- लास्ट इयर किए गए प्लांटेशन में अधिकतर प्लांट्स को पहुंचा नुकसान

- इस बार साइंटिफिक तरीके से होगा प्लांटेशन, बचाव को होगी फेंसिंग

>DEHRADUN: रिस्पना से ऋषिपर्णा यानि रिस्पना पुनर्जीवीकरण पर अबकी बार हरेला पर्व के मौके पर खासा उत्साह नजर नहीं आ रहा है। औपचारिकताएं जरूर की जा रही हैं, गत वर्ष ढ़ाई लाख प्लांटेशन के एवज में जहां करीब 80 हजार प्लांटेशन किया गया था। वहीं, इस बार 21 हजार प्लांटेशन का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि कहा जा रहा है कि इस बार जो भी प्लांटेशन किया जाएगा, वह प्लांट पूरी तरह से फेंसिंग के जरिए सुरक्षित व संरक्षित किए जाएंगे। हरेला पर्व पर अबकी बार जिस प्रकार से जिला प्रशासन की ओर स्कूल्स, एनजीओ, सामाजिक संगठनों से अपील की गई थी, उनमें भी दिचलस्पी नहीं दिख रही है। फिलहाल, हरेला पर्व पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत सुबह 9.30 बजे मोथोरावाला में प्लांटेशन में प्रतिभाग करेंगे। ऐसे ही रिस्पना के कैचमेंट एरिया शिखरफॉल में भी अधिकारियों की मौजूदगी में प्लांटेशन कार्यक्रम का आयोजन किया जाना प्रस्तावित है।

संस्थाएं, स्कूल्स व एनजीओ में नहीं दिख रही दिलचस्पी

रिस्पना पुनर्जीवीकरण के तहत लास्ट इयर दून में रिस्पना नदी के कैचमेंट एरिया से लेकर मोथोरावाला तक करीब 2.5 लाख प्लांटेशन का लक्ष्य रखा गया था। कई दिनों तक शासन-प्रशासन के अधिकारी जुटे रहे। अधिकारी इसको सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट के तौर पर मान रहे थे। आखिर में इसके एवज में करीब 80 हजार प्लांटेशन ही हो पाए। इतनी मात्रा में हुए प्लांटेशन के बावजूद रिजल्ट बेहद निराशाजनक रहा। बताया जा रहा है कि इसमें से अधिक प्लांट्स ग्रो ही नहीं कर पाए। देख-रेख, मॉनिटरिंग और जिम्मेदारी के अभाव में अधिकतर प्लांट्स सूख गए। नतीजतन, जिन संस्थाओं, युवाओं, एनजीओ व स्कूल्स ने इस प्लांटेशन में दिलचस्पी दिखाई। उन्होंने इस बार अपने हाथ पीछे खींच लिए। स्थिति यह है कि इस हरेला पर्व पर रिस्पना पुनर्जीवीकरण के लिए किए जाने वाले प्लांटेशन प्रोग्राम से पहले जिला प्रशासन की ओर से दो बैठकें बुलाई गई। इन बैठकों में अधिकतर संस्थाएं, स्कूल्स, एनजीओ यहां तक की जिम्मेदार डिपार्टमेंट भी नहीं पहुंच पाए। जबकि इको टॉस्क फोर्स ने तो लास्ट इयर ही अपने हाथ पीछे खींच लिए थे। दून हरेला पर्व पर आयोजित होने वाले प्लांटेशन कार्यक्रम के लिए जिला प्रशासन की ओर से सिटी मजिस्ट्रेट को नोडल अधिकारी बनाया गया था। सिटी मजिस्ट्रेट अभिषेक रूहेला ने बताया कि हरेला पर्व पर इस बार रिस्पना के कैचमेंट एरिया से लेकर मोथोरावाला तक 21 हजार प्लांटेशन का लक्ष्य रखा गया है। प्लांटेशन में कोई जल्दबाजी नहीं की जाएगी। योजनाबद्ध तरीके से प्लांटेशन किया जाना प्रस्तावित है। प्लांट्स फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की ओर से प्रोवाइड कराए जाएंगे। इसके लिए पहले ही गड्ढे तैयार कर लिए गए हैं। सिटी मजिस्ट्रेट का कहना है कि लास्ट इयर के रिकॉर्ड के मुताबिक आपदा कंट्रोल रूम से जितने फोन नंबर्स उपलब्ध हो पाए, उनके अनुसार प्लांटेशन के लिए सभी से आग्रह किया गया है। ब्लॉक आवंटित किए गए हैं।

अबकी बार बड़े प्लांट्स भी शामिल

जिला प्रशासन के अनुसार इस बार साइंटिफिक तरीके से प्लांटेशन किया जाना प्रस्तावित है। यहां तक कि प्लांट्स उगाने के लिए जंगल की उपजारू मिटी को भी तैयार किया गया है। बड़े व छोटे प्लांट्स तैयार किए गए हैं। प्लांट्स को बचाने के लिए फेंसिंगग(सेफ्टी कवरर)के भी इंतजाम किए गए हैं। जिससे रोपे गए प्लांट्स को किसी प्रकार का नुकसान न पहुंचे। प्लांटेशन किया जाना उद्देश्य नहीं, बल्कि उनका रख-रखाव प्राथमिकता होगी। प्लांटेशन के लिए पहुंचने वाले वोलिंटियर्स अपनी सुविधा के मुताबिक प्लांटेशन कर पाएंगे। इधर, सिटी मजिस्ट्रेट ने कहा है कि हरेला पर्व के अवसर पर सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत मोथरोवाला में आयोजित प्लांटेशन कार्यक्रम की शुरूआत करेंगे।

- गत वर्ष स्टेट में हरेला पर्व पर 4.5 लाख प्लांटेशन किया गया।

- अबकी बार पर्व पर 6.25 लाख प्लांटेशन का रखा गया है टारगेट।

- दावा, इस बार वर्ष भर में 1.89 करोड़ प्लांटेशन का टारगेट।

- सीएम की सभी से अपील, निभाएं सक्रिय भूमिका।

- वर्ष 2019-20 में पूरे स्टेट में 15000 चाल खाल का टारगेट।

- 2000 जलकुंड व 300 चैक डेम का लक्ष्य।

- 4 लाख कॉनटूर ट्रेंच व 38.5 करोड़ लीटर जल संचय।

रेला पर्व पर सीएम ने दी शुभकामनाएं

सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेशवासियों को हरेला पर्व की शुभकामनाएं दी हैं। कहा, हरेला पर्व हमारी लोक संस्कृति, प्रकृति व पर्यावरण के साथ जुड़ाव का भी प्रतीक है। प्रकृति को महत्व देने की हमारी परंपरा रही है। प्रकृति के विभिन्न रूपों की हम पूजा करते हैं। हमारी इन परंपराओं का वैज्ञानिक आधार भी है। सीएम ने कहा है कि पर्यावरण को समर्पित हरेला पर्व उत्तराखंड की सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक है। यह त्योहार संपन्नता, हरियाली, पशुपालन व पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है। उत्तराखण्ड में हरेला पर्व को वृक्षारोपण त्योहार के रूप में भी मनाया जाता है। सीएम ने कहा कि श्रावण मास में हरेला पूजने के बाद पौधे लगाये जाने की भी परंपरा है।