कैदी व हथुआ वार्ड के दो मामले ने पीएमसीएच में सिक्योरिटी की कलई खोली

- आमलोगों के लिए सैकड़ों नियम, पर व्वाइट कॉलर वालों के लिए चांदी

- डॉक्टर की लापरवाही से इमरजेंसी से लामा एक आम बात

- एसएसपी ने डीएम से कैदी वार्ड में कैमरा लगाने की बात कही

PATNA : पुलिस और पीएमसीएच की लापरवाही का नतीजा है कि वहां पर इलाज करा रहे दो कैदी ने दो नई इबारत लिख दी और सब देखते रह गए। अनिल शर्मा ने कैदी वार्ड में लड़की मंगवा लिया, तो अरविंद महतो आसानी से हथुआ वार्ड से निकल कर फरार हो गया है। दोनों मामले में आठ पुलिसकर्मी को सस्पेंड कर दिया गया है। एसएसपी ने अरविंद महतो के मामले में कहा कि चारों पुलिसकर्मी अगर दोषी पाए गए, तो गिरफ्तारी भी की जाएगी। लेकिन जो सवाल उठ रहा है कि वो यह कि आखिर किसके इशारे पर दोनों अपराधी ने पीएमसीएच को सेप जगह मानते हुए इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे दिया है। कैदी वार्ड में अनिल शर्मा ने दो लड़के और लड़की को बुला लिया, तो इस पर पीएमसीएच एडमिनिस्ट्रेशन ने जेल एडमिनिस्ट्रेशन को कटघरे में खड़ा कर दिया, लेकिन उसी अनिल शर्मा का इलाज नौ महीने से पीएमसीएच एडमिनिस्ट्रेशन किसके कहने पर कर रहा था। इस पर मौन है। यही हाल बाढ़ जेल से आए अपराधी अरविंद महतो का हुआ है। उसने सुपरिंटेंडेंट चेंबर के सामने के हथुआ वार्ड के बेड नंबर नौ से आसानी से निकल गया, जबकि एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से हर वार्ड के गेट पर सिक्योरिटी गार्ड की तैनाती रहती है। जो आम पब्लिक को अपने पेशेंट से मिलने के लिए रोकती है, लेकिन अपराधियों के लिए यह पूरा का पूरा रास्ता साफ रखती है।

पीएमसीएच में सबसे अधिक इलाज

पीएमसीएच में इलाज करने के तरीके से हर कोई वाकिफ है। लेकिन यह पहला मामला है, जब किसी पेशेंट के पूरे क्योर करने का पीएमसीएच एडमिनिस्ट्रेशन ने जवाबदेही ली थी। पूरा का पूरा वार्ड देकर नौ महीने तक लगातार उस पेशेंट का विभिन्न वार्ड में इलाज चलता रहा, इसकी भनक न तो सुपरिंटेंडेंट को लगी और न ही प्रिंसिपल को ही। वहीं, डॉक्टर अपनी उदारता दिखाते रहे। यही आम पब्लिक को इमरजेंसी में एक सीट भी एडमिनिस्ट्रेशन नहीं दे पाता है। उसके इलाज जूनियर डाक्टरों के कंधे पर होता है। सीनियर आते है और डांटते हुए चले जाते हैं।

चोरी-छिनतई सब, पर इलाज नहीं

पीएमसीएच में इलाज कराने आए अटेंडेंट के लिए हर रात मुश्किल भरा होता है। यहां पर वार्ड में बिना पैसे दिए रहने नहीं दिया जाता है। बाहर चोरी और छिनतई की घटना होते रहती है। कोई देखने वाला नहीं है। कंप्लेन करने पर इलाज नहीं होता है। सिक्योरिटी गार्ड का पता नहीं रहता है। एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर्स डांटकर अटेंडेंट को भगा देते हैं।

गाईनी वार्ड से खुलेआम बच्चा चोरी

पीएमसीएच एडमिनिस्ट्रेशन सोयी रहता है। अपनी जवाबदेही से बचते हुए एडमिनिस्ट्रेशन भूल जाता है कि किस तरह कैमरा और सिक्योरिटी गार्ड होने के बाद भी गाईनी वार्ड से बच्चे गायब हो जाते है। कोई रोकता तक नहीं है। बच्चे लेकर सामने से फरार हो जाता है, जबकि सिक्योरिटी पर लाखों का खर्च करने का एडमिनिस्ट्रेशन दावा करती है। सुपरिंटेंडेंट डॉ। लखींद्र प्रसाद ने दिन व रात दोनों में सिक्योरिटी एजेंसी से गश्ती बढ़ाने को कहा है। हर आने जाने वालों पर नजर रखी जाए, ताकि पहचान के साथ ही कोई इन आउट हो पाए।

कैदी वार्ड में अब लगेगा कैमरा

अब तक पीएमसीएच कैदी वार्ड से दर्जन भर घटनाएं हो चुकी हैं। कई अपराधियों के सामने ही एक सजायफ्ता ने खुदकुशी कर ली। कई निकल कर फरार हो गए हैं। रात में मौज-मस्ती होने लगी है। इस बार की छापेमारी के बाद एसएसपी मनु महाराज ने कैदी वार्ड में कैमरा लगाने के लिए डीएम को लेटर लिखा है, ताकि इन लोगों पर निगरानी रखी जा सकें।

लामा को कोई देखता क्यूं नहीं, पेशेंट कैसे निकल जाता

पीएमसीएच एडमिनिस्ट्रेशन के यहां हर दिन इमरजेंसी से लेकर विभिन्न वार्ड से सौ के आसपास पेशेंट लामा हो जाते हैं। इसका पता तक नहीं चलता है, जबकि इमरजेंसी से लेकर वार्ड तक निकलने के लिए डॉक्टरों का सार्टिफिकेट की जरूरत पड़ती है। उसे देखने के बाद ही पेशेंट और उसके अटेंडेंट को बाहर निकलने दिया जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं होता है। एडमिनिस्ट्रेशन पेशेंट को जाने के लिए रास्ता खोल कर रखी है। नतीजा है कि हर दिन पेशेंट लामा हो जाते है। और डाक्टर की जान इलाज करने से बच जाती है।

पीएमसीएच के नियम

- आप इमरजेंसी में बेवजह नहीं घुस सकते हैं।

- एडमिशन के समय ही आपको एक आदमी का एंट्री चार्ज मिलता है।

- वार्ड में भी बेवजह भीड़ नहीं लगा सकते हैं।

- हर आने-जाने वालों पर नजर रखने के लिए सिक्योरिटी गार्ड लगी रहती है।

- लोगों पर नजर रखने के लिए कैमरा लगाया गया है, जो घटनाएं होने पर बंद हो जाती है।