-पुलिस और प्रशासन की टीम ने पनकी में पकड़ी अवैध शराब फैक्ट्री

-फैक्ट्री में यूपी की बोलत में भरी जा रही थी हरियाणा की शराब और बीयर

-वाइन, बीयर, मॉडल शॉप और बार मे सप्लाई होती है टैक्स चोरी की शराब

KANPUR : शहर की बीयर, वाइन और मॉडल शॉप में धड़ल्ले से हरियाणा की शराब और बीयर खपाई जा रही है। इस गोरखधंधे के जरिए शराब माफिया सरकारी खजाने में सेंध लगा कर अपनी जेब भर रहे हैं। इसकी पुष्टि गुरुवार को पनकी में पकड़ी गई शराब फैक्ट्री से हो गई। फैक्ट्री में हरियाणा की शराब और बीयर को बोतल में भरकर वाइन, बीयर और मॉडल शॉप में सप्लाई किया जाता है। पुलिस के छापे में फैक्ट्री में हड़कम्प मच गया। जिसका फायदा उठाकर फैक्ट्री मालिक तो वहां से भाग गया, लेकिन पुलिस टीम ने दो कर्मचारियों को रंगे हाथ दबोच लिया। पुलिस ने वहां से भारी तादात में शराब और बीयर की बोतल, होलोग्राम, ढक्कन, पैकिंग मशीन समेत कई सामान बरामद किया है।

पनकी साइड नम्बर दो चल रही थी अवैध शराब फैक्ट्री

पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारियों को पिछले कई दिनों से अवैध शराब और बीयर की सप्लाई की शिकायत मिल रही थी। इस पर पुलिस और प्रशासन की टीम पड़ताल कर रही थी कि गुरुवार को गोविन्दनगर एसओ को मुखबिर से पनकी इंडस्ट्रीयल एरिया में अवैध शराब फैक्ट्री का पता चल गया। एसओ ने प्रशासन की टीम और फोर्स के साथ घेराबन्दी कर फैक्ट्री में छापा मारा तो वहां भगदड़ मच गई। जिसका फायदा उठाकर फैक्ट्री मालिक कुछ कर्मचारियों समेत वहां से भाग गया, लेकिन उसके दो कर्मचारी गोविन्दनगर का किसन मेहता और पनकी का मनोज गुप्ता पुलिस के हत्थे चढ़ गए। दोनों ने पूछताछ में बताया कि फैक्ट्री तो आशीष गुप्ता की है, लेकिन उसे राजा भाटिया किराये पर लेकर चलाता है। राजा ही हरियाणा की शराब का काला कारोबार करता है। एसएसपी ने बताया कि फैक्ट्री से करीब बीस लाख की हरियाणा की शराब और बीयर पकड़ी गई है। साथ ही खाली बोलत, एक लाख होलोग्राम, ढक्कन, पैकिंग मशीन समेत अन्य सामान मिला है।

बोतल और केन में भरी जाती थी शराब और बीयर

यूपी में हरियाणा और राजस्थान की अपेक्षा एक्साइज ड्यूटी ज्यादा है। यही रीजन है कि यूपी में हरियाणा और राजस्थान से काफी महंगी शराब और बीयर मिलती है। इसी का शराब माफिया फायदा उठाते है। वे हरियाणा और राजस्थान से शराब खरीदकर कानपुर समेत यूपी में सप्लाई करते हैं। यहीं काम राजा भाटिया भी करता था, लेकिन मोटी कमाई के लिए दूसरे शराब माफियाओं से हटकर काम करता था। वो हरियाणा से शराब और बीयर की पेटियां मंगवाता तो था, लेकिन वो हरियाणा की बोतल से शराब और बीयर निकालकर यूपी की बोतल में भरवा देता था। जिससे उसको हरियाणा की जगह यूपी का रेट मिलता था।

