CBSE पैटर्न पर कल से शुरू होनी है स्कूलों में अर्धवार्षिक परीक्षाएं

गुरुवार तक परीक्षा का शेड्यूल तक जारी नहीं कर सके थे बेसिक शिक्ष अधिकारी

ALLAHABAD: कहां से शुरू किया जाय? यह भी टॅफ टॉस्क है। प्राब्लम किसी एक स्तर से नहीं, हर स्तर पर है। सीबीएसई बोर्ड को टक्कर देने की कागजी रणनीति तो बना ली गई। लेकिन, इसके लिए तैयारी सिर्फ कागजों पर हुई। बच्चे ही नहीं स्कूलों में पढ़ाने वाले टीचर्स भी खुद को ठगा हुआ सा महसूस कर रहे हैं। 24 घंटे पहले तक न किसी टीचर को पता था कि पहले दिन किस सब्जेक्ट की परीक्षा आयोजित की जाएगी और न ही किसी बच्चे को। सबको सिर्फ इतना पता है कि परीक्षा 15 से शुरू करानी है और 25 तक समाप्त करा देनी है।

नियम-कानून की लम्बी-चौड़ी सूची

प्रत्येक पेपर की परीक्षा दो-दो घंटे की होगी

प्रत्येक विषय की परीक्षा 30-30 अंकों की होगी

प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में नामांकित सभी बच्चों को परीक्षा में शामिल कराया जाय

प्रत्येक बच्चे को प्रिंटेड पेपर दिया जाएगा

इसे परीक्षा शुरू होने से आधे घंटे पहले टीचर्स खोल सकेंगे

इसमें इस्तेमाल होने वाली आंसरशीट भी प्रिंटेड होगी

समाजोपयोग उत्पादक कार्य व नैतिक शिक्षा की परीक्षा विद्यालय अपने स्तर से कराएंगे

बच्चों को ओवरआल मा‌र्क्स के आधार पर ए, बी और सी ग्रेड दी जाएगी

(बेसिक शिक्षा विभाग के डायरेक्टर दिनेश बाबू शर्मा की तरफ से जारी निर्देशों के अनुसारर)

परीक्षा कराने में लोचा

इलाहाबाद में प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों को अब तक नहीं मिला है शेड्यूल

पेपर खुद खरीदना है या विभाग से मिलेगा, शिक्षकों को पता नहीं

आंसरशीट पर क्या प्रिंट कराना है और कहां से प्रिंट कराना है, कोई जानकारी नहीं

बजट जारी होने की सूचना लेकिन पता नहीं कि एक बच्चे पर कितना खर्च होगा

रिजल्ट कब तक तैयार करना है, इसकी भी कोई सूचना शिक्षकों को नहीं

ज्यादातर क्लासेज में अब तक एक या दो किताबें ही बांटी गई

बगैर किताबों के तैयारी कैसे करेंगे छात्र

बजट ऊंट के मुंह में जीरा जैसा

परीक्षाओं को सम्पन्न कराने के लिए बजट के बारे में भी विभाग में सोचा और प्रदेश भर के लिए 18 करोड़ रुपए जारी कर दिए। प्रदेश के विद्यालयों में कुल रजिस्टर्ड बच्चों की संख्या करीब सवा दो करोड़ है। यानी एक छात्र पर पर्चे से लेकर आंसरशीट तक का जुगाड़ करने में कुल बमुश्किल साढ़े आठ रुपए ही खर्च करने की इजाजत है। इतने पैसे में क्या आएगा और कैसे आएगा? अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। विभागीय अफसर पूछने पर बजट जारी होना बताना नहीं भूलते।

एक या दो किताबों के भरोसे पढ़ाई

सीबीएसई को टक्कर देने के लिए बेसिक शिक्षा परिषद ने योजना तो बना दी लेकिन इसे इम्प्लीमेंट करने में आने वाली अड़चनो के बारे में शायद ही किसी ने सोचा। सीबीएसई की तर्ज पर स्कूलों की टाइमिंग चेंज कर दी गई। सेशन चेंज करके जुलाई की जगह अप्रैल कर दिया गया। ड्रेस, बस्ता और किताब बांटने की की योजना बनी। यानी कागजों पर पूरी तैयारी कर ली गई। सत्र शुरू हुए छह महीने का समय बीत चुका है और स्थिति यह है कि कक्षा एक से लेकर आठ तक किसी भी क्लास के छात्र को पूरी किताब नहीं मिली है। अफसर कहते हैं कि पिछले साल बांटी गई किताबें सत्र समाप्त होने के बाद बच्चों से जमा करा ली गई थीं। उसी से काम चल रहा है। लेकिन, इन किताबों की बच्चों के पास उपलब्धता क्या है? यह बड़ा सवाल बना हुआ है। जैसे-तैसे बस गाड़ी चल रही है। प्रदेश सरकार की तरफ से कुल 13 करोड़ 21 लाख 86 हजार पांच सौ किताबों की छपाई का आर्डर 22 पब्लिशर्स को दिया जा चुका है लेकिन अभी तक आपूर्ति होनी बाकी है। अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि परीक्षा कितनी फेयर होगी और बच्चे कैसे परीक्षा देंगे।

बाक्स

बांटी जानी है मुफ्त में किताब

सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्रदेश के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले प्रत्येक बच्चे को मुफ्त में किताब दी जानी है। इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। बेसिक शिक्षा परिषद के निदेशक दिनेश बाबू शर्मा बताते हैं कि कुल 110 टाइटिल की 13 करोड़ 21 लाख 86 हजार पांच सौ किताबों की छपाई प्रगति पर है। जैसे-जैसे किताबें आ रही हैं उनका वितरण किया जा रहा है। साठ फीसदी किताबों की छपाई पूरी की जा चुकी है। कुल 17 टाइटिल की किताबों का वितरण किया जा चुका है।

क्लास बंटी किताबों का नाम

1 कलरव

2 कलरव, गिनतारा

3 रेनबो

4 रेनबो

5 00

6 वर्तिका, पृथ्वी और हमारा जीवन, विज्ञान

7 मंजरी, वर्तिका, पृथ्वी और जीवन, महान व्यक्तित्व व रेनबो

8 00

फैक्ट फाइल

8 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत हुआ परीक्षा के लिए

2.22 करोड़ बच्चे पढ़ते हैं परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में

1.68 लाख से अधिक प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं प्रदेश में

13 करोड़ से अधिक किताबें बांटी जानी है छात्रों को

110 कुल किताबों की टाइटिल, 22पब्लिशर्स को दी गई है जिम्मेदारी