- शहरी इलाके में 35 किमी लाइन बिछाने की दरकार

- बूंद-बूंद पानी के लिए तरसते हैं शहरी

FATEHPUR: शहर में पेयजल व्यवस्था लोगों के सूखे हलक को तर नहीं कर पा रही है। संसाधन बदहाली की कहानी बयां कर रहे हैं तो नगर पालिका प्रशासन कान में तेल डाले बैठा है। विकास के नाम पर प्रति वर्ष करोड़ों रुपए खपते हैं लेकिन पेयजल व्यवस्था पंगु बनी हुई है। हर साल पेयजल को लेकर गर्मी में बवंडर उठता है अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद खत्म हो जाता है।

नगर पालिका और जल निगम के सहयोग से शहरियों की प्यास बुझाने की योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। लोगों को खुद सबमर्सिबल पंप लगवाने पड़ रहे हैं। पालिका ने व्यवस्था चलाने के लिए जो योजना अब तक बनाई है वह ऊंट के मुंह में जीरा वाली कहावत चरितार्थ कर रही है। पालिका के पास जो संसाधन हैं उससे लोगों की प्यास नहीं बुझा पा रहे हैं। साथ ही वह आबादी के हिसाब से कम हैं।

ओवरहेड टैंक शो-पीस

शहर के ओवरहेड टैंक शो-पीस बने हुए हैं। शहर से सटे चक बिसौली, जयराम का पुरवा, नई बस्ती राधानगर, शीतला मंदिर तुराब अली का पुरवा और शहर की नई आबादी में पेयजल लाइन ही नहीं डाली गई है। आए दिन पीने का पानी न मिल पाने को लेकर हो हल्ला उठता है। इसके बाद भी पालिका प्रशासन नहीं चेत रहा है।

जल निगम गुणवत्ता नहीं दे पाता

नगर पालिका के जलकल अभियंता गौरी शंकर पटेल कहते हैं कि व्यवस्था को सु²ढ़ बनाने के प्रयास किए जाते हैं। असल में दिक्कत यह है कि स्थापना का काम जल निगम करता है। जो गुणवत्ता नहीं दे पाता है। जिसका विवाद भी खूब चला। घटिया काम करके पालिका को परेशानी में डाला जाता है। करोड़ों रुपए के काम की चे¨कग में पोल खुलकर सामने आ जाती है। उदाहरण देते हुए बताया कि नवीन मार्केट के पीछे से लगाए गए नलकूप से जब पानी छोड़ा जाता है तो यह जगह जगह फटकर निकलता है।

इनसेट आबादी : ख् लाख 7भ् हजार

वार्ड : फ्0, मुहल्ले क्भ्0

मकान : 70 हजार

ओवर हेड टैंक : क्ख्

नलकूप : फ्फ्

दोष किसका ? 70 हजार घरों में क्ब् हजार कनेक्शन

पेयजल व्यवस्था सु²ढ़ कैसे होगी जब पानी परोसने के एवज में मिलने वाले धन की तरह प्रशासन सक्रिय नहीं होगा। आंकड़ों पर गौर करें तो पालिका क्षेत्र में 70 हजार मकान हैं इनमें महज क्ब् हजार मकान मालिकों ने विधिक तौर पर कनेक्शन ले रखे हैं। बाकी शहर में पानी का उपयोग कर पालिका को देनदारी के नाम पर ठेंगा दिखाया जा रहा है। इस व्यवस्था से दो नुकसान हो रहे हैं एक तो पालिका को मिलने वाला धन नहीं मिल पा रहा है दूसरे धन से पेयजल का विकास नहीं हो पा रहा है।

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पालिका के पास लाइन डालने का अधिकार नहीं

शहर में पेयजल लाइन डालने का काम जल निगम का है। पालिका के काम को जल निगम कर रहा है। पाइप लाइन डालने और ओवरहेड टैंक का निर्माण जल निगम के द्वारा होता है। वर्ष ख्008 में डाली गई पाइप लाइन, लगाए गए नलकूप और बनाए गए ओवरहेड टैंक का विवाद शासन तक जा पहुंचा है। पालिका गुणवत्ता ठीक न होने का ठीकरा जल निगम के ऊपर फोड़ रहा है। यही वजह है कि 8 ओवर हेड टैंकों के हस्तांतरण नहीं हो सके हैं। क्फ् नलकूप में सुधार के बाद पालिका ने लिए हैं।

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अवैध कनेक्शन की भरमार

शहर में पेयजल लाइन से अवैध कनेक्श्न लेने वालों की भरमार है। शहर में जिधर नजर दौड़ाओ उधर वाहनों को धोने वाली दुकाने मिल जाएंगे। एक भी दुकान में कार्मशियल कनेक्शन नहीं है। यह दो पहिया से ब्0 रुपए तो चार पहिया वाहनों से क्भ्0 रुपए वसूल रहे हैं। व्यवसाई लाखों कमाते हैं पालिका की झोली में धेला भी नहीं आ रहा है। यही वजह है कि कभी पालिका में क्ख् मिस्त्री पंजीकृत हुआ करते थे। अवैध कनेक्शन कराने से पंजीकृत मिस्त्रियों का काम छिना तो उन्होंने पंजीकरण से मुंह मोड़ लिया। मौजूदा समय में केवल क् मिस्त्री ही पंजीकृत है। पालिका की अधिशाषी अधिकारी रश्मि भारती कहती है कि हाल ही में सर्वे कराया गया है। कनेक्शन लेने के लिए समय दिया गया था। अब छापेमारी करके इन दुकानदारों पर सीधे एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। बाद में कनेक्शन दिए जाएंगे। राजस्व में हो रहे नुकसान के लिए हर कड़ी कार्यवाही की जाएगी। वर्मा चौराहा का बिगड़ा नलकूप नहीं हुआ ठीक

वर्मा चौराहे के पास खराब हुआ नलकूप रविवार को भी ठीक नहीं हुआ है। छुट्टी का दिन होने के चलते जिम्मेदार घरों में बैठकर छ्टटी का लुत्फ उठाते रहे। भीषण गर्मी से परेशान जनता पानी के लिए परेशान होती रही। मुहल्ले के राजन हांडा, जागेश्वर सिंह, अनिल तिवारी, प्रवीण त्रिवेदी आदि का कहना रहा कि पालिका प्रशासन को जन समस्याओं से कोई ताल्लुक नहीं रह गया है। यही वजह है कि पालिका प्रशासन समस्या पर ध्यान नहीं दे रहा है। मामले में सबसे ज्यादा दोषी जेई हैं वह मामले को सही ठंग से निस्तारित करने की योजना नहीं बनाते हैं। जिससे शहर में पेयजल व्यवस्था आए दिन पंगु पड़ी रहती है।