छोटी उम्र, बड़ी सोच



He have solutions too


Allahabad : उत्तराखंड में जून में आई प्राकृतिक आपदा हो या फिर पूर्वी उत्तर प्रदेश में बाढ़ की त्रासदी। बिजली की क्राइसिस प्राब्लम हो या फिर फ्यूचर में पीने योग्य पानी की चिंता। सब कुछ शामिल है इनकी सोच में। उन्होंने अपने लेवल पर इसका साल्यूशन भी खोज लिया है। यह देखने को मिला टैगोर पब्लिक स्कूल में थर्सडे से शुरू ही तीन दिवसीय साइंस एग्जिबिशन में। इसमें सीबीएसई इलाहाबाद रीजन के 89 स्कूलों के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के करीब साढ़े तीन सौ स्टूडेंट्स पार्टिसिपेट कर रहे हैं। उनकी थॉट और क्रिएटिविटी को देखकर जजेज भी दंग थे। जूनियर साइंटिस्ट इन्हीं चार प्राब्लम्स को फिलहाल देश की सबसे बड़ी प्राब्लम मानते हैं और इसका साल्यूशन भी उनके पास है। न्यूनतम खर्च से ज्यादा बेहतर रिजल्ट देने की उनकी थ्योरी को एग्जिबिशन देखने पहुंचे हर किसी ने एप्रिशिएट किया.

 Theme: Science & society 

टीपीएस में आज से शुरू हुई साइंस एग्जिबिशन का इनॉगरेशन नेशनल साइंस एकेडमी के जनरल सेक्रेट्री प्रो। कृष्णा मिश्रा ने किया। इनॉगरेशन के बाद स्टूडेंट्स और टीचर्स से मुखाबित होते हुए उन्होंने कहा कि साइंस व तकनीकि का क्षेत्र स्टूडेंट्स के  फ्यूचर को बेहतर बनाने के साथ ही देश के लिए भी खुशहाली देने वाला होगा। इसलिए बोर्ड की कोशिश है कि साइंस के फील्ड में स्टूडेंट्स की रुचि बढ़ाई जाय। आज के बच्चे ज्यादा समझदार हैं और उनके पास हर प्राब्लम का अपने लेवल पर साल्यूशन है। उनके इन आइडियाज को इस्तेमाल करके बेहतर भविष्य की नींव रखी जा सकती है। इसी थॉट को प्रमोट करने के लिए इस तरह का आयोजन किया गया। स्कूल प्रिन्सिपल कावेरी अधिकारी ने बताया कि एग्जिबिशन का सब्जेक्ट साइंस व सोसाइटी रखा गया है। सीबीएसई की ओर से आर्गनाइज इस एग्जिबिशन का उद्देश्य स्टूडेंट्स की प्रतिभा को सामने लाना और उसे सपोर्ट देना है. 


फिर नहीं डूबेंगे बाढ़ में घर

अब बाढ़ आने पर किसी का घर नहीं डूबेगा। यह दावा रेनूसागर, सोनभद्र के एबीपीएस स्कूल की दो स्टूडेंट्स का है। उन्होंने अपने प्रोजेक्ट के जरिए बाढ़ के दौरान घरों को कई फिट उठाने का तरीका सुझाया है। क्लास नाइंथ व टेंथ की स्टूडेट्स श्रेया गुप्ता और पूजा पाण्डेय ने अपने प्रोजेक्ट की डिटेल शेयर करते हुए बताया कि बिल्डिंग का कंस्ट्रक्शन शुरू कराते समय ही मैकेनिज्म का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाय तो बाढ़ के समय आसानी से घरों की हाइट बढ़ाई जा सकती है। इससे बाढ़ के दौरान लोगों का घर पानी में डूबने से बच जाएगा। इसके लिए मैनपावर की भी ज्यादा जरूरत नहीं होगा। इसके लिए उन्होंने मकान का प्लेटफॉर्म स्टील रॉड पर तैयार करने का सुझाव दिया है। ये राड आलमोस्ट जैक जैसा काम करेंगे और सिर्फ स्विच करके इन्हें ऊपर या नीचे किया जा सकेगा। यह वन टाइम इंवेस्टमेंट है लेकिन फायदा लाइफ लांग मिलेगा.



