ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैडर्ड (बीआईएस) ने फस्र्ट अप्रैल से हॉलमार्क वाली ज्वेलरी को कंपलसरी कर दिया है। गोल्ड खरीदने के शौकीनों को अब 22 कैरेट प्योर गोल्ड मार्केट में मिलेंगे। इससे कैरेट के नाम पर मालप्रैक्टिस की पॉसिबिलिटी भी खत्म हो जाएगी।

इन बातों का रखें ख्याल
अगर आप हॉलमार्क वाली गोल्ड ज्वेलरी खरीदने जाते हैं, तो सबसे पहले आपको ज्वेलरी में लगे हुए हॉलमाक्र्स का स्टाम्प देखना होगा। इसे आप मैगनिफायिंग  ग्लास के जरिए आसानी से देख सकते हैं। साथ ही, इसमें लगे बीआईएस के लोगो को भी देखकर आप इसके रियल होने की पहचान कर सकते हैं।

 दोनों तरह के jewellers
बिष्टुपुर स्थित तनिष्क ज्वेलर्स शो रूम के मैनेजर सुधांशु सक्सेना का कहना है कि हमारे यहां सर्टिफाइड 22 कैरेट वाली ज्वेलरी ही अवेलेबल है। मार्केट में ऐसे कई ज्वेलरी शॉप्स हैं, जहां दोनों तरह की ज्वेलरी मिलती है। ऐसे में जिन्हें प्योर गोल्ड चाहिए होता है, वो हॉलमाक्र्स टैग वाली ज्वेलरी ही खरीदते है.

अब नहीं होगी problem
सिदगोड़ा की रहने वाली मंजू का कहना है कि पहले गोल्ड खरीदते वक्त इसके प्योरिटी को लेकर हमेशा अंदेशा बना रहता था, लेकिन हॉलमार्क कंपलसरी होने के बाद अब हम बिना किसी हिचकिचाहट के गोल्ड परचेज कर सकते हैं। वहीं मानगो के रहने वाले विशाल का कहना है कि पहले ज्वेलरी सेल करने पर हमें केवल उसका 90 परसेंट मिलता था, लेकिन अब हॉलमाक्र्स सर्टिफाइड होने पर हमें गोल्ड के उतने ही पैसे मिलेंगे।

छोटे jewellery shops पर गिरेगी गाज
आने वाले मंथ ज्वेलरी शॉप में बीआईएस से रजिस्टर ज्वेलर्स ही सेल किए जाएंगे। अगर छोटे ज्वेलर्स की बात करें, तो उनके बिजनेस को इससे झटका लग सकता है। उनके बिजनेस पर गाज गिरने की संभावना हो सकती है क्योंकि इनका बिजनेस कस्टमर के बार्गेनिंग पर ही चलता है।

5 signs are compulsory
- बीआईएस का स्टैंप
-22 प्योर गोल्ड कैरेट
-बीआईएस द्वारा सर्टिफाइड हॉल मार्क का चिन्ह
-जिस इयर में ज्वेलरी बनी है, उसका कोड
-बीआईएस सर्टिफाइड ज्वैलर्स का मार्क

क्या है फायदे.
-कस्टमर को प्योर गोल्ड
-रिटर्न के दौरान मजदूरी के अलावा कुछ और नहीं काटा जाएगा।

Data speaks
- इंडिया में करीब 500 टन पर इयर गोल्ड की खपत होती है।
- 80 परसेंट होता है डोमेस्टिक यूज, 15 परसेंट इन्वेस्टमेंट और 5 परसेंट इंडस्ट्रीयल यूज।