राष्ट्रोदय के मंच से भागवत ने दिया हिंदुओं को संगठित होने का संदेश
मेरठ में हुआ राष्ट्रीय स्वयंसेवक के इतिहास का सबसे बड़ा समागम
कई धर्मगुरुओं ने लिया हिस्सा, 3 लाख से अधिक स्वयंसेवक पहुंचे
Meerut। कट्टर हिन्दुत्व का अर्थ कट्टर सत्यनिष्ठा, कट्टर ब्रह्माचर्य, कट्टर योद्धा और कट्टर अहिंसा का पालन करने वाला, कट्टरता उदारता के लिए है। हम कट्टर होंगे, तभी अपनी विचारधारा से विश्व का कल्याण कर सकेंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ। मोहन भागवत ने राष्ट्रोदय के मंच से कट्टर हिंदुत्व की व्याख्या अपने शब्दों में की। संघ प्रमुख ने साफ कर दिया कि कट्टर बनकर ही हम अपनी विचारधारा पर अडिग रह सकेंगे। संघ के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा स्वयंसेवक समागम (राष्ट्रोदय-2018) रविवार को मेरठ में संपन्न हुआ।
डॉ। भागवत ने कहा
सभी का एक ही धर्म
हमारे देश के पूजा करने वाले और पूजा नहीं करने वाले, कई भाषाओं को बोलने वाले लोग हजारों जातियों में खुद को गिनने वाले लोगों का एक ही धर्म है।
भारत से उम्मीद
भारत के पास धर्म का ऐसा रास्ता है जिससे व्यक्ति ही नहीं समाज को सुख-शांति मिल रही है। वैश्विक विचलन के इस दौरान में विश्व भारत की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहा है।
वसुधैव कुटुम्बकम
हमारा देश एक है, क्योंकि हमारे यहां वसुधैव कुटुम्बकम के मंत्र पर लोग चलते हैं। हम हिन्दू कट्टर होंगे तो अधिक विविधताओं को समाहित करेंगे।
हिंदू संस्कृति का नाम
भारत माता को अपनी माता मानने वाला हिन्दू है। हमारे देश में हिन्दू लोग हैं लेकिन वो जानते नहीं कि वो हिन्दू हैं।
संकट में सदैव तत्पर
जब कभी देश पर संकट आता है तो स्वयंसेवक वहां पहुंचते हैं और प्राणों की चिंता किए बगैर राष्ट्र के लिए अपना जीवन दांव पर लगा देते हैं।
अपनी शक्ति को पहचानें
कार्यक्रम शक्ति परीक्षण के लिए करते हैं ताकि हम अपनी शक्ति को पहचान कर अपनी सीमाओं और सेवा के दायरों को बढ़ा सकें।
दुर्बलों की रक्षा करें
दुर्बलों की रक्षा करने के लिए हिंदुओं को स्वयं में मनुष्यता विकसित करनी होगी।
स्वयंसेवक बनें
समाज के उत्थान के लिए और उसके विकास के लिए हर समुदाय के लोगों को स्वयंसेवक बनने की जरूरत है। हिंदुओं को संगठित और प्रशिक्षित होना होगा।
इसके अलावा
संतों ने लिया हिस्सा
समागम में आरएसएस प्रमुख के अलावा मंच पर जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद जी महाराज आयोजन के अध्यक्ष थे जबकि जैन धर्म गुरु विहर्ष सागर जी महाराज, गुरुकुल प्रभात आश्रम के कुलाधिपति स्वामी विवेकानंद सरस्वती महाराज मुख्य मंच पर थे, जबकि विभिन्न संप्रदायों और मतों के 150 धर्मगुरुओं ने आयोजन में हिस्सा लिया। मुख्य मंच पर आरएसएस के क्षेत्र संघचालक दर्शनलाल अरोड़ा और प्रांत संघचालक मनवीन सिंह मौजूद थे।