- सवा तीन करोड़ रुपए कर दिए गए हैं बर्बाद, चार साल बाद भी पूरा नहीं हुआ काम

- महज 60 प्रतिशत काम के बाद पेंडिंग पड़ा वर्क, इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट डिपार्टमेंट ने शुरू की जांच

GORAKHPUR: डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी में बन रहा स्पो‌र्ट्स स्टेडियम मानक को ताख पर रखकर बनाया जा रहा है। इसमें अब तक करीब सवा तीन करोड़ रुपए जो लगे हैं, वह सिवाए बर्बादी के और कुछ नहीं हैं। इस निर्माण के लिए किसी सक्षम प्राधिकारी से टेक्निकल सेंक्शन भी नहीं लिया गया है। यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि गोरखपुर यूनिवर्सिटी में फाइनेंशियल इयर ऑडिट के दौरान यह बात सामने आई है। इसको लेकर फाइनेंस ऑफिसर ने जिम्मेदारों को लेटर लिखा था, जिसके बाद इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट डिपार्टमेंट ने अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा से इस संबंध में दस्तावेज मांगे हैं। जिसके बाद जिम्मेदारों ने यूनिवर्सिटी से इससे जूड़े डॉक्युमेंट्स की डिमांड की है।

डॉक्युमेंट्स पर भी सिग्नेचर नहीं

गवर्नमेंट ने फाइनेंशियल सेंक्शन करने के दौरान यह स्पेसिफाई किया था कि बिना डीटेल्ड इस्टिमेट बनाए और बिना किसी टेक्निकल अथॉरिटी के सेंक्शन काम नहीं शुरू किया जाएगा, जबकि यूनिवर्सिटी में यह काम शुरू कर दिया गया। इतना ही नहीं, ऑडिट में यह भी बात सामने आई है कि 24 फरवरी 2014 के बीच यूनिवर्सिटी और कार्यदायी संस्था के बीच एग्रीमेंट हुआ है, लेकिन इसके दस्तावेजों पर जिम्मेदारों के सिग्नेचर तक नहीं हैं। वहीं काम में देर होने पर न तो किसी की लाइबिल्टी तय की गई है और न ही पेनाल्टी क्लॉज का ही जिक्र है।

अखिलेश यादव ने दी थी सौगात

गोरखपुर यूनिवर्सिटी को मार्च 2013 में तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने स्टेडियम की सौगात दी थी। यूनिवर्सिटी में ऑर्गनाइज फ‌र्स्ट साइंस कांग्रेस में पहुंचे सीएम ने सौगातों का पिटारा खोलते हुए इसकी मंजूरी दी थी। यूनिवर्सिटी के जिम्मेदारों ने करीब 484.89 लाख रुपए का इस्टीमेट बनाकर शासन को फाइल भेजी थी, जिसके बाद नवंबर 2013 से इसका काम शुरू हो गया।

सवा तीन करोड़ हो गया पेमेंट

शासन की ओर से स्पो‌र्ट्स स्टेडियम के लिए 4.84 करोड़ रुपए स्वीकृत हुआ। इसमें यूपी राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) को काम सौंपा गया। इसमें कार्यदायी संस्था को नवंबर 2013 में ही 2.42 करोड़ रुपए पेमेंट कर दिया। इसके बाद निर्माण कार्य तो शुरू हो गया। अगस्त 2015 में 0.95 करोड़ फिर पेमेंट कर दिया गया। 23 फरवरी 2015 तक काम पूरा कर दिया जाना था, लेकिन समय बीतने और 3.37 करोड़ रुपए पेमेंट के बाद भी करीब 59 परसेंट वर्क ही कंप्लीट हो सका।

वर्जन

इस मामले में कार्यदायी संस्था के जिम्मेदार अधिकारियों से बात हुई है। जो भी दिक्कतें हैं उन्हें दूर कर काम पूरा कराने के निर्देश दिए गए हैं। अभी उनका कुछ पेमेंट भी रोक लिया गया है। काम कंप्लीट होने के बाद ही उन्हें पेमेंट किया जाएगा।

- प्रो। वीके सिंह, वीसी, डीडीयूजीयू