धोखा देने के लिए होलोग्राम का करता था यूज

ज्यादातर ड्रिंकर एक ही ब्रांड की शराब और बीयर पीते हैं। वे शराब और बीयर के टेस्ट से बता देते है कि वो नकली है या असली, वे होलोग्राम देखने के बाद ही बोतल या केन खरीदते हैं। राजेश इस बात से वाकिफ है। इसलिए वो होलोग्राम यूज करता था। पुलिस ने फैक्ट्री से एक लाख होलोग्राम भी पकड़े हैं। पुलिस के हत्थे चढ़े कर्मचारियों ने बताया कि वो बोतल की पैकिंग कराने के बाद होलोग्राम जरूर लगवाता था। जिससे कोई ये नहीं पकड़ पाता था कि बोतल लोकल फैक्ट्री में पैक की गई है।

लग्जरी गाडि़यों से होती है स्मगलिंग

शराब माफिया टैक्स चोरी करने के लिए हरियाणा, राजस्थान, गुड़गांव, चंडीगढ़ समेत अन्य प्रदेशों से शराब और शराब की खेप यहां लाते हैं। पहले ट्रक, डीसीएम समेत अन्य गाडि़यों से शराब और बीयर की स्मगलिंग होती थी, लेकिन स्टेट के बार्डर पर सख्ती बढ़ने से अब शराब माफिया लग्जरी गाडि़यों का यूज करते हैं। वे इनोवा, स्कारपियों, टाटा सफारी जैसी लग्जरी गाडि़यों से शराब की पेटियां लाते हैं। इन गाडि़यों में शराब माफिया सत्ता पक्ष की पार्टी का झण्डा लगा देते है, ताकि पुलिस उनकी गाड़ी की तलाशी न ले। वहीं कुछ लोग तो चोरी छुपे ट्रेन से शराब की पेटियां लाते है। इसमें नए खिलाड़ी ही पुलिस के हत्थे चढ़ते है।

मार्केट से आधे रेट में बेचने के बाद भी होता है मुनाफा

यूपी में अन्य प्रदेशों की अपेक्षा शराब और बीयर का रेट दो गुना से भी ज्यादा है, इसलिए शराब माफिया मोटा मुनाफा कमाने के लिए शराब और बीयर की तस्करी करते हैं। शराब माफिया मार्केट से कम रेट पर हरियाणा की शराब और बीयर बेचते है। इसलिए उनका माल हाथों हाथ बिक जाता है। ज्यादातर शराब माफिया पहले आर्डर लेने के बाद ही बीयर और शराब की खेप मंगवाते है। अब तो वे सीधे वाइन शॉप, मॉडल शॉप और बार में हरियाणा की शराब की सप्लाई कर देते हैं। जिससे उनको माल बेचने में कोई दिक्कत नहीं होती है।

सरकारी खजाने में लगा रहे है सेंध

सरकार को आबकारी विभाग से सबसे ज्यादा राजस्व मिलता है। जिससे सरकारी खजाना भरा रहता है। इससे मिलने वाले धन को अन्य मदों में खर्चा किया जाता है। सरकार एक्साइज ड्यूटी से शराब पर टैक्स वसूलती है। हरियाणा से चोरी छुपे शराब की पेटियां शहर लाई जाती है। जिसमें कोई एक्साइज ड्यूटी नहीं दी जाती है। ये बोतलें मार्केट में चोरी छुपे बेची जाती हैं। जिससे हर महीने सरकार को लाखों रुपए का चूना लग रहा है।

मोटी कमाई के लालच में जुड़े सफेदपोश

सूत्रों के मुताबिक शहर में हरियाणा की शराब हाथों हाथ बिक जाती है। इस अवैध धंधे की अंधी कमाई के चलते करीब तीन दर्जन से अधिक गैंग सक्रिय हो गए है। जिसमें कई सफेदपोश कारोबारी भी है। वे गोरखधंधे में फाइनेंसर की भूमिका निभाते हैं। वे माल बिकते ही अपना हिस्सा ले लेते हैं। इस गोरखधंधे में जुड़े लोगों को मार्केट से आधे रेट में शराब की पेटियां मिल जाती है। जिसे ये मार्केट से 25 फीसदी कम रेट पर शराब की पेटियां वाइन शॉप और मॉडल शॉप में बेचते है। जिससे उनको और शॉप मालिक को 25-25 प्रतिशत का मुनाफा हो जाता है।

