विश्व महिला दिवस की पूर्व संध्या पर दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट में अतिथि संपादकों ने रखी अपनी राय

ALLAHABAD: महिला सशक्तिकरण को लेकर बीते वर्षो में कुछ काम हुआ है। लेकिन आज भी कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां महिलाएं समानता के अधिकार से वंचित है। एक ऐसा ही क्षेत्र है आर्थिक समानता का अधिकार। आज भले ही महिलाएं आर्थिक रूप से सक्षम हों, लेकिन इसके बावजूद आर्थिक फैसलों के लिए उन्हें पुरुषों पर डिपेंड रहना पड़ता है। विश्व महिला दिवस की पूर्व संध्या पर दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट में अतिथि संपादक के रूप में समाज के अलग-अलग कार्यक्षेत्र से पहुंची महिलाओं ने ऐसे ही मुद्दों पर खुल कर अपनी बात रखी।

राजनीति में भी बढ़े भागीदारी

महिलाओं को मौजूदा समय में जिस भी क्षेत्र में मौका मिला है, उन्होंने खुद को साबित करके दिखाया है। इसके लिए जरूरी है कि परिवार के मेंबर्स अपने घर की लड़कियों और महिलाओं की काबिलियत पर पूरा भरोसा करे और उन्हें आगे बढ़ने का मौका दे। समाजसेविका नाजिया नफीस ने कहा कि आज के समय में अगर भारतीय राजनीति की बात करें तो यहां पर महिलाओं की संख्या लिमिटेड है। इस क्षेत्र में भी महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ानी चाहिए।

खुद पर होना चाहिए भरोसा

कई बार महिलाएं खुद पर ही भरोसा नहीं कर पाती है। जबकि वह हर कार्य को करने में पूर्ण सक्षम है। ये कहना था बिजनेस वुमन कविता सिंह यादव का, उन्होंने कहा कि आर्थिक आजादी के परिदृष्य में अगर देखा जाए तो यही हालत है। आर्थिक रूप से सक्षम होने के बाद भी वह इन मामलों में बड़ा इनवेस्टमेंट करने के पहले काफी डरी रहती हैं। बात को आगे बढ़ाते हुए स्मृति सिंह ने कहा कि समाज में हर कोई लड़कियों को एक ही चश्मे से देखता है। लोग कहते हैं कि समाज बदल रहा है, लेकिन कई बार ऐसे उदाहरण भी सामने आते है, जिसे देखकर या सुनकर यह लगता है कि समाज की सोच में अभी बदलाव की बहुत गुंजाइश है।

बढ़े जागरूकता

महिलाओं के आर्थिक समानता के मुद्दे पर अपर नगर आयुक्त रितु सुहास ने कहा कि अगर 20 से 25 प्रतिशत महिलाओं को छोड़ दें तो घरों में महिलाओं को अपनी मर्जी से खर्च करने की आजादी नहीं होती है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है कि महिलाएं समाज में आज भी पुरुषों की तरह स्वतंत्र होकर ज्यादा समय नहीं देती हैं। इससे कई बार वह जानकारी के अभाव के कारण ऐसे कदम उठाने से डरती हैं।

आर्थिक समानता के लिए अभी महिलाओं को अधिक जागरूक होने की जरूरत है। जब महिलाएं घर का मैनेजमेंट संभाल सकती है तो वह आर्थिक मामलों में भी सफल साबित होंगी।

रितु सुहास, अपर नगर आयुक्त

राजनीति से लेकर दूसरे कई अन्य क्षेत्र ऐसे हैं, जहां महिलाओं की भागीदारी बढ़नी चाहिए। मौजूदा समय में महिलाएं कई क्षेत्रों में खुद को साबित कर चुकी हैं।

कविता सिंह यादव, बिजनेस वुमन

महिलाओं को जहां मौका मिलता है, वह खुद को साबित करती हैं। बस जरूरत है कि फैमिली मेंबर्स उन पर भरोसा करें और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें।

नाजिया नफीस, समाजसेवी

समाज की सोच में पहले से काफी बदलाव हुआ है। हालांकि अभी भी बदलाव की संभावनाएं बहुत अधिक है। ऐसे में महिलाओं को भी खुद को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास करना चाहिए।

आदर्श तिवारी, समाजसेवी

एक महिला को भगवान ने असीमित शक्तियां दी हैं। जिन क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी अभी कम है, उन क्षेत्रों में भी महिलाओं को आगे आना चाहिए।

रतन श्रीवास्तव, समाज सेवी

पुरुष प्रधान समाज को ये समझना पड़ेगा कि महिला है तो जीवन है। आज महिलाएं आर्मी समेत तमाम क्षेत्र में सबसे आगे हैं। उन्हें यह अहसास कराना चाहिए कि महिलाएं जो ठान लेती हैं, उसे करके ही दम लेती हैं।

अनीता श्रीवास्तव, समाजसेवी

कई लोग लड़कियों को एक जिम्मेदारी की तरह देखते है। जबकि लड़कियां किसी भी मायने में कम नहीं है। लड़कियों को भी अपनी काबिलियत का खुद में अहसास होना चाहिए।

स्मृति सिंह, मॉडल