जब तक है जान vote देती रहूंगी

मेरी उम्र 96 साल की है, लेकिन मैं अभी भी वोट कास्ट करने के मामले में बहुत एक्टिव रहती हूं। आजादी की लड़ाई के बाद जितने भी चुनाव हुए हैं। मैंने हर चुनाव में वोट दिया है। दु:ख होता है जब जीत के आए नेता लोगों की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर पाते, लेकिन फिर भी हर बार मुझे उम्मीद रहती है कि शायद इस बार एक अच्छा कैंडिडेट चुनकर आए। मैं अपने ग्रांड संस के साथ वोट डालने आई हूं और जब तक जिंदगी है, तब तक हर इलेक्शन में अपना योगदान देती रहूंगी।

-शांति देवी, उम्र 96 साल

एक vote से होती है हार-जीत

मेरी उम्र 80 साल और मेरी मिसेज की उम्र 70 साल है। हम दोनों ही अपनी परिवार के साथ हमेशा वोट डालने आते रहे हैं। जब मेरे बच्चे छोटे थे, तब मैं उन्हें अपने साथ वोट डालने ले जाता था। आज मुझे सहारे की जरुरत है तो ये मुझे अपने साथ वोट डलवाने के लिए लेकर आए हैं। एक वोट पर सरकार की जीत और हार-निर्भर करती है। ऐसे में हर वोट जरूरी है। हर बार हम अपने फेवरेट कैंडिडेट को वोट देते हैं। इससे एक अच्छा सिस्टम प्रिपेयर होने में हमारा योगदान रहता है।

-हरभजन सिंह कालरा, उम्र 80 साल

लोकतंत्र का महापर्व

इलेक्शन लोकतंत्र का सबसे बड़ा फेस्टिवल होता है। ऐसे में मुझे गर्व है कि मैं एक लोकतंत्र राष्ट्र की नागरिक हूं और वोटिंग करना मेरा अधिकार है। बात चाहे देश के पीएम के चुनाव की हो या फिर शहर के मेयर की, हर जगह हर व्यक्ति का वोट जरू री होता है। जब हमारे एक सिंगल वोट में ऐसी ताकत है तो मेरा मानना है कि हर किसी को गर्व के साथ वोट देना चाहिए।

-गजहुरी देवी, उम्र 90 साल