ALLAHABAD: सरकार जीएसटीआर-2 और 3 पर 31 मार्च 2018 तक ब्रेक लगाकर व्यापारियों को सहूलियत देने की बात कह रही है। लेकिन इससे व्यापारियों को कम, जीएसटी काउंसिल और जीएसटी नेटवर्क को अधिक राहत मिलेगी। क्योंकि यदि सरकार ऐसा नहीं करती तो पूरा जीएसटी पोर्टल बैठ जाता। रेट टैक्स कम कर देना सहूलियत नहीं है। लोड के कारण सर्वर काम नहीं कर रहा है, इसलिए सरकार ने ये कदम उठाया है। व्यापारी तो अब भी परेशान हैं। क्योंकि समस्याएं और सवाल जस के तस हैं। हाल में जीएसटी काउंसिल द्वारा किए गए बदलाव का व्यापारियों और व्यापार पर क्या असर पड़ा है के सवाल के साथ बुधवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने व्यापारियों के साथ चर्चा की। इसमें व्यापारियों ने खुल कर अपनी बात रखी।

 

सबको एक तराजू से तौल दिया

चर्चा की शुरुआत करते हुए उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल के संयोजक संतोष पनामा ने कहा कि टैक्स रेट काफी अधिक था, इसलिए उसे कम करना ही था। किस पर कितना टैक्स लगेगा, इसका ध्यान ही नहीं रखा गया है। सीमेंट का उपयोग झोपड़ी में रहने वाला और उद्योगपति दोनों करते हैं, लेकिन टैक्स निर्धारण में सरकार ने सभी को एक तराजू में तौल दिया।

 

गलत आईडी पासवर्ड का उपाय नहीं

वाणिज्य कर विभाग से मिसमैच के कारण जिनके आईडी पासवर्ड गलत हो गए, उनका अब तक संशोधन नहीं किया जा सका। इससे व्यापारी अपना बिजनेस ही नहीं कर पा रहे हैं। अधिकारी कोई जवाब नहीं दे पा रहे हैं।

 

आईटीसी कैसे मिलेगा?

जीएसटी में व्यापारियों को रजिस्ट्रेशन कराने को कहा गया। कुछ ने अगस्त तो कुछ ने सितंबर में रजिस्ट्रेशन कराया। अब सवाल ये है कि उन्हें 30 जून की आईटीसी का लाभ कैसे मिलेगा? जुलाई, अगस्त का रिटर्न कैसे भरेंगे? जवाब किसी के पास नहीं है।

ट्रान वन फार्म कैसे भरें

व्यापारी ट्रान वन फार्म नहीं भर पा रहे हैं। एक्साईज अधिकारी भी जवाब नहीं दे पा रहे हैं।

 

पेनाल्टी और लेट फीस लटके

व्यापारियों से लेट फीस ली गई, पेनाल्टी ली गई। सरकार ने खाते में पेनाल्टी राशि और फीस वापस लौटाने की बात कही थी, लेकिन ऐसा कुछ अब तक नहीं हुआ।

सर्वर नहीं चल रहा तो जीएसटी काउंसिल की मीटिंग कर रिटर्न की डेट बढ़ा दी जाती है। डेट बढ़ाना समाधान नहीं है। डेट बढ़ाने की बजाय रिटर्न भरने की समस्या दूर कराएं।

संतोष पनामा, संयोजक, उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल

 

उत्तराखंड में 2015-2016, 2016-17 के जो कर निर्धारण बचे हैं, सरकार ने डिम्ड कर दिया है। उत्तर प्रदेश में भी पुरानी पेंडिंग डिम्ड किया जाए तो समस्या खत्म हो सकती है।

सतीश चंद्र केसरवानी, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल

 

भौतिक सत्यापन के नाम पर धन उगाही चल रही है। दबाव बनाकर पैसा लिया जा रहा है। अब मोबाइल पर आने वाले कॉल से व्यापारी कुछ ज्यादा ही परेशान हैं।

कैलाश बिहारी अग्रवाल, कागज व्यापारी

 

बार-बार टैक्स रेट कम किया जा रहा है। इससे व्यापारी परेशान है। हर महीने केवल दो टैक्स का सिस्टम होना चाहिए। अगस्त, सितंबर और अक्टूबर तीनों महीने में टैक्स सिस्टम बदला है।

सुधीर कुमार अग्रवाल

 

रोज-रोज कानून का परिवर्तन व्यापारियों के लिए जी का जंजाल बन गया है। भौतिक सत्यापन एक्ट के अनुसार किया जाए। भौतिक सत्यापन का भी प्रूफ होना चाहिए।

अरुण अग्रवाल, कागज व्यापारी

 

सर्वर अभी भी काम नहीं कर रहा है। जीएसटीआर-1, जीएसटीआर-2, जीएसटीआर-3 को खत्म कर एक किया जाए। जैसे फार्म 24 वैट में था। इससे काफी राहत मिलेगी।

राजकुमार केसरवानी

 

आनलाइन व्यवस्था में फार्मो की संख्या ज्यादा है। कुछ भी करना है तो पहले फार्म भरिए। इसमें समय काफी बर्बाद होता है। फार्मो को कम किया जाना चाहिए।

अनुराग केसरवानी, डिस्ट्रीब्यूटर, स्टॉकिस्ट

 

31 मार्च के बाद यदि कहा गया कि जीएसटीआर-1, जीएसटीआर-2 और जीएसटीआर-3 भरिए तो व्यापारी कैसे भर पाएंगे। सरकार ये स्पष्ट करे कि आखिर आगे उसकी क्या प्लानिंग है।

प्रशांत अग्रवाल