पोर्टल के ठीक से काम नहीं करने से व्यापारियों को देनी पड़ रही है पेनाल्टी

बार-बार रिटर्न भरने की टेंशन से परेशान, अभी तक पटरी पर नहीं आई व्यवस्था

ALLAHABAD: जीएसटी के रोजाना लागू होने वाले नए नए नियमों ने व्यापारियों को परेशान करके रख दिया है। हालत यह है कि व्यापारी अब बाबूगिरी करने को मजबूर हो गए हैं। उनका अधिकतर समय कम्प्यूटर पर रिटर्न दाखिल करने में जा रहा है। रही-सही कसर जीएसटी पोर्टल की खराब स्थिति ने पूरी कर दी है। इतना ही नहीं, रिटर्न समय से नहीं भर पाने पर व्यापारियों को हजार रुपए तक प्रतिदिन का जुर्माना भी अदा करना पड़ रहा है।

चालीस फीसदी को भरना होगा पेनाल्टी

जीएसटी के अंतर्गत कैसी-कैसी परेशानियां आ रही हैं। वह हम बताते हैं। जीएसटीआर थ्री बी भरने की अंतिम तिथि 22 मई थी लेकिन बीच में दो दिन पोर्टल बंद होने से कई व्यापारी इसे भर नहीं पाए। ऐसे में 40 फीसदी व्यापारियों को अब बिना गलती किए पेनाल्टी भरना होगा। दूसरी ओर अप्रैल का जीएसटीआर वन मई में पूरा अपडेट करना था। इसकी अंतिम तिथि दस को घटाकर 31 मई कर दिया गया। ऐसे में व्यापारियों को समझ नहीं आ रहा है कि वह पेनाल्टी भरें या रिटर्न?

अधिक परेशान हैं ग्रामीण व्यापारी

जिले के तीस हजार व्यापारियों का जीएसटी में रजिस्ट्रेशन हुआ है। इसमें से एक बड़ी संख्या ग्रामीण इलाके के व्यापारियों की है। कम टेक्नो फ्रेंडली होने के चलते इनके लिए जीएसटी किसी झटके से कम नहीं है। कुल मिलाकर इनका धंधा चौपट होने की कगार पर आ गया है। नए नियमों में उलझे यह व्यापारी सीए या दूसरे अकाउंटेंट के भरोसे अपना बिजनेस कर रहे हैं। इसमें उनका काफी पैसा खर्च हो रहा है। बता दें कि जीएसटीआर वन भरने वाले 80 फीसदी व्यापारियों का डाटा मिसमैच हुआ है। इसमें से ग्रामीण व्यापारियों की बड़ी संख्या है।

जीएसटी पर वर्जन

व्यापारियों पर दोहरा बोझ कब तक चलेगा। जीएसटी व्यापारियों के लिए तो फायदेमंद है, लेकिन इसके नियम कड़े हैं। जिससे व्यापारी परेशान होते हैं। खासतौर पर ग्रामीण एरिया में सभी व्यापारी के पास कम्प्यूटर की सुविधा नहीं है।

-सतीश केसरवानी

जीएसटी लागू करने के बाद से कई तरह के बदलाव के कारण व्यापारियों को दिक्कत हो रही है। अधिकारियों ने जीएसटी का इतना हौव्वा बना दिया है कि व्यापारियों में डर समा गया है और उन्हें मुसीबत उठानी पड़ती है।

-मनोज अग्रवाल

प्रेसिडेंट, सीएआईटी इलाहाबाद

जीएसटी से व्यापारियों को काफी फायदा है। मान लीजिए अगर कोई माल आन्ध्र प्रदेश से मंगाया तो पहले वहां पर टैक्स दे और उसके बाद यूपी में टैक्स दें। इससे निजात मिल गई। पहले माल मंगाने के लिए कई तरह का बिल जनरेट करना पड़ता था, अब ई-वेबिल का उसको रूप दे दिया गया है।

-श्याम जी अग्रवाल

मेरे हिसाब से जीएसटी व्यापारियों के हित में है। हालांकि इसमें कुछ खामियां है। व्यापार मंडल की तरफ से 41 खामियों को वित्त मंत्रालय के पास भेजा गया था। जिसमें से 20 ठीक करा दी गई।

-विजय अरोड़ा

30

हजार जीएसटी में शामिल लोकल व्यापारी

01

हजार व्यापारियों का पेंडिंग है रजिस्ट्रेशन

31

मई है अप्रैल का जीएसटीआर वन भरने की अंतिम तिथि

40

फीसदी रह गए थे जीएसटीआर थ्रीबी भरने से रह गए कुल व्यापारी

80

फीसदी अब तक भरे गए जीएसटीआर वन का मिसमैच डाटा-

01

जुलाई 2017 हुआ था जीएसटी लागू