यूपी में तीसरे नम्बर पर है कानपुर

यूपी में शराब पीने में कानपुराइट्स तीसरे नम्बर है। यहां गाजियाबाद और लखनऊ के बाद सबसे ज्यादा शराब बिकती है। जिससे सरकार को हर साल करोड़ों रुपए का राजस्व मिलता है। पिछले साल डिपार्टमेंट ने करीब 750 करोड़ रुपए का राजस्व वसूला था। इस बार उससे ज्यादा की उम्मीद ऑफिसर कर रहे है। शहर में औसतन 1.31 करोड़ लीटर देसी शराब पी जाती है, जबकि वाइन और बियर में हर साल नया रिकार्ड बनता है।

सिंडिकेट को सबसे ज्यादा मुनाफा

शहर में सक्रिय शराब माफिया ज्यादातर वाइन, बीयर, मॉडल शॉप और बार में हरियाणा की बीयर और शराब की सप्लाई करते है। शहर में ज्यादा ठेके सिंडिकेट के है। इसलिए शराब माफिया सिंडिकेट के साए में काम करता है। सिंडिकेट उनसे सस्ते रेट में शराब लेकर उसे मार्केट रेट में कस्टमर को बेच देते हैं। जिससे उनको दोगुना से ज्यादा की कमाई होती है। इसलिए इस टैक्स चोरी के गोरखधंधे में सबसे ज्यादा मुनाफे में सिंडिकेट रहता है।

क्या है सिंडिकेट

शराब और बीयर के धंधे में कमाई है तो इसमें वसूली का खेल भी चलता है। अपराधी से लेकर पुलिस और राजनेता शराब और बीयर के धंधा करने वालों से वसूली करते थे। जिसे देख शराब का धंधा करने वाले कुछ कारोबारियों ने मिलकर सिंडिकेट बना लिया। इसमें शराब कारोबारी के अलावा अन्य कारोबारी और दबंग लोग शामिल है। सिंडिकेट में सभी कारोबारी रुपए लगाते हैं। जिसके हिसाब से उनका मुनाफा में शेयर होता है। इस समय तिलक नगर में रहने वाले एक बड़े कारोबारी सिंडिकेट को चला रहे हैं। सिंडिकेट में सबसे ज्यादा उन्हीं का शेयर है।

इस तरह काम करता है सिंडिकेट

सिंडिकेट वाइन और बीयर शॉप मालिक से ठेके पर उनकी शॉप ले लेता है। जिसके बाद सिंडिकेट का आदमी ही उस दुकान को चलाता है और महीने के आखिरी में तय रकम शराब ठेकेदार को दे देते है। सोर्सेज के मुताबिक सिंडीकेट के पास सौ से ज्यादा दुकाने हैं। सिंडिकेट से जुड़े लोगों के राजनीतिक, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों से भी अच्छे संबंध है। जिसका फायदा उठाकर वे नियमों की धज्जियां उड़ाकर शराब बेचते है। उनकी दुकानों में खुलेआम शराब पिलाई जाती है। उनके शराब के ठेके में पानी से लेकर चखने का भी इंतजाम रहता है। जिसे वे दोगुना रेट पर बेचते है। इसके अलावा वे हरियाणा की शराब को खपा देते है।

आबकारी डिपार्टमेंट की स्थिति

जिला आबकारी अधिकारी 1

इंस्पेक्टर 10

क्लर्क 6

कांस्टेबल 75

शहर में क्या स्थिति है

देशी शराब के ठेके 314

वाइन शॉप 200

बियर शॉप 157

बार 34

मॉडल शॉप 10