संशोधन करके अनिवार्य

गुजरात सरकार ने अब मतदान करने को अनिवार्य करार दिया है। जिससे अब जानबूझ कर सिर्फ आलस और मूडीपन के चक्कर में वोड न डालने वालों से जुर्माना वसूला जाएगा। गुजरात सरकार ने स्थानीय निकाय कानून, 2009 में संशोधन करके अनिवार्य मतदान का कानून बनाया है। हालांकि इस कानून को अनिवार्यता से लागू करते समय हर पहलू पर ध्यान दिया है। सरकार ने वोट न डालने वालों के लिए कुछ दायरे तय किए ने जिसमें उन्हें छूट मिलेगी।  बीमारी और दुर्बलता के कारण जो लोग वोट डालने नहीं पहुंच सकते। जिसमें 75 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए या फिर 75 फीसदी या इससे ज्यादा विकलांग लोगों को छूट मिलेगी। इसके लिए जो लोग पढ़ाई, एंट्रेंस या नौकरी के लिए किसी परीक्षा में व्यस्त हैं या फिर उनका कहीं इंटरव्यू हो। इसके साथ ही शादी, अंतिम संस्कार में या फिर मतदान की तारीख से पहले जो लोग दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके हों इन लोगों को भी छूट मिलेगी।

योजना का लाभ नहीं

इतना ही इसके साथ ही सरकार ने और भी कई मामलों में अनिवार्य मतदान के तहत छूट दी है। अगर उस दिन किसी कारणवश लोग गुजरात से बाहर हैं या वह कहीं बाहर नौकरी कर रहे हैं। वहीं अगर इन सब दायरों में न आने वाले जानबूझ कर वोट डालने नहीं जाते हैं तो सरकार की ओर से उन पर 100 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। इतना ही नहीं गुजरात सरकार इस बात पर भी विचार विमर्श कर रही है कि मतदान न करने वालों को सरकारी योजनाओं वंचित कर दिया जाएगा। उन्हें गुजराज सरकार की ओर से किसी तरह की योजना का लाभ न दिया जाए। गुजरात सरकार के अनिवार्य मतदान के फैसले से गुजरात अब देश का नंबर राज्य बन जाएगा। जहां पर मतदान अनिवार्य होगा।

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