारोबार को जीएसटी से अलग किया जाये।

आमिर अंजार, व्यापारी नेता

एकदम से न थोपें जीएसटी

जीएसटी का सबसे ज्यादा नुकसान ज्वैलर्स ने ही उठाया है और उठायेंगे हमारी कुछ मांगे हैं। उनको पूरा कर बिल लागू करें। सोने के सामान पर दो प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत टैक्स लगाना ठीक नहीं है। ऐसे में व्यापार करना मुश्किल हो जायेगा। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में सोने का काम करने वालों के तो बैंक में खाते तक नहीं हैं। बिना जमीनी काम किये बिल को हवा-हवाई तौर पर लागू करने की कोशिश की जा रही है। इसके अलावा जीएसटी में रिटर्न रिवाइस का आप्शन भी होना चाहिए। साथ ही पैन के नाम पर की जा रही बंदिशों को खत्म करना चाहिए।

आदीश कुमार जैन, महामंत्री, सर्राफा एसोसिएशन

जीएसटी कांउसिल में हो व्यापारियों का प्रतिनिधित्व

जीएसटी बिल में सारे अधिकार कर्मचारियों को दे दिये गये हैं। ऐसे में व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वाला कोई नहीं है सबसे पहले तो जीएसटी काउंसिल में व्यापारियों का प्रतिनिधित्व का आप्शन होना चाहिए। हर ट्रेड के व्यापारियों को समय-समय पर बुलाकर मीटिंग की जानी चाहिए। इसके अलावा सरकार की ओर से जो जीएसटी में नियम बनाये गये हैं, वो काफी पेचीदा हैं कई बार तो ग्राहक बिल ही नहीं लेता ऐसे में सारा नुकसान व्यापारी को उठाना पड़ सकता है। इसको लेकर जो दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है उसको सबसे पहले हटाया जाये।

कैलाश चंद्र जैन, संरक्षक सर्राफा एसाेसिएशन

टैक्स प्रणाली हो आसान

जीएसटी बिल की टैक्स प्रणाली बहुत ही जटिल है इसको आसान किया जाना चाहिए। इसके अलावा जो कर्मचारियों को पूरा अधिकार दिया गया है उसको हटाया जाये। इससे व्यापारियों के शोषण की पूरी संभावना है। सरकार की ओर से ऑनलाइन व्यवस्था को लागू करने की बात की जा रही है जो असंभव है क्योंकि हमारे देश की परिस्थितियां अन्य देशों की अपेक्षा बहुत ही अलग हैं। ऐसे में सरकार को बिना व्यापारियों की सहमति और विश्वास में लिए बिल को पास नहीं किया जाना चाहिए अगर ऐसे ही बिल पास हुआ तो विरोध जारी रहेगा।

पवन मनोचा, राष्ट्रीय सचिव, समाजवादी व्यापार सभा