25 रुपए में तैयार होगी नाव
सिटी के न्यू कैंट एरिया में स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल के दो स्टूडेंट्स ने सबसे सस्ती नाव एग्जिबिशन में प्रजेंट की है। बाढ़ के दौरान लोगों की मदद के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इस नाव पर 100 किलो तक का वेट उठाया जा सकता है। अधिक वेट उठाने के लिए तैयार की जाने वाली नाव का खर्च भी उसी हिसाब से बढ़ जाता है। नाव को बनाने के लिए स्टूडेंट्स ने प्लास्टिक की उन खाली बोतलों का इस्तेमाल किया है जो आमतौर पर यूजलेस मानकर फेंक दी जाती हैं। बेस के लिए सीमेंट की बोरियों का इस्तेमाल किया गया है।  



रेन वाटर को प्लांट में इकठ्ठा करके उसे प्यूरीफाई करके आसानी से पीने योग्य बनाया जा सकता है। इसी को बेस्ड करके प्रोजेक्ट तैयार किया है। यह फार्मूला घरों से नियमित तौर पर निकलने वाले पानी पर भी अप्लाई किया जा सकता है. 
पूजा पाण्डेय 
एबीपीएस स्कूल, रेनूसागर 

प्रिन्सिपल रिसोनेन्ट के जरिए बांध को टूटने से पहले ही बचाया जा सकता है। एसटीपी के बांध की दीवाल को भी आसानी ने टूटने से रोका जा सकता है। प्रोजेक्ट के जरिए इसी तकनीकि को दिखाने का प्रयास है.
राहुल 
महर्षि पतंजलि विद्यामंदिर

बाढ़ के दौरान कम खर्च में नाव बनाने की सोचकर प्रोजेक्ट तैयार किया था। खाली प्लास्टिक की बोतलों और सीमेंट की बोरी से इसे तैयार किया जा सकता है। जो टिकाऊ होने के साथ ही कारगर है.
अंश व अनुराग उपाध्याय
आर्मी पब्लिक स्कूल
न्यू कैंट



छात्रों की चिंता के प्रमुख विषय
-प्राकृतिक आपदा और उससे निबटने के तरीके
-सोलर एनर्जी के इस्तेमाल का दायरा बढ़ाना ताकि अनवरत विद्युत सप्लाई मिले
-प्राकृतिक संसाधनो का दोहन रोकना ताकि संतुलन बना रहे
-नवीन टेक्नोलॉजी डेवलप करना ताकि बाढ़ आने पर मकानो को आसानी से ऊंचा कर दिया जाय
-पानी का वेस्टेज रोकना और घरों से निकलने वाले पानी को रीसाइकिल करके पीने योग्य बनाना

Fact file 

-सीबीएसई से सम्बद्ध इलाहाबाद रीजन के 89 स्कूल कर रहे हैं साइंस एग्जिबिशन में पार्टिसिपेट
-साइंस और सोसाइटी है एग्जिबिशन की थीम
-कुल साढ़े तीन सौ छात्र अपने आइडियाज की प्रजेंटेशन लेकर पहुंचे हैं यहां
-रीजन लेवल पर सेलेक्ट इंट्रीज को मिलेगा नेशनल लेवल पर प्रजेंट करने का मौका
-नाइंथ से लेकर इंटरमीडिएट तक के स्टूडेंट्स कर रहे हैं पार्टिसिपेट
-तीन दिनों तक चलेगी साइंस एग्जिबिशन

 Theme: Science & society 

टीपीएस में आज से शुरू हुई साइंस एग्जिबिशन का इनॉगरेशन नेशनल साइंस एकेडमी के जनरल सेक्रेट्री प्रो। कृष्णा मिश्रा ने किया। इनॉगरेशन के बाद स्टूडेंट्स और टीचर्स से मुखाबित होते हुए उन्होंने कहा कि साइंस व तकनीकि का क्षेत्र स्टूडेंट्स के  फ्यूचर को बेहतर बनाने के साथ ही देश के लिए भी खुशहाली देने वाला होगा। इसलिए बोर्ड की कोशिश है कि साइंस के फील्ड में स्टूडेंट्स की रुचि बढ़ाई जाय। आज के बच्चे ज्यादा समझदार हैं और उनके पास हर प्राब्लम का अपने लेवल पर साल्यूशन है। उनके इन आइडियाज को इस्तेमाल करके बेहतर भविष्य की नींव रखी जा सकती है। इसी थॉट को प्रमोट करने के लिए इस तरह का आयोजन किया गया। स्कूल प्रिन्सिपल कावेरी अधिकारी ने बताया कि एग्जिबिशन का सब्जेक्ट साइंस व सोसाइटी रखा गया है। सीबीएसई की ओर से आर्गनाइज इस एग्जिबिशन का उद्देश्य स्टूडेंट्स की प्रतिभा को सामने लाना और उसे सपोर्ट देना है. 

