मानसिक स्वास्थ्य ठीक नही होने पर डायबिटीज को मिलता है बढ़ावा

ALLAHABAD: समाज में डिप्रेशन के मामले बढ़ रहे हैं। मानसिक स्वास्थ्य खराब होने डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर खुद को इस बीमारी से बचाना है तो टीन एज से ही डायबिटीज मैनेजमेंट शुरू हो जाना चाहिए। यह बात कमिश्नर डॉ। आशीष कुमार गोयल ने कही। वह गुरुवार को एमएलएन मेडिकल कॉलेज सभागार में डायबिटीज एजूकेशन फाउंडेशन की ओर से आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में छात्र सिगरेट और शराब की लत का शिकार हो रहे हैं। दोनों ही चीजें भविष्य में डायबिटीक बना सकती है। उन्होंने खानपान और तनावपूर्ण जीवनशैली में बदलाव किए जाने की सलाह दी।

50% में पहचान-निदान संभव नही

प्रिंसिपल प्रो। एसपी सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। डॉ। सरिता बजाज ने कहा कि पचास फीसदी लोग अपने रक्त की जांच नही कराते जिससे डायबिटीज की पहचान और निदान संभव नही हो पाता। कहा कि साठ वर्ष से कम उम्र के पचास फीसदी डायबिटिक हैं। डॉ। मनीषा द्विवेदी ने कहा कि डायबिटीज रोगियों का पाचन तंत्र ठीक नही होने से उन्हें अपच, जी मिचलाने और पेट के निचले हिस्से में दर्द सहित पित्त की थैली में पथरी की शिकायत हो सकती है। सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ। शबी अहमद ने मधुमेहियों को अपने पैरों की देखभाल की सलाह दी। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन व संचालन डॉ। शांति चौधरी ने किया। डॉ। अनुभा, डॉ। स्मृति, डॉ। पूनम, डॉ। कमलेश सोनकर, डॉ। विजेंद्र, डॉ। आदर्श सहित तमाम डॉक्टर्स कार्यक्रम में उपस्थित रहे।