- किडनी खराब होने की होती है पांच स्टेज

- जरुरी है सभी स्टेज के बारे में जानना

Meerut : आज व‌र्ल्ड किडनी डे है। लाइफस्टाइल में चेंज के साथ किडनी संबंधी बीमारी भी बढ़ी है। किडनी की बीमारी इस इस मायने में खास है कि इसके होने के बाद शरीर को पोषण देने वाली चीजें ही नुकसान पहुंचा सकती हैं। स्टेज एक से होकर तीन तक के मरीज कैसे अपने खानपान को कंट्रोल कर किडनी के नुकसान को कम कर सकते हैं। आइए बताते हैं आपको इसके बारे में कुछ खास।

पांच स्टेज

डॉ। वीरोत्तम तोमर के अनुसार किडनी खराब होने के पांच स्टेज होते हैं, जिनमें स्टेज पांच तक आने में किडनी का ट्रांसप्लांट करना बेहद जरुरी हो जाता है।

स्टेज-क् इस स्टेज में 90 फीसदी या उससे ज्यादा काम करने लायक रहता है।

लक्षण - पेशाब में कुछ गड़बड़ी पता चलती है। लेकिन क्रिएटिनिन और जीएफआर ग्लोमेरूलर फिल्टेशन रेट समान्य होता है। जीएफआर बतता है कि किडनी कितने फिल्टर कर रही है।

स्टेज -ख् हालत म्0-89 फीसदी तक काम करने लायक।

लक्षण - जीएफआर म्0-89 के बीच में होता है, लेकिन क्रिएटनिन सामान्य रहता है। पेशाब की जांच में प्रोटीन ज्यादा होने के संकेत मिलने लगते हैं, शुगर या हाई बीपी रहने लगता है।

स्टेज -फ् किडनी फ्0- भ्9 फीसदी तक काम करने लायक।

लक्षण-क्रिएटनिन बढ़ने लगता है। अनीमिया, ब्लड टेस्ट में यूरिया ज्यादा आ सकता है, शरीर में खुजली होती है।

स्टेज-ब् किडनी क्भ् से ख्9 फीसदी तक काम करने लायक।

लक्षण- क्रिएटनिन भी ख्-ब् मिलीलीटर के बीच होने लगता है। इसमें मरीज जल्दी थकने लगता है। शरीर में सूजन आ जाती है।

स्टेज-भ् हालत क्भ् फीसदी से भी कम काम करने लायक।

लक्षण- क्रिएटनिन ब्-भ् या उससे ज्यादा हो जाता है। मरीज के लिए डायलिसिस या किडनी का ट्रांसप्लांट बेहद जरूरी हो जाता है।

किसकी कितनी मात्रा जरुरी

प्रोटीन

किनमें है प्रोटीन

दाल, दूध, दही, पनीर, मीट, अंडा मछली आदि

क्यों जरुरी हैं- इसकी जरुरत शरीर में मसल्स बनाने, सही ग्रोथ, जख्मों को भरने और इनफेक्शन से बचने के लिए होती है। किडनी जब सही से काम नहीं करती, तब अधिक प्रोटीन लेने से शरीर में प्रोटीन वेस्ट ज्यादा हो जाते हैं, जिसके टॉक्सिन बनने लगता है और किडनी फेल हो जाती है। इसकी सही खुराक को समझने के लिए टेस्ट से अपने जीएफआर का पता करना जरुरी है।

जीएफआर 90 या 90 से ज्यादा हो तो 0.7-0.8 ग्राम प्रोटीन प्रति किलो वजन के हिसाब से लिया जा सकता है।

जीएफआर म्0 -89 हो तो 0.फ्-0.म् ग्राम प्रति किलो वजन के हिसाब से प्रोटीन लिया जा सकता है।

- जीएफआर फ्0- भ्9 हो तो 0.भ्भ् -0म् ग्राम प्रति किलो वजन के हिसाब से प्रोटीन लिया जा सकता है।

- जीएफआर ख्भ् से भी कम हो तो 0.फ्-0.ब् ग्राम प्रति किलो के हिसाब से प्रोटीन लिया जा सकता है।

कार्बाेहाइड्रेट

किसमें हैं कार्बाेहाइड्रेट - आलू, पिज्जा, गेहूं, चावल, सूजी, मैदा।

- क्यों जरुरी है- ये हमारे शरीर को एनर्जी देने के लिए जरुरी है।

कैलारी की खुराक पर निर्भर करती है कि मरीज की उम्र क्या है और वह दिन में कितना काम करता है।

- म्0 साल से कम उम्र तो एक दिन में फ्भ् कैलोरी प्रति किलो वजन के हिसाब से डाइट ले सकते हैं। मतलब अगर वजन म्0 किलो है तो दिन भर में ख्क्00 कैलरीज ले सकते हैं।

- म्0 साल से अधिक उम्र के हैं तो फ्0 कैलरीज प्रति किलो वजन के हिसाब से कार्बोहाइटेड की डाइट लें।

- उम्र व कामकाज के रूटीन को देखते हुए किसी भी स्टेज के मरीज के लिए कार्बाेहाइड्रेट की म्-क्क् सर्विग्स एक दिन में ली जा सकती है। यहां एक सर्विग का मतलब है एक सेब या क्0-क्ख् अंगूर के दाने या आधा कप दूध आदि।

फॉस्टफेट

किसमें है फॉस्फेट दूध, दही, चीज, मीट, मछली, साबुत अनाज, मटर, बींस, केला और ड्राई फ्रूटस।

