यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान 2जी, सीडब्ल्यूजी और कोयला जैसे बड़े घोटाले सामने आए थे. अपनी चुनावी रैलियों में नरेंद्र मोदी जनादेश मिलने पर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का लोगों से वायदा किया था. सरकार के एक साल के कार्यकाल के दौरान कोई बड़ा घोटाला सामने नहीं आया है. हमने जानने की कोशिश की आम आदमी को भ्रष्टाचार से इस दौरान राहत मिली या नहीं या फिर उसने इस बारे में सोचना ही छोड़ दिया है. सरकार के एक साल के कामकाज पर लोगों की राय जानने निकली inextlive.com की टीम ने सर्वे के दौरान लोगों से जाना कि भ्रष्टाचार कम हुआ या हालात जस के तस हैं.

उम्मीद बाकी पर कमाल नहीं दिखा

भ्रष्टाचार कम करने के लिए लोग मोदी सरकार को थोड़ा और वक्त देने के हिमायती नजर आते हैं. हालांकि उनका मानना है कि अपने कार्यकाल के पहले साल में इस मोर्चे पर सरकार कोई बड़ा कमाल दिखा पाने में नाकाम रही है. सर्वे में शामिल 39 प्रतिशत लोगों के मुताबिक भ्रष्टाचार थोड़ा कम हुआ है. वहीं 15 प्रतिशत मानते हैं कि बड़ा बदलाव देखने को मिला है. बहरहाल तस्वीर का दूसरा पहलू है 34 प्रतिशत लोगों का कहना है कि उन्हें नहीं लगता, सरकार बदलने का भष्टाचार पर कोई असर हुआ है. वहीं 12 प्रतिशत लोग नाउम्मीद हैं और किसी तरह के बदलाव की आस नहीं रखते हैं.

Infographic: People's opinion about corruption during one year of Narendra Modi led NDA government


इन्हें नहीं लगता कुछ बदला

पढ़े लिखे वर्ग को लगता है कि सरकार ने भ्रष्टाचार रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. 39 प्रतिशत पोस्ट ग्रेजुएट लोगों की राय है कि सरकार बनने के बाद से हालात में कोई सुधार नहीं हुआ है. वहीं 42 प्रतिशत महिलाएं मानती हैं कि थोड़ा ही सही भ्रष्टाचार कम हुआ है. जबकि 36 प्रतिशत महिलाओं की नजर में कुछ नहीं बदला है. सर्वे में शामिल स्टूडेंट्स में से 45 प्रतिशत को भी लगता है कि भ्रष्टाचार में मामूली कमी     आई है.

इन्होंने दिए सरकार को सबसे ज्यादा नंबर

भ्रष्टाचार के मोर्चे पर कामयाबी के लिए सबसे ज्यादा नंबर उसे व्यवसायी देते हैं. सर्वे में शामिल 19 प्रतिशत बिजनेसमैन मानते हैं कि सरकार ने बढ़िया काम किया है. ग्रेजुएट व हाईस्कूल पास लोगों में से 17-17 प्रतिशत की भी यही राय है.

 


नोट: सर्वे के परिणाम मोदी सरकार के कामकाज पर चार राज्यों (उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार व झारखंड) के 12 शहरों (कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, इलाहाबाद, गोरखपुर, बरेली, आगरा, मेरठ, देहरादून, पटना, रांची व जमशेदपुर) के लोगों की राय पर आधारित हैं.


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