जीव विज्ञानी को छोड़ना पड़ा गिर अभयारण

एशियाई शेरों को बचाने के लिए अन्य जगहों पर स्थानांतरित करने की सिफारिश करने वाले जीव विज्ञानी रवि चेल्लम को इस विवाद के चलते सासण गिर अभयारण्य छोडऩा पड़ा है. सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की खंडपीठ के समक्ष वर्ष 2009 से एशियाई शेरों के स्थानांतरण का मामला लंबित था. गुजरात सरकार लगातार कह रही थी कि कुनो पालपुर का वातावरण एशियाई शेरों के लायक नहीं है.

एमपी में भी मरे हैं टाइगर

इससे पहले मध्य प्रदेश स्थानांतरित किए गए टाइगर भी ज्यादा समय जिंदा नहीं रह पाए थे. गुजरात सरकार का मानना है कि सासण गिर अभयारण्य का पारिस्थितिकी तंत्र एशियाई शेरों के लायक है. वर्ष 1880 में राज्य में 12 एशियाई शेर थे, जिनकी संख्या 2010 में 411 हो गई है. इससे पहले एशियाई शेरों को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में भी स्थानांतरित करने का प्रयोग हुआ था, लेकिन कुछ साल उनकी संख्या बढऩे के बाद अचानक शेर लुप्त हो गए.

मोदी के नेतृत्व में बैठक

गुजरात सरकार ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बुधवार को मुख्यमंत्री मोदी के नेतृत्व में मंत्रिमंडल की बैठक भी बुलाई, जिसमें एशियाई शेरों को मध्य प्रदेश जाने से रोकने के लिए विभिन्न पहलुओं पर विचार हुआ. सौराष्ट्र विश्वविद्यालय से 1993 में 'एशियाई शेरों का पारिस्थितिकी तंत्र' पर पीएचडी करने वाले चेल्लम ने इस प्रजाति को सुरक्षित रखने के लिए किसी अन्य जगह पर भी इनका बसेरा बनाने की सलाह दी थी.

जीव विज्ञानी को धमकी

रवि ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कभी भी किसी रोग के चलते एशियाई शेरों की यह दुर्लभ प्रजाति लुप्त हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से रवि को लगातार धमकियां मिल रही थीं, जिसके बाद सासण गिर अभयारण्य अधिकारियों ने उन्हें कुछ समय के लिए गुजरात छोडऩे की सलाह दी.

पराग्वे ने की पेशकश

रवि ने बताया कि प्रकृति नेचर क्लब, सोरठ नेचर क्लब उनके खिलाफ प्रदर्शन करने वाले थे. वहीं, पराग्वे के एक प्रतिनिधिमंडल ने एशियाई शेरों को पराग्वे के चिडिय़ाघर स्थानांतरित करने की मांग के साथ रवि को सलाहकार बनाने की पेशकश की है.

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