- संगीत नाटक अकादमी से रहा है बहुत गहरा रिश्ता

- अकादमी सम्मान और अकादमी रत्‍‌न से सम्मानित हैं गिरिजा देवी

LUCKNOW : भारतीय शास्त्रीय संगीत की मशहूर गायिका गिरिजा देवी का मंगलवार को कोलकाता के बिड़ला अस्पताल में हार्ट अटैक से देहांत हो गया। वह 88 वर्ष की थीं। ठुमरी क्वीन के नाम से जानी जाने वाली गिरिजा देवी का शहर से बहुत पुराना नाता रहा। खासकर संगीत नाटक अकादमी से उनका बहुत गहरा लगाव था। उनके निधन से शहर के कलाकारों में शोक की लहर है।

कब पूरी होगी इच्छा

ठुमरी क्वीन गिरिजा देवी ने संगीत नाटक अकादमी में कई कार्यक्रम किये। उन्हें सिर्फ ठुमरी ही नहीं अन्य विधाओं में भी महारथ हासिल थी। सबसे पहले 1976 में उनको अकादमी पुरुस्कार से नवाजा गया था। उसके बाद वर्ष 1999 में गिरिजा देवी को संगीत नाटक अकादमी की ओर से अकादमी रत्‍‌न से नवाजा गया। उस समय गिरिजा देवी ने भरे मंच से कहा था कि कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए अकादमी रत्‍‌न के साथ धनराशि जोड़ी जाए, लेकिन 18 वर्ष बीत जाने के बाद भी अबतक अकादमी रत्‍‌न के साथ धनराशि को शामिल नहीं किया जा सका।

कोट

1. गिरिजा देवी की मैं शिष्य नहीं बेटी थी। उन्होंने मुझे हमेशा बेटी की तरह प्यार किया। मेरे लिए वह मां की तरह थी। उनके जाने से मेरी जिंदगी अधूरी हो गई है। उनके गले में सरस्वती का वास था। उनकी यादें मेरे साथ हमेशा रहेगीं।

मालिनी अवस्थी, लोक गायिका

2. गिरिजा देवी जी के साथ हरिद्वार में गंगा महोत्सव में एक साथ मंच सांझा करने का मौका मिला था। उनके निधन से शास्त्रीय गायन को अपूर्ण क्षति हुई है। जिसको कभी पूरा नहीं किया जा सकता है।

- पदमा गिडवानी, गायिका

3. 25 साल पहले उनसे मिली थी। तब उन्होनें मेरा गाना सुनकर मुझे आशीर्वाद दिया था। उनके निधन पर से मैं ही नहीं हर कोई दुखी है। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें।

सुनीता झिंगरन, शास्त्रीय गायिका

4. गिरिजा देवी बहुत ही जमीनी स्तर की गायिका थी। उन्हें अकादमी अवार्ड व रत्‍‌न दोनों से नवाजा गया। उनके निधन की खबर से संगीत जगत को बड़ा झटका लगा है। शास्त्रीय व उप शास्त्रीय विद्या में उनके जाने से जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता।

रवि गोस्वामी, पूर्व संगीत सर्वेक्षक, संगीत नाटक अकादमी