क्यों जरूरी है। यह हड्डियों व दांतों के लिए जरुरी मिनरल हैं लेकिन इसकी अधिकता हड्डियों व दांतों को नुकसान भी दे सकती है।

जब फॉस्फेट की मात्रा खून में ज्यादा आ जाती है तो शरीर में खुजली होती है और हड्डियों में कैल्शियम का नुकसान होने लगता है। जिसे ऑस्टयोपोरोसिस कहते हैं।

- जो मरीज डायलिसिस पर होते हैं, उन्हें 800-क्000 मिलीग्राम रोज फॉस्फेट लेना चाहिए।

- स्टेज एक से तीन तक के पेशेंट म्00 से क्000 तक मिलीग्राज रोज फॉस्फेट ले सकते हैं।

इनसे बचें

- ब्राउन बे्रड, व्हाइट बे्रड, ब्राउन चावल, व्हाइट चावल, शराब, चॉकलेट, सोयाबीन, राजमा व कोल्ड ड्रिंक्स

कैल्शियम

किसमें है कैल्यिशयम - दूध, दही, अंडा, मछली, हरे पत्तेदार सब्जियां, मटर, बींस

क्यों जरुरी है.- फॉस्फेट की तरह कैल्शियम भी हड्डियों और दांतों के लिए आवश्यक है।

सोडियम

किसमें है सोडियम - नमक, सोया, सॉस, चीज, नमकीन मक्खन आदि।

क्यों जरुरी है सोडियम- शरीर के सेल्स में फ्यूइड के बहाव को कंट्रोल करता है। स्वास्थ किडनी सोडियम की मात्रा को रेगुलर करती है। जब वह ठीक से काम नहीं करती जैसे हाई ब्लड प्रेशर हो जाता है व शरीर में सूजन आ जाती है।

- स्टेज क् से फ् के मरीज सोडियम की मात्रा एक दिन में क्भ्00-ख्000 मिलीग्राम या चौथाई छोटा चम्मच से अधिक न ले।

- जो डायलिसिस पर हैं वे ख्000-ख्भ्00 मिलीग्राम सोडियम रोज ले सकते हैं मतलब आधे छोटा चम्मच के बराबर।

पोटैशियम

किसमें है पोटैशियम- केला, संतरा, किशमिश, कीवी, टमाटर, पपीता, खरबूजा, बींस, राजमा, ड्राई फ्रूट्स

क्यों जरुरी है.- यह नव्स व मसल्स के कामों को कंट्रोल करके हार्ट बीट को कंट्रोल रखने में मदद करता है। इसकी ज्यादा मात्रा दिल की धड़कनों को अनियमित करके बुरा असर डालती है।

कितनी मात्रा

- स्टेज क् से फ् तक के मरीज रोज क्भ्00-ख्000 मिलीग्राम और डायलिसिस के मरीज ख्000 -ख्भ्00 मिलीग्राम पोटेशियम ले सकते हैं।

होम्योपैथिक करता है जड़ से समाप्त

डॉ। राजेंद्र सिंह के अनुसार किडनी खराब होने की फ‌र्स्ट स्टेज से ही ध्यान रखना जरुरी है। इसके लिए होम्योपैथिक का इलाज सबसे ज्यादा अच्छा है। यह बीमारी की जड़ तक जाकर खत्म करता है।

एक्युप्रेशर में भी है किडनी का इलाज

डॉ। अंजू शर्मा के अनुसार एक्यूप्रेशर ट्रीटमेंट द्वारा सभी जटिल रोगों को निदान संभव है और दवाइयों का सेवन भी कम हो जाता है। एक्यूप्रेशर ट्रीटमेंट बिना दवाओं के बीमारियों को दूर करता है। किडनी, लीवर, कैंसर जैसी बीमारियों का इलाज संभव है।

जीएफआर एक आसान सा ब्लड टेस्ट होता है जो यह बताता है किडनी कितनी फीसदी काम कर रही है। हम स्टेज एक से तीन तक में खानपान के बारे में सामान्य जानकारी होना बेहद आवश्यक है। इनसे आगे की स्टेज में किडनी से जुड़े खानपान का मसला काफी सर्तकता से करना आवश्यक है।

डॉ। वीरोत्तम तोमर

किडनी के सभी स्टेज पर ध्यान रखना बेहद आवश्यक है। अगर स्टेज वन से ही ध्यान दिया जाए तो खुद का बचाव किया जा सकता है। इसलिए अपने खानपान का ध्यान रखना चाहिए, इसके लिए डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है।

डॉ। तनुराज सिरोही, फिजिशियन

- फलों के रस और सब्जियों में भी नेचुरल पोटैशियम होता है। उन्हें बाहर करने के लिए सब्जियों को छोटा काटकर पानी में दो घंटे तक भिगोएं और फिर खाएं।

डायटीशियन- डॉ.भावना गांधी

डायटीशियन डॉ। रचना सिंघल के अनुसार इन बातों का रखें ध्यान

- खाने की जो चीजें कमरे के तापमान पर लिक्विड होती है, उनमें भी फ्लूइड है जैसे सूप आईसक्रीम आदि। अगर किडनी का मरीज ज्यादा फ्लूइड्स लेगा तो शरीर में सूजन आ सकती है।

- याद रहे, फलों व सब्जियों में अपना पानी भी होता है।

- ऐसा खाना खाएं जिसमें नैचुरल सोडियम भी कम हो जैसे- पालक, मेथी, लाल बंदगोभी, अंडा, मीट आदि।

- जिन्हें खाने की लिस्ट से बाहर करना है। जैसे डिबाबंद खाना, सोया सॉस, चिप्स, नमकीन, कैचप आदि।