--GST ने उड़ाई पेंट बाजारों की रंगत, दिवाली को लेकर नहीं दिख रहा मार्केट में उत्साह

-पहले पेंट्स पर 14 परसेंट था टैक्स, अब लग रहा है 28 परसेंट GST

VARANASI@iext.co.in

VARANASI

दिवाली में अब सिर्फ एक माह का समय रह गया है। ऐसे में हर कोई अपने आशियाने को सजाने व उसे आकर्षक बनाने की तैयारियों में जुट गया है। घर, मकान से लेकर ऑफिस, शोरूम्स में रंगरोगन का काम शुरू हो गया है। कुछ रंगरोगन करा रहे हैं तो कुछ लोग घर में थोड़ी बहुत ही साफ-सफाई कराने के मूड में हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि जीएसटी से पेंट्स के रेट इतने हाई हो गए हैं कि आम आदमी के बस में नहीं है कि वह इतने महंगे पेंट्स से घर को चमका सके। जीएसटी से पहले पेंट्स पर जहां सिर्फ क्ब् परसेंट टैक्स लगता था, वहीं अब ख्8 परसेंट टैक्स तक लग रहा है।

मार्केट नहीं पकड़ पा रहा रफ्तार

दिवाली से एक डेढ़ माह पहले रंगों का बाजार गुलजार होने लगता था। पेंट्स, रंगों की दुकान सुबह से लेकर शाम तक कस्टमर्स से पटे रहते थे। लेकिन अब ब्रांडेड व नॉन ब्रांडेड पेंट पर जीएसटी ख्8 परसेंट लगने के कारण मार्केट ब्0-भ्0 परसेंट तक गिर गया है। दाम अधिक होने के कारण कस्टमर्स नॉन ब्रांडेड पेंट बिना बिल के मांग रहे व मोलभाव कर रहे हैं।

इन पर लगा है टैक्स

आइटम पहले अब

थीनर क्म्0 रु, क्90 रु।

तारपीन तेल ब्0 रु। म्भ् रु

प्लास्टिक पेंट क्ख्0 रु। क्म्भ् रु

एनामिल पेंट क्90 रु। ख्ख्0 रु।

वाटर पेपर क्ख् रु। क्म् रु

कपड़ा पेपर क्भ् रु। ख्0-फ्0 रु।

कलई-ब्रश भी महंगे

कलई ब्0-भ्0 रु। का पांच किलो

डिस्टेम्पर ब्रश 80 से क्00 रुपए तक

इमलशन ब्रश ख्00 से ख्भ्0 रुपए तक

कूची क्0 सेक्भ् रुपए तक

रंग-रोगन के लिए एक दिन का पर लेबर भ्00 से म्00 रुपए लिया जा रहा है

छूट के बाद भी दामों में बढ़ोतरी लोकल पेंट कंपनीज द्वारा कच्चे माल पर जीएसटी इनपुट में छूट के बावजूद दाम क्0 से क्भ् परसेंट तक बढ़ा दिया गया है। कच्चे माल पर भ् और क्8 परसेंट जबकि तैयार पेंट पर ख्8 परसेंट जीएसटी है। पूर्व में लघु उद्योग को एक्साइज छूट के बाद केवल क्ब् परसेंट वैट देना होता था, अब ख्8 परसेंट जीएसटी देना पड़ रहा है। वहीं ब्रांडेड पेंट की दरों में पूर्व में एक्साइज शामिल रहती थी लेकिन नॉन-ब्रांडेड और लघु उद्योगों द्वारा उत्पादित पेंट व डिस्टेम्पर पर एक्साइज की छूट होने के चलते लोकल पेंट पर सिर्फ वैट ही लगता था। इसके चलते लोकल पेंट क्0 से क्भ् परसेंट सस्ते होते थे। जीएसटी की दरें दोगुनी होने के कारण ब्रांडेड और नॉन ब्रांडेड पेंट के दामों में बड़ा अंतर नहीं रह गया है।

अब तक तो बाजार रफ्तार पकड़ लेता था, लेकिन ख्8 परसेंट जीएसटी लगने से बाजार की रौनक उड़ गई है। मार्जिन अब बिल्कुल भी नहीं रह गया है। बस किसी तरह दुकानदारी हो रही है।

राजेश चंद्र यादव, कोषाध्यक्ष

अस्सी व्यापार मंडल

पहले जो प्लास्टिक पेंट भ्00 रुपये में पांच लीटर मिलता था वह अब जीएसटी के बाद पेंट भ्भ्0-भ्7भ् रुपये में मिल रहा है। थीनर का भी रेट बढ़ गया है। यहां तक की लेबर चार्ज भी बढ़ गया है।

पवन कुमार, लंका