फिर नहीं डूबेंगे बाढ़ में घर

अब बाढ़ आने पर किसी का घर नहीं डूबेगा। यह दावा रेनूसागर, सोनभद्र के एबीपीएस स्कूल की दो स्टूडेंट्स का है। उन्होंने अपने प्रोजेक्ट के जरिए बाढ़ के दौरान घरों को कई फिट उठाने का तरीका सुझाया है। क्लास नाइंथ व टेंथ की स्टूडेट्स श्रेया गुप्ता और पूजा पाण्डेय ने अपने प्रोजेक्ट की डिटेल शेयर करते हुए बताया कि बिल्डिंग का कंस्ट्रक्शन शुरू कराते समय ही मैकेनिज्म का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाय तो बाढ़ के समय आसानी से घरों की हाइट बढ़ाई जा सकती है। इससे बाढ़ के दौरान लोगों का घर पानी में डूबने से बच जाएगा। इसके लिए मैनपावर की भी ज्यादा जरूरत नहीं होगा। इसके लिए उन्होंने मकान का प्लेटफॉर्म स्टील रॉड पर तैयार करने का सुझाव दिया है। ये राड आलमोस्ट जैक जैसा काम करेंगे और सिर्फ स्विच करके इन्हें ऊपर या नीचे किया जा सकेगा। यह वन टाइम इंवेस्टमेंट है लेकिन फायदा लाइफ लांग मिलेगा.

25 रुपए में तैयार होगी नाव

सिटी के न्यू कैंट एरिया में स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल के दो स्टूडेंट्स ने सबसे सस्ती नाव एग्जिबिशन में प्रजेंट की है। बाढ़ के दौरान लोगों की मदद के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इस नाव पर 100 किलो तक का वेट उठाया जा सकता है। अधिक वेट उठाने के लिए तैयार की जाने वाली नाव का खर्च भी उसी हिसाब से बढ़ जाता है। नाव को बनाने के लिए स्टूडेंट्स ने प्लास्टिक की उन खाली बोतलों का इस्तेमाल किया है जो आमतौर पर यूजलेस मानकर फेंक दी जाती हैं। बेस के लिए सीमेंट की बोरियों का इस्तेमाल किया गया है।  

रेन वाटर को प्लांट में इकठ्ठा करके उसे प्यूरीफाई करके आसानी से पीने योग्य बनाया जा सकता है। इसी को बेस्ड करके प्रोजेक्ट तैयार किया है। यह फार्मूला घरों से नियमित तौर पर निकलने वाले पानी पर भी अप्लाई किया जा सकता है. 

पूजा पाण्डेय 

एबीपीएस स्कूल, रेनूसागर 

प्रिन्सिपल रिसोनेन्ट के जरिए बांध को टूटने से पहले ही बचाया जा सकता है। एसटीपी के बांध की दीवाल को भी आसानी ने टूटने से रोका जा सकता है। प्रोजेक्ट के जरिए इसी तकनीकि को दिखाने का प्रयास है.

राहुल 

महर्षि पतंजलि विद्यामंदिर

बाढ़ के दौरान कम खर्च में नाव बनाने की सोचकर प्रोजेक्ट तैयार किया था। खाली प्लास्टिक की बोतलों और सीमेंट की बोरी से इसे तैयार किया जा सकता है। जो टिकाऊ होने के साथ ही कारगर है.

अंश व अनुराग उपाध्याय

आर्मी पब्लिक स्कूल न्यू कैंट

छात्रों की चिंता के प्रमुख विषय

-प्राकृतिक आपदा और उससे निबटने के तरीके

-सोलर एनर्जी के इस्तेमाल का दायरा बढ़ाना ताकि अनवरत विद्युत सप्लाई मिले

-प्राकृतिक संसाधनो का दोहन रोकना ताकि संतुलन बना रहे

-नवीन टेक्नोलॉजी डेवलप करना ताकि बाढ़ आने पर मकानो को आसानी से ऊंचा कर दिया जाय

-पानी का वेस्टेज रोकना और घरों से निकलने वाले पानी को रीसाइकिल करके पीने योग्य बनाना

Fact file 

-सीबीएसई से सम्बद्ध इलाहाबाद रीजन के 89 स्कूल कर रहे हैं साइंस एग्जिबिशन में पार्टिसिपेट

-साइंस और सोसाइटी है एग्जिबिशन की थीम

-कुल साढ़े तीन सौ छात्र अपने आइडियाज की प्रजेंटेशन लेकर पहुंचे हैं यहां

-रीजन लेवल पर सेलेक्ट इंट्रीज को मिलेगा नेशनल लेवल पर प्रजेंट करने का मौका

-नाइंथ से लेकर इंटरमीडिएट तक के स्टूडेंट्स कर रहे हैं पार्टिसिपेट

-तीन दिनों तक चलेगी साइंस एग्जिबिशन