- बंगाल, गुजरात और महाराष्ट्र की खुशबू से महकेंगे मेरठ के आंगन
- गंगा की मिट्टी का भी किया गया है इस्तेमाल
- रंगों के साथ ही पारंपरिक चीजों का किया गया है इस्तेमाल
Meerut : बंगाल और गुजरात की सजावटी आइटम दीपावली पर हमारी परंपरा बनाए रखने के लिए आ गई है। मार्केट में मौजूद विभिन्न शहरों की यह आकर्षक आइटम विशेषकर परंपराओं को ध्यान में रखकर ही बनाई गई है। इनमें बंगाल के साथ ही गंगा की मिट्टी का भी इस्तेमाल किया गया है। वहीं महाराष्ट्र के कलाकारों द्वारा बनाई गई गणपति की विशेष तरह की आकृति को भी काफी पसंद किया जा रहा है।
गुजरात व बंगाल की आइटम है खास
गुजरात व बंगाल की खास मिट्टी के बनाए गए ये डिजाइनर दीपक जो बेहद पारंपरिक रूप से बनाए गए हैं। मिट्टी को विभिन्न पारंपरिक आकार देकर बनाए गए हैं। इनमें कमल का फूल, शंख, वुड बेस वाले लाल और पीले रंग के आकर्षक दीपक, गुजरात की मिट्टी की लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां भी मार्केट में आई हैं। सबसे स्पेशल बात तो ये है कि इस बार परंपरा को निभाने के लिए पद्मासन वाले लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति भी बनवाई गई है। बंसल गिफ्ट गैलरी वाले राहुल बंसल ने बताया कि अक्सर कस्टमर कमल के सिंहासन वाली मूर्ति की डिमांड करते हैं। जिसे परंपरा के अनुसार अच्छा माना जाता है। कस्टमर की डिमांड को देखते हुए इस बार स्पेशल इन मूर्तियों को बनवाया गया है।
वेलकम दीपक से सजाए द्वार
डोर पर अपने गेस्ट का वेलकम करने के लिए आप आकर्षक तरह के वेलकम दीपक ले सकते हैं। इनमें खुलते हुए हाथों में फूल, गुलाब का फूल, वेलकम के डब्ल्यू वर्ड वाला दीपक विभिन्न तरह के आकर्षक दीपक जो गेट पर वेलकम करने के लिए आप जलाकर सजा सकते हैं। इन वेलकम दीपक पर विभिन्न रंगों के साथ हल्दी, रोली की डिजाइनिंग कर उन पर चमक के लिए वार्निश की गई है, जिनमें पीला और पिंक, लाल, हरे रंगों का खासकर प्रयोग किया गया है।
महाराष्ट्र के कलाकारों ने बनाई स्पेशल मूर्ति
महाराष्ट्र के कलाकारों द्वारा बनाई गई स्पेशल लाल रंग की ओंकारा गणेश जी की मूर्ति जो बेहद पसंद की जा रही है। मूर्ति को खास तरह की आकृति दी गई है। महाराष्ट्र में इस मूर्ति को बेहद पारंपरिक माना जाता है। इस मूर्ति को बनाने के लिए कलाकारों द्वारा स्पेशल कलकत्ता की मिट्टी का प्रयोग किया है। थापरनगर स्थित अजंता मूर्तिकला के संचालक मनोज प्रजापति ने बताया कि इस पारंपरिक मूर्ति को स्पेशल महाराष्ट्र से मंगवाया गया है। महाराष्ट्र के कलाकारों द्वारा तैयार कराई गई इस मूर्ति को बेहद पसंद किया जा रहा है।
पारंपरिक आइटम हैं खास
परंपराओं का खास ध्यान रखते हुए स्पेशल तरह की एंटीक आइटम मंगवाई गई है। इनमें लक्ष्मी मां के चरण, सत्या, गणेश की आकृति, शंख आदि जैसी आकृतियां बनाई गई है, जिनको बनाने के लिए खास तौर पर प्योर हल्दी और रोली का प्रयोग किया गया है। इन पर इसके अलावा कहीं-कहीं डिजाइन के लिए चावल का भी यूज किया गया है। इन आइटम पर ऊपर से चमक देने के लिए स्पेशल वार्निश का प्रयोग किया गया है।
दीया मिट्टी में भी है चेंज
पुराने समय से बिकने वाले दीया मिट्टी को आज भी पसंद किया जा रहा है। इस दीया मिट्टी में भी कुछ बदलाव करते हुए इन पर चटकीले कलर्स का यूज किया गया है। साइड में हल्के से डिजाइन की बाउंड्री देते हुए उनकों एक नया लुक दे दिया गया है। जो देखने में पहले से और भी ज्यादा आकर्षक लगने लगे है।
ये है रेंज
दीया मिट्टी - ख्0-फ्0 रुपए के एक दर्जन का डिब्बा।
सिंपल दीपक - ख्0 रुपए दर्जन
सिंपल बड़ा दीपक - पांच से आठ रुपए ।
डिजाइनदार दीपक- क्0 रुपए से लेकर क्00 रुपए के बीच।
दो दीपक वाले सेट- फ्0 रुपए से क्भ्0 रुपए तक।
वेलकम दीपक- फ्0 रुपए से भ्0 रुपए तक।
मूर्ति - ख्0 रुपए से लेकर एक हजार रुपए तक।
एंटीक आइटम- फ्0 रुपए से लेकर 70 रुपए तक।
इस बार स्पेशल गुजराती, बंगाली व महाराष्ट्र की आइटम पर फोकस किया जा रहा है। कस्टमर इन आइटम को बेहद पसंद के साथ खरीद रहे हैं।
राहुल बंसल, बंसल गिफ्ट गैलरी
दीपावली के जाते ही हम अगले साल की तैयारी में जुट जाते हैं। इनमें काफी सारी आइटम ऐसी भी होती है जो स्पेशल बाहर से मंगवाई जाती है।
मनोज प्रजापति, संचालक, अजंता मूर्ति
बीस सालों से इस काम में हूं। हर साल लोग कुछ नया ही डिमांड करते हैं। इस बार भी कस्टमर परम्पराओं का ख्याल रखने के साथ ही कुछ नया खरीदना चाहता है।
नेमपाल, मूर्ति कलाकार