- 72 सीट वाले कोच में भर गए 200 से अधिक लोग

- हल्ला बोल में ही होता है बवाल

- जब-जब कंडक्ट कराया जाता है एग्जाम, तब-तब होता है यही हाल

- मुगलसराय, पटना और कानपुर जाने वाली ट्रेन पहुंचते पैसेंजर और कैंडिडेटों ने बोला हल्ला

- स्लीपर कोच की जनरल कोच की तरह रही स्थिति

ALLAHABAD:

जब जगह कम हो और लोग ज्यादा नहीं, बल्कि बहुत ज्यादा हों तो किस तरह हंगामा होता है। किस तरह लोग हल्ला बोलते हैं, एक-दूसरे को धक्का देते हुए आगे बढ़ते हैं, आपस में तू-तू मैं-मैं करते हैं कुछ इसी तरह का नजारा संडे को इलाहाबाद जंक्शन पर देखने को मिला। जब मुगलसराय, पटना और कानपुर की ओर जाने वाली ट्रेनें जंक्शन पर पहुंची तो हजारों लोगों ने हल्ला बोल दिया। लोगों ने हल्ला बोला तो फिर एसी कोच को छोड़ दिया जाए तो जनरल और स्लीपर कोच का अंतर खत्म हो गया। स्लीपर कोच का भी हाल जनरल जैसा हो गया।

ट्रेन रूकते ही दौड़ पड़े लोग

मुगलसराय से लेकर हावड़ा तक जाने के लिए रूटीन पैसेंजर्स, रिजर्वेशन कराने वाले पैसेंजर्स के साथ ही आरआरबी का एग्जाम देने के लिए आए कैंडिडेट जैसे ही ट्रेन आई दौड़ पड़े। एक दूसरे को धक्का देते हुए, घुसने लगे।

जब आई जोधपुर-हावड़ा

मुगलसराय होते हुए हावड़ा की ओर जाने वाली जोधपुर-हावड़ा एक्सप्रेस संडे को दिन में करीब ढाई बजे जैसे ही इलाहाबाद जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर छह पर पहुंची। प्लेटफार्म पर हंगामे जैसी स्थिति पैदा हो गई। इलाहाबाद पहुंचने से पहले ट्रेन की करीब-करीब सभी बोगियां फुल थी। स्लीपर कोच में रिजर्वेशन कराकर सवार पैसेंजर के अलावा कुछ लोग ही सवार थे, इसलिए स्लीपर कोच में जगह दिखाई दे रही थी। लेकिन इलाहाबाद जंक्शन पहुंचते ही स्लीपर कोच जनरल कोच बन गया।

एस-ख् बन गया जनरल कोच

ट्रेन जैसे ही प्लेटफार्म पर रूकी सैकड़ों लोग दौड़-पड़े जिनमें रिजर्वेशन कराकर ट्रेन का इंतजार कर रहे पैसेंजर्स, रूटीन पैसेंजर्स और आरआरबी का एग्जाम देने आए सैकड़ों कैंडिडेट शामिल थे। सैकड़ों लोग जब ट्रेन में घुसे तो स्लीपर कोच भी फुल हो गया। आईनेक्स्ट टीम जोधपुर-हावड़ा के एस-टू में घुसी तो पैर रखने की जगह नहीं मिल पाई। जो लोग हावड़ा तक का रिजर्वेशन कराकर ट्रेन में सवार थे, वे परेशान दिखे। क्योंकि उनके सीट पर जनरल पैसेंजर जो कब्जा कर लिए। एक बर्थ पर पांच-पांच छह-छह लोगों के बैठने के बाद भी, उपर के बर्थ पर तीन-तीन, चार-चार लोग सवार थे। कुल मिला कर देखा जाए तो 7ख् सीट वाले स्लीपर कोच में ख्00 से ज्यादा लोग चंद मिनट में भर गए। एक कोच में ख्00 से ज्यादा लोग घुसेंगे तो क्या हाल होगा। बताने की जरूरत नहीं।

आखिर इनकी क्या गलती थी।

जो पैसेंजर्स ट्रेन में रिजर्वेशन कराकर ट्रेवलिंग कर रहे थे, आखिर उनकी क्या गलती थी, कि उनकी यात्रा सुखद नहीं बल्कि दुखद हो गई। उमस भरी गर्मी से पहले ही परेशान थे, वहीं जब पूरी बोगी पैक हो गई तो परेशानी और बढ़ गई। वहीं कैंडिडेटों की दादा गिरी अलग। एक तो बर्थ पर कब्जा कर लिया दूसरे आंख भी दिखाया। एग्जाम तो रेलवे ने कंडक्ट कराया, लेकिन परेशानी का सामना आम पैसेंजर्स को करना पड़ा।

हर बार बोलते हैं हल्ला

जब-जब आरआरबी, एसएससी, आईएएस, पीसीसीएस या फिर अन्य कोई एग्जाम होता है, तो ट्रेनों में कुछ इसी तरह का नजारा दिखाई देता है। कैंडिडेट ट्रेन में हल्ला बोलते हैं और ट्रेन में सवार पैसेंजर परेशान होते हैं।