- आईनेक्स्ट रिपोर्टर ने जांची बस अड्डे पर मिलने वाली सुविधाओं की जमीनी हकीकत

LUCKNOW: जगह: कैसरबाग बस अड्डा। समय: दोपहर क्.ब्0 बजे। सीतापुर से आए रविन्द्र सिंह ने अपनी 7भ् साल की बूढ़ी मां लक्ष्मी देवी के लिए ट्राईसाइकिल मांगी। मां एक पैर से विकलांग दिखाई पड़ रही थी। ऐसे में रविन्द्र सिंह ने पहले बस अड्डे में घुसते ही लेफ्ट हैंड पर बने काउंटर पर ट्राईसाइकिल मांगी, लेकिन कोई नहीं मिला।

नहीं मिला कोई अधिकारी

इसके बाद उसने स्टेशन इंचार्ज के कमरे का रुख किया तो पता चला कि वहां मौजूद तमाम पदाधिकारी पांच मिनट पहले ही एक कर्मचारी के रिटायरमेंट पर आयोजित सम्मान समारोह में हिस्सा लेने गए हैं। ये सम्मान समारोह कहीं और नहीं, बल्कि बस स्टेशन के ही फ‌र्स्ट फ्लोर पर था। उधर, फैमिली के लोगों ने देखा कि अब ट्राईसाइकिल मिलने की उम्मीद न देख कर पैरेंट्स लक्ष्मी देवी को किसी तहर कंधे पर टिका कर बस की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया।

कर्मचारी को लगाई आवाज

उधर रविन्द्र सिंह ने ट्राईसाइकिल मिलती न देख स्टेशन पर मौजूद एआरएम एके सिंह के कमरे में पहुंचे और ट्राईसाइकिल मांगी। यहां पर उन्होंने एक अन्य कर्मचारी को आवाज दी। वह कर्मचारी रविन्द्र सिंह को लेकर कंडक्टर डयूटी रूम क तरफ बढ़ गया। वहां पर कहीं ट्राईसाइकिल नजर नहीं आ रही थी। यहां पर उसने एक बोर्ड को खिसका कर ट्राईसाइकिल निकाली। यह ट्राईसाइकिल ऐसी कबाड़ थी कि देखने के बाद ऐसा लग रहा था तो इस पर सालों से कपड़ा नहीं लगाया गया है।

'इसको साफ कर लो'

धूल और जर्जर ट्राईसाइकिल उसने रविन्द्र सिंह को दी और कहा कि उसे साफ कर लो। उधर रविन्द्र सिंह के परिजन आए और कहा कि माता जी को बस में बैठा दिया। इसके बाद वह वहीं पर ट्राईसाइकिल छोड़ कर चले गए। इसे वापस बोर्ड के पीछे ऐसी जगह डाल दिया गया, जहां किसी की निगाह न जा सके। इस मामले में जब परिवहन निगम के अधिकारियों ने बताया कि वैसे तो कभी यहां पर इसकी डिमांड के लिए आता ही नहीं है। कभी-कभार ही लोग इसके लिए सम्पर्क करने पड़ते हैं। सिर्फ ये ही नहीं हमारे पास लगेज ट्रॉली भी है। लेकिन पब्लिक इनके लिए संपर्क ही नहीं करती। खास बात यह है कि इनकी लिखत-पढ़त के चलते पब्लिक इससे खुद ही कतराती है।

ऐसा नहीं है हमारे पास ट्राईसाइकिल नहीं है, लेकिन लोग इनके लिए कम ही सम्पर्क करते हैं। किसी ने डिमांड की है तो उसे ट्राईसाइकिल उपलब्ध कराई गई है।

- एके सिंह

एआरएम

बस अड्डे पर चलना आसान नहीं

चारबाग स्टेशन पर मात्र एक प्लेटफॉर्म बना हुआ है। यहां पर विकलांग तो क्या सामान्य व्यक्ति भी ढंग से खड़ा नहीं हो सकता है। बस अड्डे पर चलना भी आसान नहीं है। जगह-जगह से इसका फर्श टूटा हुआ है। आलमबाग बस अडडे से संचालित होने वाली तमाम बसों का संचालन इस समय चारबाग बस अड्डे से किया जा रहा है। ऐसे में इस बस अड्डे पर भीड़ बढ़ गई है। यहां पर ट्राईसाइकिल के लिए कोई व्यवस्था है ही नहीं। चंद बसों का संचालन अभी भी आलमबाग बस अड्डे से किया जा रहा है। यहां पर ट्राईसाइकिल तो हैं लेकिन वे एक ताले में बंधी रहती है। इन साइकिलों को मांगने के लिए जब कोई व्यक्ति जाता है तो आधे घंटे के बाद व्यक्ति चाभी लेकर आता है। इनमें इतनी धूल भरी हुई है कि इस पर बैठना मुश्किल है।

आलमबाग बस अड्डे की शिफ्टिंग की जा रही है। तमाम बसों का संचालन चारबाग से किया जा रहा है। वहां पर ट्राईसाइकिल की व्यवस्था जल्द कर ली जाएगी। आलमबाग में ट्राईसाइकिल मौजूद हैं।

- एके सिंह

आरएम

ये है नियम

- किसी भी विकलांग और बुजुर्ग व्यक्ति के लिए हर बस अड्डे पर ट्राईसाइकिल की व्यवस्था होनी चाहिए।

- ये ट्राईसाइकिल्स ऐसी जगह होनी चाहिए, जहां कोई भी व्यक्ति आसानी से इसकी सुविधा ले सके।

- सभी बस अड्डे ऐसे होने चाहिए, जहां जो मुख्य मार्ग से ऐसे जुड़े हो जिनसे बस अड्डे तक ट्राईसाइकिल से पहुंचा जा सके। ऐसे में सभी जगह रैम्प बने होना चाहिए।

- विकलांग व्यक्ति के ट्राईसाइकिल मांगने पर यदि उसे सुविधा नहीं मिलती है तो वह बस अड्डे के पास मौजूद शिकायत पुस्तिका में आपत्ति दर्ज करानी चाहिए।